प्रश्न काल

न रेप के मामले कम होंगे और न ऐसे बयान, नेतृत्वकर्ता यह गंदगी साफ करने का साहस करेंगे?

यह राजनीतिक गंदगी कैसे साफ होगी, कांग्रेस के विधायक विधानसभा में ऐसे लज्जित करने वाले बयान देते हैं तो भाजपा का एक विधायक दुष्कर्म में सजा काट रहा है

18 दिसंबर, 2021 02:07 PM
लेकिन देश के लोगों को यह जान लेना चाहिए कि ऐसे बयानों के जरिए हम रेप जैसे जघन्य अपराध की गंभीरता को कम होते देख रहे हैं। फोटो वेब मीडिया

इसहफ्ते न्यूज .

कर्नाटक की जनता को इसका संज्ञान लेना चाहिए। हालांकि यह भी जरूरी है कि इस पर राजनीति न हो। क्योंकि कांग्रेस विधायक अगर रेप पर दुर्भाग्यपूर्ण बयान दे रहा है तो भाजपा का एक विधायक रेप के मामले में ही सजा काट रहा है। यानी यह सामाजिक गंदगी हर पार्टी में है और इसे साफ किया जाना जरूरी है। क्या हमारे नेतृत्वकर्ता इसका साहस करेंगे?

अगर उस जगह जोकि कानून बनाने की स्थली हो, ऐसे शब्दों और लहजे में बात होगी तो अपराधियों के हौसले बुलंद होने से कौन रोक सकता है। रेप एक जघन्य अपराध है, जोकि किसी पीडि़ता के मान-सम्मान और शरीर नहीं अपितु उसकी आत्मा को भी कुचल देता है, बावजूद इसके एक वरिष्ठ विधायक का कनार्टक विधानसभा में ऐसा घटिया बयान जिसे लिखा जाना भी शर्मनाक है, शर्म और हया का दिनदहाड़े कत्ल है। आखिर ऐसे बयान के लिए माफी मांगना क्या औचित्य रखता है। कांग्रेस उत्तर प्रदेश में लड़की हूं, लड़ सकती हूं, अभियान चला रही है। अब उसके नेताओं की ओर से कर्नाटक विधानसभा में पार्टी विधायक केआर रमेश कुमार के दिए बयान की निंदा की जा रही है, वहीं उनके द्वारा माफी मांगने के साथ ही इस मसले को खत्म मान लेने की दलील दी जा रही है। लेकिन क्या विधायक के माफी मांगने और कांग्रेस नेताओं की ओर से बचाव में दलील दिए जाने से यह मामला खत्म हो सकता है।

 

 

ऐसा बयान और फिर माफी का ढोंग

क्या यह किसी नेता, विधायक और राजनीतिक दल की कार्यप्रणाली और उसकी सोच से नहीं जुड़ गया है। बेशक, आज का माहौल वैचारिक रूप से बेहद अदुषित और गैरकानूनी हो गया है, उम्रदराज लोग भी ऐसे बयान देकर बेहद ओच्छे तरीके से माफी मांगने का नाटक करते हैं, लेकिन अगर ऐसे लोगों की गलती की अनदेखी उनके माफी मांगने से कर दी जाएगी तो फिर समाज में सही और सकारात्मकता का नाश हो जाएगा। यह समय बुराई से अंतिम सांस तक लड़ने का है। देश में न रेप के मामले कम होंगे और न ही ऐसे विधायकों के बयान। लेकिन देश के लोगों को यह जान लेना चाहिए कि ऐसे बयानों के जरिए हम रेप जैसे जघन्य अपराध की गंभीरता को कम होते देख रहे हैं। किसी के साथ इस अपराध के घटने के बाद उसके समक्ष जिंदा रहने की चुनौती होती है, क्योंकि वह अपराध उसके साथ एकबार घटा हो, लेकिन फिर अपराधियों को सजा दिलाने के लिए कोई महिला अगर खड़ी होती है तो फिर हर पल और हर जगह उसके साथ रेप होता है। पुलिस के, डॉक्टरों के, वकीलों के और हर उस शख्स के चुभते सवाल उसे रेप जैसी ही मानसिक अवस्था से गुजारते हैं, जकि आरोपियों को सजा दिलाने की प्रक्रिया के दौरान सामने आते हैं।

 

