गीत
बादल मेरे गांव भी आओ
पगड़ी टांगो
पीपल नीचे
ऊंट बिठाओ
मस्जिद पीछे
सूख रहे हैं ताल-तलाओ
फिर उनको भर जाओ
बादल मेरे गांव भी आओ
चौपालों में कथा सुनाओ
पिंजरे की मैना से बोलो
बनिया डंडी मार रहा है
दाल-नमक
अच्छे से तौलो
खोल के अपनी महंगी गठरी
सस्ती हाट लगाओ
बादल मेरे गांव भी आओ....
नीम की मीठी करो निबोली
सुलगाओ ठंडे चूल्हों को
मैदानों से धूप उठाकर
पेंगे भरने दो झूलों को
चुप-चुप हैं
बीजों में अंकुर
आल्हा ऊदल गाओ
बादल मेरे...
पगडंडी पर घास बिछाओ
दूध चढ़ाओ गाय के थन में
फाड़ के मुखिया के खाते को
चैन लिखो घर के आंगन में
प्यासी है
नदिया बेचारी
शीतल जल बरसाओ
बादल मेरे गांव भी आओ।
-निदा फाज़ली
उजला-उजला पूरा चांद से साभार