पंजाब

रेजिडेंट ने रोड बर्म पर गड्‌ढा भरने को कहा तो RWA ने मिलकर ठहरा दिया 'असामाजिक तत्व', पूरी सोसायटी में किसी ने नहीं जताई आपत्ति

परिवार सोसायटी के गुंडा तत्वों का पिछले कई साल से है भुगतभोगी, RWA में आकर और पावरफुल हुए असामाजिक तत्व, पूरी सोसायटी का माहौल कर चुके खराब

27 मार्च, 2024 07:42 AM
Derabassi GBP Rosewood estate 2

Derabassi GBP Rosewood estate 2 news : डेराबस्सी में बरवाला रोड पर स्थित रोजवुड इस्टेट-2 सोसायटी में उपद्रवी तत्वों की वजह से रहन-सहन दिन प्रति दिन बदतर होता जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि ग्रुप बनाकर दूसरे रेजिडेंट्स के प्रति खुन्नस निकाली जाती है, उन्हें झगड़े के लिए उकसाया जाता है। बार-बार ऐसी कोशिश की जाती है, जिसमें आखिरकार किसी को आवाज उठानी ही पड़ती है। जब कोई ऐसा करता है तो एक ग्रुप उसके खिलाफ सड़क पर उतर आता है और उसे परिणाम भुगतने की धमकी दी जाती है। ऐसे अपराधी तत्वों को बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के लोगों का संरक्षण हासिल है। उनकी हिम्मत अकेले यह करने की नहीं होती, लेकिन ग्रुप बनाकर इसे अंजाम दिया जाता है। यह सोसायटी टापू की भांति हो गई है, जिसका सच बाहर नहीं आ पा रहा। रेजिडेंट्स के अनुसार सोसायटी में कानून और कायदा नामक चीज कहीं नजर नहीं आती। अपराधी अपराध को अंजाम देकर खुलेआम सड़कों पर सैर-सपाटा करते दिखते हैं। न्याय की बात कहने वाला भी कोई नहीं है, सभी किसी के दबाव में दिखते हैं। एक सिविलाइज सोसायटी में क्या पानी, बिजली, पार्क आदि की ही जरूरत होती है, उस जगह पर लॉ का भी प्रभाव होना चाहिए लेकिन इस सोसायटी में आपराधिक तत्वों की तूती बोल रही है।

मेंटेनेंस वसूलने के लिए सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप पर मैसेज डाले जाते हैं, अब जो मेंटेनेंस पे नहीं कर रहे हैं, उनकी कोई वजह हो सकती है। लेकिन जो पे कर रहे हैं, अगर उन्हें सर्विस देने से मना किया जाए और उनकी अनदेखी करके किसी अन्य के कहे पर उस काम को आधा-अधूरा करा कर खानापूर्ति की जाए तो इसे क्या कहा जाएगा। एक सोसायटी के अंदर पानी, बिजली, पार्क, सफाई, सिक्योरिटी आदि के लिए ही मेंटेनेंस वसूला जाता है, लेकिन सोसायटी के अंदर पानी की सप्लाई बहुत बड़ी प्रॉब्लम है, खासकर ऊपर की मंजिलों में रहने वाले रेजिडेंट्स के लिए। उन्हें पानी की सप्लाई के लिए मोटर लगवानी पड़ रही हैं, अब पहले मोटर पर खर्च करो और उसके बाद मेंटेनेंस भी पे करो। इन सर्विस के लिए अगर किसी रेजिडेंट की ओर से आवाज उठाई जाती है तो उसे दबाने के लिए पूरा एक ग्रुप जुट जाता है।

 

जीबीपी मालिक भागे तो बनाई आरडब्ल्यूए

जीबीपी के मालिकों और उनकी मेंटेनेंस एजेंसी एजूरे के भागने के बाद रेजिडेंट्स ने एक आरडब्ल्यूए का गठन किया था। यह आरडब्ल्यूए अपने काम को सही तरीके से अंजाम दे रही थी, लेकिन इसका विरोधी ग्रुप दिन-रात इसी जुगत में रहता था कि किस प्रकार आरडब्ल्यूए के लोगों को परेशान किया जाए और रेजिडेंट्स को मेंटेनेंस पे न करने को लेकर भड़काया जाए। इस विरोधी ग्रुप ने अनाप-शनाप मैसेज डालकर आरडब्ल्यूए के लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हालांकि कुछ समय बाद विरोधी गुट को अपने मंसूबे पूरे करने का मौका मिल गया, जब आरडब्ल्यूए के लोग खुद ही काम छोड़ गए।

