Prashan Kaal

क्या लोकतंत्र में सबके पास वोट देने का अधिकार होना चाहिए?

वैसे वोट देने का अधिकार भले ही 18 साल या इससे ऊपर के सभी नागरिकों को हो, लेकिन देश में किसी भी चुनाव के दौरान अक्सर 25-50 फीसदी लोग ऐसे होते हैं जो इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं करते.

न रेप के मामले कम होंगे और न ऐसे बयान, नेतृत्वकर्ता यह गंदगी साफ करने का साहस करेंगे?

विधायक ने विधानसभा में खड़े होकर यह बात कही है, ऐसे में उन पर पुलिस केस भी दर्ज नहीं हो सकता। लेकिन क्या विधानसभा अध्यक्ष की ओर से संबंधित विधायक पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। 

लखीमपुर खीरी हिंसा : सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फिर फटकार, कहा- आपको सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह ही मिले

सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की। अब इस मामले की सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

टीम इंडिया की हार भारत की हार नहीं, दमखम ठोकने वाला पाक क्या हर मामले में इसी तरह भारत से जीत रहा है?

भारत ने पाकिस्तान से अभी तक सभी युद्ध जीते हैं, हम क्रिकेट में भी पाकिस्तान से हमेशा उन्नीस रहे और उसे बुरी तरह हराते रहे, लेकिन रविवार को टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में 29 साल बाद पाकिस्तान ने जिस प्रकार भारतीय टीम को शिकस्त दी वह बेहद दिल दुखाने वाली थी। 

पंजाब कांग्रेस के नए प्रभारी हरीश चौधरी को मिली कांटों वाली राह

पूर्व महासचिव और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब मामलों के प्रभारी रह चुके हरीश चौधरी  ने पिछले कुछ दिनों में सिद्धू और चन्नी के बीच मतभेद कम करने में भूमिका निभाई है। ऐसी भी चर्चा है कि चौधरी ने कैप्टन को हटाने के लिए जमीन तैयार की थी। हालांकि, खुद उन्होंने इसे बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि पंजाब कांग्रेस में उनकी कोई भूमिका नहीं है।

तारीफ कर प्रधानमंत्री मोदी ने खत्म की मनोहर के रास्ते की अड़चनें

खट्टर सरकार के सामने अनेक चुनौतियां खड़ी रही हैं। अपने बीते कार्यकाल में भी मुख्यमंत्री ने उनका समुचित बंदोबस्त किया था, लेकिन दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही उनके सामने भी कोरोना महामारी से निपटने की चुनौती थी। राज्य सरकार ने पूरी सक्षमता से कोरोना संकट को जहां मात दी वहीं किसान आंदोलन से निपटने में भी वह कामयाब रही है।

जिन राव को सोनिया ने पीएम बनाया, नाराज हुई तो उनका मरा मुंह भी नहीं देखा

23 दिसंबर, 2004 को राव ने एम्स में अंतिम सांस ली और उनका शव लेकर एयरफोर्स की गाड़ी 10 जनपथ के बाहर आधे घंटे खड़ी रही। जब दरवाजा नहीं खुला तो गाड़ी हवाई अड्डे की तरफ बढ़ गई। इससे पहले, निधन के बाद नेताओं के शवों को अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए कांग्रेस मुख्यालय में रखे जाने की परंपरा चली आ रही थी। 

बैकफुट पर सिद्धू, इस्तीफा होगा स्वीकार, नहीं चलेगी अब कोई दलील !

लखीमपुर खीरी से लौटने के बाद सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी के बेटे की शादी के समारोह में जाने के बजाय माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंच गए। बेशक, यह निजी कार्यक्रम होगा लेकिन यह दूरी पंजाब की सियासत में कांग्रेस के अंदर जारी उधेड़बुन को जाहिर कर देती है।

2024 के लिए यक्ष प्रश्न, मोदी के सामने कौन होगा विपक्ष का नेता? राहुल, ममता या केजरीवाल !

भारतीय राजनीति में विपक्ष के नेता की कुर्सी इससे पहले कभी खाली नजर नहीं आई थी। लेकिन मौजूदा समय में विपक्ष पूरी तरह बंटा हुआ दिख रहा है, वह न एकजुट होना चाहता है और न ही किसी एक सर्वमान्य नेता के नाम पर चलना चाहता है। हरियाणा से लेकर पश्चिम बंगाल तक तीसरे मोर्चे के गठन की योजना बनती है, लेकिन महज बातें ही होती हैं।

लखीमपुर खीरी हिंसा : आशीष मिश्रा की नाटकीय गिरफ्तारी और जेल भेजने की पूरी कहानी, सच क्या है?

