Religion

रामजी की टोली की यात्रा को हुआ एक साल, 51वें मंगलवार को बलटाना में संकीर्तन

देशभर में जय गणेश...जय गणेश देवा की गूंज, नदियों, तालाबों में मूर्तियों का हो रहा विसर्जन

गणेश जी की आराधना के लिए चतुर्थी पर्व की अपनी धार्मिक और सामाजिक महिमा है। कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई के समय बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के मकसद से इस पर्व के आयोजन की शुरुआत की थी। 

राम जी की टोली की आध्यात्मिक यात्रा अनवरत जारी, लगातार 25वें मंगलवार किया हनुमान चालीसा का पाठ

आज के परिवेश में अलग-थलग पड़े समाज के कई वर्ग एक दूसरे से मिलने-जुलने में संकोच करने लगे हैं। ऊंच-नीच का भेदभाव इस हद तक बढ़ चुका है कि समाज में रहन-सहन के साथ-साथ सौहार्द खत्म हो चुका है। 

मंदिर-मंदिर राम-नाम की अलख जगा रही रामजी की टोली

हमारी सनातन परंपरा में प्रत्येक भारतीय को प्रात: उठते ही धरती को माथे पर लगाने की परंपरा रही है। जो कमोबेश आज भी है। पाश्चात्य संस्कृति ने हमारी वेशभूषा, रहन-सहन और सोच पर जबरदस्त कुठाराघात किया है

देश में गणेश चतुर्थी की धूम, ट्राईसिटी में भी हो रही गणपति बप्पा की जय

गणेश जी की आराधना के लिए चतुर्थी पर्व की अपनी धार्मिक और सामाजिक महिमा है। कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई के समय बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के मकसद से इस पर्व के आयोजन की शुरुआत की थी। 

मनुष्य के अंदर व्याप्त अज्ञानता को नष्ट करती है शिवरात्रि

बीके पूनम के अनुसार परमात्मा ज्योति बिंदु शिव प्रत्येक कल्प में एक बार कलयुग के अंत और सतयुग के आदि के संगम समय पर आकर पुन: आसुरी समाज का विनाश कर देव समाज की स्थापना करते हैं।

आप जिसे ‘मेरा शरीर’ कहते हैं, वह इस धरती का एक हिस्सा है

जब मैं गाँवों में जा कर उन लोगों को देखता हूं, जिन्हें अपनी रोटी कमाने के लिए रोज कड़ी मेहनत करनी होती है, फिर मैं उन्हें समय निकाल कर यह काम करते देखता हूँ, तो मेरी आँखें नम हो जाती हैं, क्योंकि ये उन लोगों में से नहीं, जिन्हें जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ पता हो। ये उन लोगों में से नहीं, जो ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानते हैं। 

श्रीकृष्ण संपूर्ण हैं, तेजोमय हैं, ब्रह्म हैं, ज्ञान हैं, सुविचार के साथ हैं

हर युग का समाज हमारे सामने कुछ सवाल रखता है। श्रीकृष्ण ने उन्हीं सवालों के जवाब दिए और तारनहार बने। आज भी लगभग वही सवाल हमारे सामने मुंह खोले हैं। श्रीकृष्ण के चकाचौंध वाले वंदनीय पक्ष की जगह अनुकरणीय पक्ष पर दियाा जाए ध्यान। 

Advertisement