 

तथाकथित प्रधान पर पक्षपात का आरोप

इस समय अजय सिंह नामक व्यक्ति आरडब्ल्यूए का प्रधान बना हुआ है। यह व्यक्ति पुरानी आरडब्ल्यूए के ओहदेदारों एवं अन्य सदस्यों के संबंध में अनाप-शनाप मैसेज डालकर उन्हें खूब परेशान करता था। उस समय सोसायटी के तमाम लोग बताते थे कि अजय सिंह नामक व्यक्ति किस प्रकार उन्हें काम करने से रोक रहा है और दूसरे रेजिडेंट्स को भड़का रहा है। अब जब खुद वह बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए का तथाकथित प्रधान बनकर बैठा है तो सोसायटी के अंदर पक्षपात पूर्ण तरीके से काम करवा रहा है। सोसायटी में तमाम ऐसे लोग हैं, जोकि मेंटेनेंस पे नहीं कर रहे हैं, लेकिन अब इस बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए की ओर से रेजिडेंट्स को नोटिस भेजे जा रहे हैं। इन नोटिस में बकाया मेंटेनेंस का ब्योरा देने और रेजिडेंट को लीगल एक्शन की धमकी दी जाती है। इसके अलावा व्हाट्सएप पर भी सीधे मैसेज भेजकर धमकीनुमा अंदाज में बकाया मेंटेनेंस देने को कहा जाता है। हालांकि सोसायटी में न पूरा पानी ऊपरी मंजिलों पर रहने वाले रेजिडेंट काे मिल रहा है और न ही अन्य कोई सेवा। बावजूद इसके महीने के महीने पूरा मेंटेनेंस अदा करने को कहा जाता है। 

 

आरडब्ल्यूए को कर रखा है कैप्चर


रेजिडेंट यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर जिसने कभी खुद लोगों को मेंटेेनेंस पे न करने को उकसाया हो, वह अब कैसे मेंटेनेंस की डिमांड कर रहा है और नोटिस भेजकर लीगल एक्शन की धमकी दे रहा है। गौरतलब है कि मौजूदा बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के दो ऐसे लोग हैं, जिन पर मारपीट की धमकी देने, धाैंस जमाने, रास्ता रोकने, साजिश रचने और उसमें मिलीभगत के गंभीर आराेप हैं।  इन लोगों ने खुद के बचाव का यही जरिया बनाया है कि आरडब्ल्यूए को कैप्चर कर लिया। रेजिडेंट को धमकाना और उनके साथ बदसलूकी करना उनका शगल हो चुका है। व्हाट्सएप ग्रुप पर रेजिडेंट्स अगर सवाल करते हैं तो इसे उनकी बदतमीजी करार दिया जाता है। इसके बाद उस ग्रुप को बंद करके निवासियों के बोलने के अधिकार को छीन लिया जाता है। आरडब्ल्यूए को अपनी सैरगाह बना कर बैठेे ये लोग रेजिडेंट्स के पैसे से अपने नाम के होर्डिंग लगवा कर निवासियों के पैसे की बर्बादी कर रहे हैं। हालांकि किसी को भी होर्डिंग पर नाम पढ़कर उसे फोन करके बताने जैसी जरूरत कभी नहीं पड़ती, क्योंकि काम कराने में भारी पक्षपात हो रहा है। आरडब्ल्यूए जनेसवा का माध्यम हाेती है, लेकिन रोजवुड-2 में एक ऐसी तथाकथित आरडब्ल्यूए है, जिसका मकसद रेजिडेंट्स पर शासन करना हो गया है।  मामला यह भी है कि सोसायटी में चुनाव कराने का नाटक होता है, और फिर किसी अन्य के प्रत्याशी न बनने पर खुद को ही सर्वसम्मति से निर्वाचित करार दिलवा लिया जाता है। चुनाव के लिए कमेटी को भी इलेक्शन कमीशन का नाम दिया जाता है। यानी इलेक्शन भी खुद का और कमीशन भी खुद का। चुनाव में बाकी रेजिडेंट्स के आगे न आने की वजह यह भी बताई जाती है कि लोगों को पता है कि उन्हें कभी कामयाब नहीं होने दिया जाएगा और किस्मत से ऐसा हो गया तो उन्हें काम ही नहीं करने दिया जाएगा।