पुलिस जांच टीम ने आशीष मिश्रा से उसकी कार थार के बारे में सवाल भी किए। आरोपी ने उसमें भी यह साबित करने की कोशिश की कि वह अपनी कार में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कुछ लोगों के बारे में बताया, जो कारों के काफिले के साथ उनके गांव से निकले थे। कहा कि ये लोग उपमुख्यमंत्री की अगवानी करने जा रहे थे तभी यह घटना हो गई।

आखिर भारतीय समाज क्यों बंट गया अलग-अलग जातियों में

भारत में जाति व्यवस्था अन्यायपूर्ण और अनुचित लगती है - लोगों को पेशे या जन्म के आधार पर क्यों बांटा जाए? मगर क्या हमेशा से ऐसा ही था? और जाति व्यवस्था को खत्म करने से क्या आज उससे जुड़ी सारी समस्याएं हल हो सकती हैं?

हत्याओं का मकसद कश्मीरी पंडितों की वापसी की कोशिशों को नाकाम बनाना

घाटी के संबंध में एक गलत धारणा देश और दुनिया के मन में यह रही है कि यह इलाका मुस्लिमों को समर्पित है। दरअसल, कश्मीरी पंडितों ने इस जगह को अपने रक्त से सींचा है और वे इसे महफूज रखते आए हैं, उन हाथों से जोकि घाटी की पवित्रता को नष्ट कर उसे अपने में समेट लेना चाहते हैं। 

महिलाओं पर अपराध के मामले में महाराष्ट्र ही क्यों बुलाए विशेष सत्र?

 दरअसल, राज्यपाल ने राज्य के साकीनाका में बलात्कार और हत्या के एक मामले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर दो दिवसीय विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

सपा को किसान आंदोलन से फायदे की उम्मीद, गैर यादव, पिछड़े-अति पिछड़े भी साथ लाएंगे अखिलेश

अखिलेश यादव इस बार छोटे दलों के साथ तालमेल की रणनीति पर काम कर रहे हैं। सपा के महासचिव राजेंद्र चौधरी के मुताबिक रालोद और महान दल से उनका गठबंधन तय है। किसानों के आंदोलन से भी सपा को सियासी लाभ की उम्मीद है। अखिलेश को अहसास है कि उत्तर प्रदेश में सिर्फ यादव और मुसलमान वोट बैंक के जरिए सत्ता हासिल नहीं की जा सकती। 

मुझे डर है कि गोरे साहब जिन कुर्सियों को छोड़कर जाएंगे, उन पर भूरे साहबों का कब्जा हो जाएगा...

ऐसी स्थिति में हिंदुस्तान का भविष्य बहुत अंधकारमय नजर आता है, इन ‘धर्मों’ ने हिंदुस्तान का बेड़ा गर्क कर दिया है. और अभी पता नहीं कि इस तरह के धार्मिक दंगे भारतवर्ष का पीछा कब छोड़ंगे. इन दंगों ने संसार की नजरों में भारत को बदनाम कर दिया है और हमने देखा है कि इस अंधविश्वास के बहाव में सभी बह जाते हैं.

कोरोना धीमे ही सही लेकिन फिर दे रहा दस्तक, बढ़ रही संक्रमितों की संख्या

हालांकि यह राहत की बात है कि देश में कोरोना टीकाकरण की गति लगातार तेज होती गई है और शुक्रवार को एक दिन में एक करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन लगने का रिकॉर्ड बना।

बुद्ध का बताया मार्ग धीमा है, मुश्किलों से भरा है और धैर्य की परीक्षा भी लेता है

साधना करते-करते भगवान बुद्ध ने शरीर और वीणा की बहुत उपयुक्त व्याख्या की और सारी मानवता को संदेश दिया कि वीणा के तार यदि बहुत ज्यादा कस दिए जाएंगे तो तार टूट सकते हैं और यदि वीणा के तार ढीले छोड़ दिए जाएंगे तो तार होते हुए भी बजेंगे नहीं। 

ओबीसी सूची के संशोधन विधेयक के जरिए सत्तापक्ष और विपक्ष साध रहा अपने-अपने हित

केंद्र सरकार को भी लगने लगा था कि यह उसके लिए मुश्किल बन गई है, राज्य अपने यहां पनप रहे आक्रोश को उसके पाले में सरका दे रहे हैं। इसके मद्देनजर संसद सत्र में संविधान के 127वें संशोधन के जरिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर ओबीसी सूची तय करने का अधिकार राज्यों को दे दिया।

उस समय बच्चों के पैर ऐसे चलते थे कि उन्हें पकड़ कर घर में बैठाना पड़ता था

विशेषज्ञों के अनुसार घर से बाहर जाकर खेलने का शौक बच्चों को अकादमिक, सामाजिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है। इसी दौरान उनमें प्रकृति के प्रति प्रेम पनपता है। 

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