GBP ROSEWOOD ESTATE DERABASSI : डेराबस्सी : एक सीधा सवाल हर उस व्यक्ति से है, जोकि इस आर्टिकल को पढ़ेगा। क्या एक पेड़ को किसी के प्रति रंजिश का जरिया बनाया जा सकता है? एक पेड़ भगवान का ऐसा आशीर्वाद है, जोकि पलता है, बढ़ता है और फिर अपनी शाखाओं को फैलाते हुए छाया देता है, फल-फूल देता है। हालांकि उस सोच को क्या कहा जाएगा जब उस पलते-बढ़ते हरे-भरे पेड़ को कटवा कर उसे ठूंठ बना दिया जाए। और कुंठित मानसिकता के लोग उसके आसपास खड़े होकर उस पर हो रहे इस अत्याचार का आनंद लें।
एक माह पहले तक पत्तों से लदा था यह पेड़
यह कहानी कदंब के उस पेड़ की है, जोकि शायद जुलाई के आखिरी दिनों तक हरा-भरा था। अपनी लंबी टहनियों पर दर्जनों बड़े-बड़े हरे पत्तों के साथ सुशोभित हो रहा था, लेकिन अब वह एक ठूंठ के अलावा कुछ नहीं रहा है। बेशक, प्रकृति है और उसका काम नूतन को जन्म देते रहने का है। इस कदंब के पेड़ के साथ भी यह हो रहा है। उसे किसी की कुंठित मानसिकता ने तो ठूंठ बना दिया लेकिन अब उसमें फिर से कुछ पत्ते निकलने शुरू हो गए हैं। वे नन्ही टहनियां जैसे उस पेड़ को दिलासा दे रही हैं कि चिंता मत करो, हम फिर बढ़ेंगी और एक दिन फिर वैसी ही हरियाली यहां बिखरेगी।
कहानी पढ़ने से पहले यह समझें कदंब है क्या
इस कहानी को कुछ आगे बढ़ाने से पहले बताते चलें कि कदंब का पेड़ एक पौराणिक वृक्ष है। हमारे धर्म ग्रंथों में इसका विवरण है कि भगवान श्रीकृष्ण यमुना नदी के किनारे इन्हीं कदंब के पेड़ों की छाया में बैठकर बंसी बजाया करते थे। कहा जाता है कि कदंब के पेड़ को भगवान श्री हरि का आशीर्वाद प्राप्त है, इसके पत्ते, इसके फूल, इसकी सूखी लकड़ी, जड़ आदि सबकुछ पवित्र है और इनकी किसी स्थल पर मौजूदगी ही उस जगह को पवित्र बनाए रखने में सक्षम है। हालांकि अब कलयुग के समय में जब धर्म की हर तरह से हानि हो रही हो, तब एक कदंब के पेड़ के महत्व को कौन समझेगा। और सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि अगर उसके आसपास कुंठित सोच का वास हो तो फिर वह पेड़ अपनी रक्षा के लिए भगवान से ही प्रार्थना कर सकता है, कोई इंसान तो उसे बचाने आने से रहा।
यह है पूरा घटनाक्रम
जीबीपी रोजवुड इस्टेट-2 के एस्टोनिया होम्स में फ्लैट संख्या 1344 (SF) के ओनर पत्रकार भारत भूषण ने बताया कि उनके फ्लैट के रोड बर्म पर पार्किंग एरिया से हटकर 15 अगस्त 2022 को उन्होंने कदंब का यह पौधा लगाया था। इस पौधे को उन्होंने अपनी संतान की तरह पाला-पोसा और इसकी देखरेख की। इस पौधे ने दो सालों के अंदर इतनी ग्रोथ हासिल कर ली थी कि यह सेकंड फ्लोर की बालकनी को छूने लगा था। इसकी शाखाएं इसके चारों तरफ फैल गई थीं और उनसे जहां यहां हरियाली बढ़ गई थी, अपितु उनसे गर्मियों में छाया हो रही थी। इस पौधे को यहां से गुजरने वाले लोग पसंद करते थे अपितु आसपास का माहौल भी इससे खुशगवार हो गया था।
शिफ्ट हुए तो हो गई कायराना वारदात
भारत भूषण बताते हैं कि बीती 2 मई को वे यहां से चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए हैं और वे अब यहां सिर्फ अपने फ्लैट को संभालने के लिए आ रहे हैं। वे जब यहां आते हैं तो अपने लगाए पेड़ और फ्लैट की फोटो लेते हैं। 24 जुलाई 2024 को जब वे यहां आए तो कदंब का यह पेड़ सही-सलामत था और पहले से कुछ और ग्रोथ हासिल कर चुका था। लेकिन इसके बाद 28 अगस्त 2024 को अपने फ्लैट पर आए तो यह देखकर दंग रह गए कि कदंब के इस पेड़ को काटकर इसे ठूंठ बना दिया गया है। यह अपने आप में हैरान करने वाली घटना थी क्योंकि सोसायटी में आसपास के बाकी पेड़-पौधों को छुआ तक नहीं गया था।
इसे देखकर किसी की सोच पर आता है तरस
कदंब के इस ठूंठ बना दिए गए पेड़ को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता कि किसी के दिमाग में कितनी गंदगी भरी होगी। उसने रंजिश के तहत उकसावे के लिए इस कारनामे को अंजाम दिया है। रेजिडेंट भारत भूषण के अनुसार उनकी जानकारी में आया है कि किसी ने इस बारे में आरडब्ल्यूए मेंं जाकर अपने दिल का दुख रोया है कि किसी से उसे कितनी तकलीफ है और उस तकलीफ को ठंडा करने के लिए उसे आरडब्ल्यूए की मदद चाहिए। इसके बाद उसके कहे पर आरडब्ल्यूए की ओर से क्रेन और कारिंदे मुहैया कराए गए, जिन्होंने वहां जाकर कदंब के पेड़ को ठूंठ बना दिया। हैरानी इसकी भी है कि सोसायटी की चौधर की चाबी रखने वालों ने यह तक जानने की कोशिश नहीं की कि क्या सच में एक हरे-भरे पेड़ को ऐसे निर्दयी होकर कटवाने की जरूरत है कि उसकी चोटी पर एक शाखा तक न बचे? क्या इस तरह से सोसायटी को चलाया जा रहा है? यह अपने आप में बेहद अमानवीय और दुत्कारने लायक है।
सोसायटी में बाकी पेड़-पौधों को छुआ तक नहीं ?