 

एक रेजिडेंट ने शिकायत दी तो यह हुआ

जुलाई 2023 में डेराबस्सी समेत पूरे इलाके में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए थे। बारिश का मौसम शुरू होने से पहले सोसायटी के 1344 सेकेंड फ्लोर में रहने वाले परिवार ने अपनी पार्किंग के रोडबर्म पर बड़े गड्ढे को ठीक करवाने का मैसेज बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के व्हाट्सएप ग्रुप में डाला था। उन्होंने बताया था कि बारिश का मौसम शुरू होने वाला है, छत से उतरने वाला बारिश का पानी सीधे उस गड्ढे में जाकर बिल्डिंग की नींव को डैमेज करेगा, इसलिए उसे ठीक कराया जाना चाहिए, लेकिन इस मैसेज को ग्रुप में डालकर वह परिवार मुश्किल में पड़ गया, क्योंकि उनके खिलाफ झुंड बनाकर अनाप-शनाप और शर्मनाक टीका-टिप्पणी की गई और उन्हें असामाजिक तत्व बताया गया। हालांकि उस परिवार को हैरानी इस बात की है कि उन्होंने तो सिर्फ एक गड्ढा भरवाने की मांग की थी, क्योंकि वे समय पर अपना मेंटेेनेंस अदा कर रहे थे, फिर यह काम करवाने के बजाय उन पर झुंड बनाकर इस तरह भड़ास क्यों निकाली गई। उस परिवार पर ऐसे व्यक्तिगत हमले क्यों किए गए? आखिर उस परिवार ने बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के तथाकथित ओहदेदारों के खिलाफ ऐसा क्या कर दिया और ऐसा क्या कह दिया कि पूरी सोसायटी में उस परिवार को अपमानित किया गया और उनके खिलाफ साजिश रची गई। वास्तव में यह काफी लंबी कहानी है, जिसे सोसायटी और इस पूरे देश के सामने जाहिर किया जा रहा है। इस मामले को उजागर करने का मकसद भी यही है कि वह सच सबके सामने लाया जाए, जोकि अभी तक छिपा हुआ है।

 

क्या हुआ था 3 जुलाई 2023 को

इस पूरे मामले को उजागर करने के पीछे मकसद उन आरोपों का जवाब देना है, जोकि सोसायटी के फ्लैट नंबर 1344 सेकेंड फ्लोर में रह रहे परिवार के लोगों के ऊपर लगाए जा रहे हैं। इस परिवार पर मेंटेनेंस अदा न करने का आरोप है। जाहिर है, एक सोसायटी में पानी, सफाई, सिक्योरिटी, स्ट्रीट लाइट आदि की सुविधाओं पर रेजिडेंंट्स खुद ही खर्च करते हैं, इसके लिए प्रत्येक के हिस्से आता है, मेंटेनेंस। इन सेवाओं केे बदले मेंटेनेंस की अदायगी जरूरी है। लेकिन सवाल यह है कि अगर कोई मेंटेनेंस अदा कर रहा है और समय पर कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद उसे बदनाम किया जाए, उसकी सुरक्षा को खतरे में डाला जाए और फिर उसकी कम्प्लेंट के बावजूद उसकी ओर से कहे गए काम को अगर पूरा नहीं करवाया जाए तो वह क्या करे? क्या उसकी ओर से पे किया जा रहा मेंटेनेंस किसी के नाम के होर्डिंग छपवाने में ही इस्तेमाल होगा, उसकी ओर से अदा किए गए मेंटेनेंस का कोई मतलब नहीं क्या है? मेंटेनेंस पे कर भी अगर सेवाएं हासिल नहीं हो रही हैं तो यह नागरिक सेवाओं मेें कोताही है।

