प्रश्न काल

हत्याओं का मकसद कश्मीरी पंडितों की वापसी की कोशिशों को नाकाम बनाना

घाटी में महज डेढ़ घंटे के अंदर तीन आतंकी हमलों में तीन हत्याएं कर दी गईं

06 अक्टूबर, 2021 05:55 PM
जम्मू- कश्मीर का अमन तब सही मायने लौटेगा जब यहां कश्मीरी पंडित भी लाैटेंगे। फोटो

इसहफ़्ते न्यूज /एजेंसी. श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद जिस प्रकार शांति का माहौल कायम हो रहा है, उसे प्रभावित करने के लिए आतंकियों ने नया खेल खेला है। घाटी में महज डेढ़ घंटे के अंदर तीन आतंकी हमलों में तीन हत्याएं कर दी गईं। इन हत्याओं के बाद इसका अंदाजा और आशंका लगाना मुश्किल नहीं है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों को निशाना बनाना शुरू करके घाटी के हिंदु-मुस्लिमों के बीच बन रहे सौहार्दपूर्ण माहौल को खराब करने की चाल चली है।

विश्व मंच पर बुरी तरह डांट और फटकार खा चुके पाकिस्तान के आकाओं को अब घाटी के कश्मीरी पंडित आसान शिकार नजर आ रहे हैं। आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता है और वे यह बात मुस्लिम लोगों को मार कर साबित करते आए हैं, लेकिन अब अगर कश्मीरी पंडित भी उनके निशाने पर हैं तो उनका इरादा ज्यादा से ज्यादा नुकसान करके घाटी के सौहार्द को खत्म करने का है।

लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले आतंकी संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जम्मू कश्मीर ने श्रीनगर में मशहूर कश्मीरी हिंदू दवा विक्रेता मक्खन लाल बिंदरु और बिहार से रोजीरोटी कमाने आए गोलगप्पे की रेहड़ी लगाने वाले वीरेंंद्र पासवान की हत्या कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी और बाहर से रोजगार कमाने के लिए आ रहे लोगों को रोकने की एक बड़ी साजिश नजर आती है। यह दोनों ही हत्याएं कश्मीर को मुख्यधारा से अलग-थलग रखने के लिए इस्लामिक कट्टरपंथियों की कुत्सित और घिनौनी हरकत है।

मक्खन लाल बिंदरु उन गिने चुने कश्मीरी हिंदुओं में एक थे, जिन्होंने आतंकवाद के चरम के दौरान धमकियों के बाद भी कश्मीर नहीं छोड़ा था। जिस दुकान पर उनकी हत्या की गई, वह उन्होंने करीब 10 साल पहले ही शुरू की थी। मक्खन लाल बिंदरु कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं का चेहरा थे, क्योंकि वे कश्मीरी हिंदू समाज के चंद पुराने संभ्रात और गणमान्य लोगों में एक थे।

दैनिक जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पनुन कश्मीर के अध्यक्ष डा. अजय चुरुंगु कहते हैं, बीते सप्ताह दक्षिण कश्मीर में हमारे मंदिर में तोड़फोड़ होती है। फिर हमारे समुदाय के एक सम्मानित व्यक्ति को आरएसएस का एजेंट बताकर श्रीनगर में उसकी दुकान पर कत्ल कर दिया जाता है। यह हत्याएं कश्मीरी पंडितों की वापसी की कोशिशों को नाकाम बनाने के लिए ही हैं। अनंतनाग में करीब एक हजार कश्मीरी हिंदुओं ने अपने खेत-खलिहान और मकानों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने का आग्रह किया है।

वहीं कश्मीर मामलों के जानकार और जम्मू कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजात जम्वाल ने कहा कि बीते डेढ़ साल में आतंकियों के निशाना बने मक्खन लाल बिंदरु चौथे कश्मीरी हिंदू हैं। विरेंद्र पासवान चौथा ऐसा व्यक्ति है जो कश्मीर में अन्य राज्य से रोजीरोटी कमाने आया और आतंकियों के हाथों मारा गया। सभी की जिंदगी है, लेकिन बिंदरु की हत्या के मायने खास हैं। उनकी हत्या उन सभी कश्मीरियों को डराने के लिए है जो अपने पुश्तैनी मकानों, खेत-खलिहानों पर हुए कब्जों को हटवाकर वापस कश्मीर लौटने का मूड बना रहे हैं।

प्रो हरि ओम कहते हैं- वीरेेंद्र पासवान और उससे पहले सतपाल नामक एक व्यापारी और कृष्णा ढाबा मालिक आकाश मेहरा की हत्या हुई है। तीन और बाहरी लोगों की हत्या बीते साल हो चुकी है। इन सभी हत्याओं का पैटर्न एक था और हत्या करने वाले आतंकियों के मुताबिक यह सभी राष्ट्रवाद को कश्मीर में आगे बढ़ा रहे थे व संघ परिवार से जुड़े थे। यह लोग कश्मीर में हिंदुओं को बसाने में लगे थे। इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं।

घाटी के संबंध में एक गलत धारणा देश और दुनिया के मन में यह रही है कि यह इलाका मुस्लिमों को समर्पित है। दरअसल, कश्मीरी पंडितों ने इस जगह को अपने रक्त से सींचा है और वे इसे महफूज रखते आए हैं, उन हाथों से जोकि घाटी की पवित्रता को नष्ट कर उसे अपने में समेट लेना चाहते हैं। नब्बे के दशक में घाटी में आतंकी वारदातों में कश्मीरी पंडितों ने जो भुगता वह अब इतिहास में दर्ज है, लेकिन वे ही कश्मीरी पंडित जब वापस घाटी लौटने लगे हैं, तो उन्हें गोली मारी जा रही है और उन्हें घाटी से दूर रहने को कहा जा रहा है।

 

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