राष्ट्रीय

लखीमपुर खीरी हिंसा : सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फिर फटकार, कहा- आपको सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह ही मिले

सरकार को सभी गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने के आदेश, गवाहों के बयान तेजी से लेने को भी कहा

26 अक्टूबर, 2021 01:00 PM
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी गवाहों के बयान दर्ज करने में हो रही देरी को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई थी।

इसहफ्ते न्यूज. एजेंसी/ नई दिल्ली

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है। 

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फिर यूपी सरकार को फटकार लगाई और पूछा कि घटनास्थल पर हजारों की भीड़ थी, फिर भी अब तक 23 ही चश्मदीद गवाह क्यों मिले हैं। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया और यह भी निर्देश दिया कि गवाहों के बयान तेजी से दर्ज किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट में लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अदालत की निगरानी में स्वतंत्र जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई की। अब इस मामले की सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

23 ने ही कार के अंदर और बाहर लोगों को देखा
दैनिक हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है। इस पर सीजेआई ने कहा कि वहां पर बड़े पैमाने पर किसानों की रैली चल रही थी, सैकड़ों किसान मौजूद थे, तो क्या केवल 23 चश्मदीद मिले? इसके बाद साल्वे ने बताया कि लोगों ने कार और कार के अंदर मौजूद लोगों को देखा है।

तो गवाहों की पहचान में दिक्कत क्यों
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि घटनास्थल पर 4000-5000 लोगों की भीड़ थी, जो सभी स्थानीय लोग हैं और यहां तक कि घटना के बाद भी अधिकांश आंदोलन कर रहे हैं। कोर्ट को यही बताया गया है। फिर इन लोगों की पहचान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। वहीं, हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अब तक जितने गवाहों के बयान दर्ज हैं, उनके बयान यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मामले से जुड़े गवाहों के बयान दर्ज करने और जिला न्यायाधीश से न्यायिक मजिस्ट्रेट की सेवाएं लेने को कहा। साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से इलेक्ट्रोनिक साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार करने को लेकर उसकी चिंताओं से फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं को अवगत कराने और इसमें तेजी लाने को कहा।

पिछली सुनवाई पर हुआ था यह
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भी गवाहों के बयान दर्ज करने में हो रही देरी को लेकर यूपी सरकार को फटकार लगाई थी। यूपी सरकार की ओर से गवाहों के बयान जारी करने के लिए वक्त मांगे जाने के बाद कोर्ट ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया था, इसके बाद शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 26 अक्तूबर को करने का फैसला लिया था। बता दें कि इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। दो वकीलों की ओर से इस मामले में याचिका दायर कर हाई लेवल जांच की मांग किए जाने पर अदालत ने सुनवाई शुरू की थी।

3 अक्तूबर को घटी थी घटना
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में 3 अक्तूबर को आंदोलनकारी किसानों की एक एसयूवी से कुचलकर मौत हो गई थी। इसके बाद भडक़ी हिंसा में 4 और लोगों की मौत हो गई थी। इनमें एक स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप और भाजपा के तीन कार्यकर्ता शामिल थे। इस मामले ने इतना राजनीतिक तूल पकड़ा कि कई दिनों तक राज्य सरकार ने नेताओं की लखीमपुर खीरी में प्रवेश पर ही रोक लगा दी थी। हालांकि बाद में अखिलेश यादव, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी समेत कई नेता पीडि़त किसानों से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी पहुंचे थे।

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