यहां के रेजिडेंट भारत भूषण ने बताया कि रोड बर्म पर हुए उस गड्ढे के संबंध में उन्होंने सोसायटी के ग्रुप में मैसेज डाला। इस पर कहा गया कि यहां मैसेज मत डालो, सोसायटी के आफिस में रखे रजिस्टर में जाकर इसकी कम्प्लेंट लिखो। अब हैरानी की बात है कि सोसायटी में जब दूसरे लोग मैसेज लिखते हैं कि उनके यहां यह शिकायत है तो तुरंत रिप्लाई आता है कि जी सर, जी मैम...हो जाएगा। एक घंटे में हो जाएगा। आज शाम तक हो जाएगा। कल सुबह तक हो जाएगा। फलां...जाकर चैक करो आदि। हालांकि जब रेजिडेंट भारत भूषण की ओर मैसेज डाला गया तो धमकाते हुए कहा गया कि यहां नहीं सोसायटी के रजिस्टर में लिखकर आओ, उसके बाद काम होगा।

 

बेटे को रजिस्टर में लिखने भेजा तो हुआ कुछ ऐसा

भारत भूषण बताते हैं, कि उन्होंने अपने बेटे तेजस्वी को सोसायटी के आफिस मेंं जाकर रजिस्टर में इसकी कम्प्लेंट लिखकर आने को कहा। उन्होंने बताया कि तेजस्वी आफिस में लिखने गए तो वहां एक कारिंदे ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया और उनसे बदतमीजी करते हुए कम्प्लेंट लिखने से रोकने की कोशिश की गई। तेजस्वी ने बताया कि उसने जैसे-तैसे करके कम्प्लेंट लिख दी लेकिन वह कारिंदा उसे लगातार परेशान करता रहा और कहता रहा कि यह रजिस्टर में क्या लिख रहा है। इसके बाद अगले दिन 4 जुलाई को जब इस मामले की जानकारी सोसायटी के ग्रुप में दी गई तो जैसे विस्फोट हो गया। बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के वे तथाकथित ओहदेदार जोकि इसे अपने बचाव में इस्तेमाल कर रहे हैं, फट पड़े। उन्हें यह अपनी कुर्सी और सत्ता पर हमला नजर आया कि कोई उनके और उनकी ओर से रखे कारिंदों पर अंगुली उठाने की जुर्रत कर रहा है।



ग्रुप में लगातार होते रहे हमले, नहीं बोला कोई

भारत भूषण बताते हैं, यह उनके लिए बेहद हैरानी वाली बात थी कि एकाएक बगैर चुनाव की पूरी आरडब्ल्यूए के लोग झुंड बनाकर उस पर टूट पड़े। तथाकथित प्रधान की ओर से एक लंबा-चौड़ा मैसेज लिखा गया, जिसकी शुरुआत यह कहते हुए की गई है...भरत भूषण जी मैं बहुत दिनों से नोटिस कर रहा हूं आपको नया आरडब्ल्यूए से परेशानी है, आपको कहा गया कि रिटन कम्प्लेंट करो, इसमें भी आपको तकलीफ हुआ....। कमाल की बात यह है कि यह सब एक रेजिडेंट के संबंध में कहा जा रहा है। क्या बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए ऐसी कोई शासन-सत्ता हो गई, जिससे सवाल नहीं पूछा जा सकता। अगर एक रेजिडेंट अपना मेंटेनेंस पे कर रहा है और अपने हक की बात कर रहा है तो कहा उन्हें यह कहा जाएगा तेरे को आरडब्ल्यूए से परेशानी है? क्या यह कहा जाएगा कि ब्लेम मत लगाया करो। क्या किसी काम के लिए जिसके लिए कोई मेंटेनेंस पे कर रहा है, ब्लेक करना कहा जाएगा। यह कहां की लैंग्वेज है। यह भईयागीरी नहीं है तो क्या है? 

