प्रश्न काल

पंजाब कांग्रेस के नए प्रभारी हरीश चौधरी को मिली कांटों वाली राह

कैप्टन अमरिंदर के पार्टी छोड़ने के ऐलान, विधायकों के पाला बदलने, सिद्धू-चन्नी विवाद समेत नए उम्मीदवारों के चयन की रहेगी भारी सिरदर्दी

22 अक्टूबर, 2021 08:28 PM
हरीश चौधरी ने पिछले कुछ दिनों में सिद्धू और चन्नी के बीच मतभेद कम करने में भूमिका निभाई है। file photo

इसहफ्ते न्यूज . चंडीगढ़

पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी अलग पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके हैं, जिसका सीधा मतलब यह है कि वे कांग्रेस छोड़ने जा रहे हैं। वहीं इस्तीफा देने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष का कामकाज देख रहे नवजोत सिंह सिद्धू और मुुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच भी छत्तीस का आंकड़ा कायम हो चुका है।

पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत की हाईकमान से यह मांग स्वीकृत हो गई कि उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए क्योंकि उन्हें उत्तराखंड में पार्टी की गतिविधियों पर फोकस करना है। इसके बाद राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को प्रदेश प्रभारी बनाया गया है। वे चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कामकाज भी देखेंगे। चौधरी पंजाब कांग्रेस में आंतरिक कलह के दौरान काफी सक्रिय थे और उन्हें राहुल गांधी का नजदीकी माना जाता है। हालांकि हरीश चौधरी के लिए भी प्रदेश कांग्रेस के नेताओं को साथ लेकर चलना आसान नहीं रहने वाला। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी अलग पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके हैं, जिसका सीधा मतलब यह है कि वे कांग्रेस छोड़ने जा रहे हैं। वहीं इस्तीफा देने के बावजूद प्रदेश अध्यक्ष का कामकाज देख रहे नवजोत सिंह सिद्धू और मुुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बीच भी छत्तीस का आंकड़ा कायम हो चुका है।


वेणुगोपाल ने जारी किया चौधरी के नाम का पत्र
अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरकार ने अपनी कमर कस ली है, लेकिन पार्टी संगठन के स्तर पर अभी इसमें लेटलतीफी ही नजर आ रही है। ऐसे में नए प्रदेश प्रभारी के पास काफी काम रहने वाला है और चुनौतियां भी उनका पीछा नहीं छोड़ने वाली। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हरीश चौधरी की नियुक्ति की। वेणुगोपाल ने यह भी कहा कि पार्टी, महासचिव के तौर पर रावत के योगदान की सराहना करती है। वहीं हरीश रावत को उत्तराखंड चुनाव के मद्देनजर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और प्रभारी पद से भी हटाया गया है। हालांकि उन्हें कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य बनाए रखा गया है। उत्तराखंड चुनाव में व्यस्तता की वजह से ऐसा किया गया है।


आखिर हरीश चौधरी को क्यों चुना गया
हरीश चौधरी राजस्थान कांग्रेस के प्रभावी नेता हैं। बीते समय जब प्रदेश पंजाब कांग्रेस में कलह चरम पर पहुंच गई थी, तब राहुल गांधी के दूत बनकर वे पंजाब पहुंचे थे और प्रदेश के नेताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। पूर्व महासचिव और 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान पंजाब मामलों के प्रभारी रह चुके हरीश चौधरी  ने पिछले कुछ दिनों में सिद्धू और चन्नी के बीच मतभेद कम करने में भूमिका निभाई है। ऐसी भी चर्चा है कि चौधरी ने कैप्टन को हटाने के लिए जमीन तैयार की थी। हालांकि, खुद उन्होंने इसे बेबुनियाद बताते हुए कहा था कि पंजाब कांग्रेस में उनकी कोई भूमिका नहीं है।


चौधरी ने किया सिद्धू के इस्तीफे को मैनेज
हरीश चौधरी ने नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे को मैनेज करने में अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल, सिद्धू इकबाल प्रीत सिंह को डीजीपी और एपीएस देओल को महाधिवक्ता बनाने से नाराज थे। यह नाराजगी इतनी बढ़ी कि सिद्धू ने अचानक इस्तीफा देकर कांग्रेस हाईकमान को सकते में डाल दिया लेकिन हरीश चौधरी ने पूरे मामले को बेहतरीन ढंग से मैनेज किया। चौधरी राजस्थान सरकार में राजस्व मंत्री हैं, कांग्रेस को उम्मीद है कि पंजाब कांग्रेस प्रभारी बनाने के बाद राजस्थान की सीमा से सटी पंजाब की विधानसभा सीटों पर पार्टी को इसका फायदा मिलेगा।  


बहुत काम करने होंगे चौधरी को
हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी तो बना दिया गया, लेकिन उनके सामने चुनौती भी कम नहीं हैं। पार्टी में उपजे असंतोष को खत्म करना ही सबसे बड़ी चुनौती है। पार्टी में कई नेता नाराज हैं तो वहीं सिद्धू की तल्खी भी कम नहीं है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद सिद्धू की नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से भी नहीं बन रही। कई मौकों पर उन्होंने अपनी ही सरकार की आलोचना की। सोनिया गांधी के मना करने के बाद भी सिद्धू ने अपने 13 सूत्रीय एजेंडे वाला पत्र सार्वजनिक कर दिया। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी में एक बार फिर असंतोष पनप सकता है। टिकट बंटवारे में भी कई नेताओं की नाराजगी सामने आएगी। सिद्धू और चन्नी के बीच तल्खी को कम करना भी हरीश चौधरी के सामने बड़ी चुनौती है।


कांग्रेस के लिए कैप्टन अब भी संकट
कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह आने वाले दिनों पार्टी की मुश्किलों को बढ़ा सकते हैं। कैप्टन अगले महीने अपनी नई पार्टी का ऐलान करेंगे। वे कह चुके हैं कि कई कांग्रेस विधायक उनके संपर्क हैं। विधानसभा चुनाव से पहले कई विधायक कांग्रेस से बगावत कर सकते हैं। कई विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह के पीछे आ सकते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के बड़े नेता हैं और उनका अपना जनाधार है। कृषि कानूनों के समाधान की दिशा में भाजपा ने भी कदम बढ़ाए हैं वहीं कैप्टन भी भाजपा के साथ इसी गर्ज से साथ आ रहे हैं कि इन कानूनों के जरिए किसानों को साधा जाए। ऐसे में कृषि कानूनों का हल निकला और किसान आंदोलन खत्म हुआ तो यह कैप्टन और उनकी पार्टी को मजबूती देगा। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी में बगावत को रोकना हरीश चौधरी की बड़ी जिम्मेदारी होगी। 

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