रेजिडेंट भारत भूषण के अनुसार क्या यह समझा जाए कि इस पेड़ की प्रूनिंग की गई है। अगर यह प्रूनिंग है तो क्या इसकी सच में जरूरत थी? अगर प्रूूनिंग भी की जानी है तो उस पेड़ पर कुछ तो टहनियां छोड़ दी जाएं। उसकी चोटी को तो नुकसान नहीं पहुंचाया जाए जिसके जरिये उस पौधे या पेड़ को और विकसित होना है। हालांकि यहां तो कोई क्रेन लेकर पहुंचा और अपनी नजरों के सामने उस कुंठित सोच के बंदे ने कदंब के पेड़ की न केवल शाखाएं अपितु उसकी मुख्य चोटी तक कटवा दी। पता नहीं यह पेड़ कैसे उसकी काली नजरों से बच गया वरना यह भी हो सकता था कि उसे जड़ से ही कटवा दिया जाता। रेजिडेंट ने आरोप लगाया कि इस पेड़ को खत्म करने की अब साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि पता नहीं किस बात की कुंठा में यहां कुछ लोग उनके पीछे पड़े हैं, बीते पांच-छह सालों के अंदर उनकी घटिया मानसिकता रह-रहकर उजागर हो रही है। हालांकि अब तो यही कहना पड़ेगा कि एक पेड़ पर कुल्हाड़ी चलाने के बजाय सीधे उस पर ही कुल्हाड़ी चलाकर अपनी कुंठा को शांत कर लो।
कायरों ने उठाया गैरहाजरी का फायदा
रेजिडेंट भारत भूषण ने बताया कि सबसे हैरानी की बात यह है कि कायरों ने उनकी गैरहाजरी का फायदा उठाया है। उनके यहां रहते कभी किसी की हिम्मत एक पत्ता तक तोड़ने की नहीं हुई, लेकिन यहां से शिफ्ट होते ही असामाजिक तत्वों का हौसला इतना बढ़ गया है कि वे इस प्रकार किसी व्यक्ति द्वारा किए गए नेक कार्यों को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे और एक निर्दोष पेड़ पर कुल्हाड़ी चलवाकर अपनी सोच, अपने कैरेक्टर और अपने पूरी जिंदगी का सच इस प्रकार से बीच सड़क उघड़वा रहे हैं।
पंजाब सरकार से की है शिकायत, न्याय के लिए लड़ेंगे
रेजिडेंट भारत भूषण ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में रोजवुड-2 की आरडब्ल्यूए को ईमेल करके इस पूरे घटनाक्रम की शिकायत की है। इस बारे में 4 सितंबर 2024 को एक ईमेल की गई थी, जिसका जवाब नहींं मिला। इस ईमेल में पूरा वाक्या बताते हुए यह पूछा गया है कि आखिर किन कारणों से इस हरे-भरे पेड़ को यूं काटकर ठूंठ बना दिया गया। वहीं यह भी पूछा गया है कि आखिर वह कौन है, जिसने इस संबंध में आरडब्ल्यूए में जाकर यह कहा कि कदंब के उस पेड़ को काटने की जरूरत है। क्योंकि उपलब्ध फोटो के अनुसार उस पेड़ से आसपास में किसी को भी कोई परेशानी नहीं हो रही थी। फिर उसे काटने की जरूरत क्यों आ पड़ी। ऐसा भी नहीं था कि उससे बिल्डिंग को ही नुकसान पहुंच रहा था, अब अपने बचाव में चाहे कोई कुछ भी वाहियात बहाने बनाए लेकिन यह साबित बात है कि किसी कुंंठा के तहत इस हरे-भरे पेड़ को यूं नुकसान पहुंचाया गया है।
जांच के लिए निर्देशित किया जा चुका
रेजिडेंट भारत भूषण के अनुसार आरडब्ल्यूए से जवाब न मिलने पर उन्होंने एक रिमाइंडर ईमेल 15 सितंबर 2024 को आरडब्ल्यूए के ईमेल एड्रेस पर पुन: भेजा था, जिसे सीएमओ पंजाब को सीसी किया गया है। इस रिमाइंडर ईमेल का भी 23 सितंबर 2024 तक आरडब्ल्यूए की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। अब यह और बात है कि इस दौरान सीएमओ पंजाब की ओर से इस पूरे मामले की जांच के लिए स्थानीय निकाय विभाग को निर्देशित किया जा चुका है। रेजिडेंट भारत भूषण के अनुसार वे इस मामले में न्याय के लिए लड़ेंगे और दोषियों को उनके किए की सजा दिलवा कर रहेंगे।