 

उलटा चोर कोतवाल को डांटे वाली हो गई बात
रेजिडेंट भारत भूषण ने कहा कि यह पूरा प्रकरण उलटा चोट कोतवाल को डांटे जैसा है कि आप शिकायत तक नहीं कर सकते और अगर ऐसा करते हो तो आपको ही कहा जाता है कि ब्लेम मत लगाया करो। कोई यह तो बताए कि क्या ब्लेम लगा दिया। किसी के प्रति ऐसा क्या कह या कर दिया कि वह गुंडों के समर्थन में रेजिडेंट की ओर से लिखी गई बात के विरोध में व्हाट्सएप ग्रुप पर फेक न्यूज लिखकर इमोजी डालकर उसका मजाक बनाता है। उनकी सीख पर चलकर किसी के घर के सामने आकर गुंडे की तरह उसे धमकाता है और अपराधियों के समर्थन में खड़ा होता है। क्या उसने कभी यह जानने की कोशिश की है, कि सच क्या है। एक परिवार सोसायटी में आकर रहने लगता है और आपराधिक तत्व उसके पीछे पड़ जाते हैं। उसे रात-दिन परेशान किया जाता है और उल्टे उसी पर आरोप लगाया जाता है। कोई उस परिवार के समर्थन में नहीं आता, क्योंकि सभी के सुर उन गुंडातत्वों से मिले हुए होते हैं। ऐसे में यह क्यों न पूछा जाए कि परेशानी किसे है भाई.. मुझे या किसी और को। अगर किसी को परेशानी थी तभी तो वह गुंडों का समर्थन कर रहा था और उनके बुलावे पर बाइक पर चढ़कर रेजिडेंट भारत भूषण और उनके परिवार को धमकाने के लिए पहुंचा था। यह सब सीसीटीवी कैमरों में कैद है। इस सोसायटी के लोग यह सब नहीं जानते लेकिन वे तथाकथित वाहियात पड़ोसी जरूर जानते हैं, जिनका मददगार बनकर कोई 1344 सेकेंड फ्लोर के नीचे पहुंचा था और मुंह की खाकर दबे पैर वापस भाग गया था। आज वही सोसायटी का आलंबरदार बन रहा है, वह यहां सोसायटी के लोगों की सुरक्षा की बात कर रहा है। ऐसी कायराना और घटिया हरकत कोई इसलिए कर गया क्योंकि वह परिवार अकेला था। उसे इन हालात को समझने में ही वक्त लग गया कि एक गेटेड सोसायटी में ऐसा हो सकता है। गेट के बाहर सिक्योरिटी बैठाई जाती है, लेकिन सोसायटी के अंदर ही गुंडे बन रहे उन लोगों काे क्या? उनमें तो एक अकेले भी यह सब करने का साहस नहीं होता, वे जानवरों की नस्लों की तरह झुंड बनाते हैं।  

 

पूरा जोर इस पर लगा दिया कि मैं गलत हूं...
इस मैसेज में रोड बर्म पर हुए गड्ढे को भरने या फिर इसके बाद सोसायटी के आफिस में हुए घटनाक्रम के संबंध में गंभीरता से कोई जायज बात कहने के बजाय यह साबित करने में पूरा वक्त लगा दिया कि मैं किस प्रकार पूरी तरह गलत हूं और बेवजह की बातें कर रहा हूं। उस तथाकथित प्रधान ने झूठ बोलते हुए कहा कि कम्प्लेंट लिखने के बाद एक सुपरवाइजर उस जगह को देखकर आया और हमसे से बात भी की, लेकिन सीसीटीवी इसके गवाह हैं कि कोई भी व्यक्ति उस जगह को उस समय देखने के लिए नहीं आया था।

 

एक ने कुछ अलग ही राग अलापा

इस दौरान सोसायटी के ग्रुप पर बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के दो-तीन लोगों की ओर से वाहियात टीका-टिप्पणी जारी रही। भारत भूषण बताते हैं कि उनके मैसेज से तिलमिलाए लोगों ने उनके खिलाफ भड़ास निकालते हुए मन मुताबिक कहना जारी रखा। किसी ने अपनी पूरी पढ़ाई-लिखाई यह बताने में लगा दी कि सोसायटी के प्रधान से सवाल करना किस प्रकार गैरकानूनी है। उसने इंगलिश में लिखते हुए यह साबित करने में पूरा जोर लगा दिया कि किस प्रकार प्रधान साहब कितने बिजी हैं और उनके पास किस प्रकार समय की कमी है कि वे हर सवाल का जवाब नहीं दे सकते और सोसायटी में कामों को करवाने के लिए उन्हें कितना सोचना-विचारना पड़ता है। किसी ने लिखा- अजय जी यू आर राइट कुछ लोगों का काम है होते काम में टांग अड़ाना। यह किसी सतपाल का कहना था।