यह विषय राजनीतिक फायदा कमाने का नहीं

देश की संसद में विधायक के बयान को लेकर हंगामा हुआ है, भाजपा सांसदों और मंत्रियों को इसके जरिए कांग्रेस पर वार करने का अवसर मिल गया है, हालांकि यह विषय राजनीतिक फायदा कमाने का नहीं है। विधायक ने विधानसभा में खड़े होकर यह बात कही है, ऐसे में उन पर पुलिस केस भी दर्ज नहीं हो सकता। लेकिन क्या विधानसभा अध्यक्ष की ओर से संबंधित विधायक पर कड़ी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इस बयान को जब विधायक दे रहे थे तो विधानसभा स्पीकर भी हंसते हुए नजर आ रहे हैं। आखिर उनकी चेतना को क्या हो गया था, क्या यह कोई चुटकुला था, जिसे सुनते हुए आनंद लिया जाए। आखिर स्पीकर को उसी समय संबंधित विधायक को नहीं टोकना चाहिए था कि आपको ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्या रेप की प्रत्येक राज्य में अलग-अलग व्याख्या है और कहीं यह जघन्य तो कहीं इसे आनंद लेने का विषय बना दिया गया है।

 

विधायक का बयान पीड़िताओं का घोर अपमान

विधायक केआर रमेश कुमार का यह बयान उन पीड़िताओं का घोर अपमान है, जोकि दुष्कर्म की वारदात का आघात झेल रही हैं। यह कितना हास्यास्पद है कि कांग्रेस महासचिव ने कहा है कि वे इस बयान की निंदा करती हैं, यह समझ से परे है कि कोई कैसे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है। इसका बचाव नहीं किया जा सकता। हालांकि कांग्रेस महासचिव ऐसे बयान से ही इस मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करेंगी, न विधायक को नोटिस जारी होगा, न उनसे जवाब मांगा जाएग और न ही उन्हें पार्टी से बाहर करने का साहस दिखाया जाएगा।

 

2019 में हुआ रेप के आरोपियों का एनकाउंटर

गौरतलब है कि वर्ष 2019 में दिसंबर महीने में ही तेलंगाना के हैदराबाद में एक एनिमल डॉक्टर के साथ रेप के मामले में पुलिस ने आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया था, हालांकि इसे अपराधियोंं के बचकर भागने के रूप में दिखाया गया था, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्हें ऑन द स्पॉट उनके किए की सजा दी गई थी। दिल्ली में निर्भया रेप केस के बाद दुष्कर्म मामलों को लेकर जैसी प्रतिक्रियाएं सामने आई थी, उनसे लग रहा था कि अब ऐसे अपराध के संबंध में सोचते हुए भी अपराधी खौफ खाएंगे, बाद में इस केस के दोषियों को फांसी हुई, लेकिन लगता है जैसे समाज कुछ नहीं सीखता है। उन गुंडों के संबंध में तो क्या उम्मीद की जा सकती है जोकि ऐसी वारदातों को अंजाम देकर फिर अपने बचाव में वकीलों की फौज खड़ी कर लेते हैं, लेकिन उस विधायक से भी क्या इसकी आशा की जा सकती है जोकि ऐसे घृणित अपराध को लेकर विधानसभा में खड़ा होकर ऐसे अमर्यादित आचरण का परिचय दे रहा है।

 

समाज क्यों स्वीकार कर रहा ऐसे विधायक को

दरअसल, यह मामला किसी भी तरीके से माफी मांगने और देने का नहीं है। विधायक के ऐसे वीडियो भी सामने आए हैं, जिसमें वह बेहद ओच्छे तरीके से मीडिया के सवालों की अनदेखी करते हुए विधानसभा के अंदर जा रहा है। अगर सच में वह शर्मिंदा होता तो शायद ही इस तरीके से पेश आए। भारत एक देश है लेकिन एक बहुभाषी और बहुसंस्कृति का समाज भी है, आखिर एक समाज अगर रेप जैसे अपराध को इतने हल्के में लेने वाले अपने नेता को स्वीकार कर रहा है तो यह उस पर भी सवाल है। कर्नाटक की जनता को इसका संज्ञान लेना चाहिए। हालांकि यह भी जरूरी है कि इस पर राजनीति न हो। क्योंकि कांग्रेस विधायक अगर रेप पर दुर्भाग्यपूर्ण बयान दे रहा है तो भाजपा का एक विधायक रेप के मामले में ही सजा काट रहा है। यानी यह सामाजिक गंदगी हर पार्टी में है और इसे साफ किया जाना जरूरी है। क्या हमारे नेतृत्वकर्ता इसका साहस करेंगे?

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