भारत भूषण ने बताया कि इस दौरान प्रवीण राणा नामक किसी ने जोकि सोसायटी के अंदर बदमाशी और गुंडागर्दी का आरोपी है और जिसके वीडियो बने हुए हैं, ने उनके संबंध में कहा- मेरे ख्याल से सुझाव उन लोगों को देना चाहिए जो लोग सामाजिक कार्यों के प्रति अग्रसर हो और जिसमें नैतिकता और अपने पड़ोसियों के प्रति अच्छा भाव। लेकिन जो व्यक्ति झगड़ालू परवर्ती का हो और जिस को सब मैं कमियां नजर आती हो ऐसे लोगों का ज्ञान बिल्कुल व्यर्थ है।

 

रेजिडेंट भारत भूषण के अनुसार उस शख्स ने यह लिख तो दिया लेकिन उसमें इसका साहस नहीं था कि वह इसमें रेजिडेंट भारत भूषण का नाम भी लिखता। यह पूरी कन्वरसेशन तथाकथित प्रधान अजय सिंह के अपना कमेंट लिखने के बाद से जारी है। यानी यह सब रेजिडेंट भारत भूषण के संबंध में ही कहा जा रहा है। क्या कोई यह बताएगा कि आखिर रेजिडेंट भारत भूषण ने तो एक गड्ढा भरने की ही मांग की थी फिर तथाकथित प्रधान से लेकर उसक तथाकथित उपप्रधान और दूसरों को यह सब कहने की क्या जरूरत पड़ गई। किसे परेशानी है भाई? रेजिडेंट भारत भूषण को क्या किसी और को। क्या कोई रेजिडेंट अपनी कंम्प्लेंट बताएगा तो कोई उसके कैरेक्टर का सर्टिफिकेट उसे देगा? वह यह बताएगा कि कम्पलेंट करने वाला रेजिडेंट सामाजिक है या नहीं? उसके अंदर नैतिकता है या नहीं? वह सामाजिक कार्यों के प्रति अग्रसर है या नहीं?

 

आखिर सब कहने की क्यों पड़ जरूरत

सवाल यह भी है कि आखिर इस शख्स को यह सब रहस्योद्घाटन (उसकी समझ के मुताबिक) करने की जरूरत क्यों पड़ गई? वह किस प्रकार सोसायटी का पहरेदार हो गया कि सबकुछ उसकी नजरों में है और वह किसी को भी असामाजिक होने का सर्टिफिकेट दे सकता है। क्या किसी को यह सर्टिफिकेट देने से पहले उसने अपने बारे में बताया है कि वह क्या है? उसकी पहचान एक गली के गुंडे से ज्यादा नहीं है।  वह सोसायटी में महिलाओं के साथ बदतमीजी का आरोपी है और उनके पैरों में गिर कर माफी मांग कर भागा हुआ है।

 

यह वह वाहियात है, जिसके तार उन गुंडों से जुड़े हुए हैं, जोकि महिलाओं पर गंदी नजर रखते हैं, उनके घर-परिवार तुड़वाते हैं। उनसे झगड़ा करते हैं। ये वे हैं, जोकि सड़क के किनारों पर पसर कर दूसरे के घर की सुख-शांति को खत्म करते हैं, उनके बुजुर्गों, बच्चों, उनके रहन-सहन और उनके काम को लेकर गंदी सोच जाहिर करते रहते हैं। ये वे हैं, जिनके खुद के घर में चौबीस घंटे जूतम पैजार होती है, लेकिन शाम होते ही सड़क के किनारे जिनकी महफिल सज जाती है। जहां बैठ कर हर घिनौनी साजिश दूसरे के खिलाफ रची जाती है। ये वे हैं, जिनका खुद का कैरेक्टर गंदी नाली के कीचड़ की तरह है, जहां से बदबू के अलावा कुछ नहीं आता और ये दूसरों के बारे में बात करते हैं। ये वे हैं, जोकि न जाने कितनी बददुआ लेकर अपने दड़बों पर दुबक चुके हैं, क्योंकि अब उनका बिल्डर रहनुमा भाग चुका है, जिसके रहमोकरम पर वे पलते थे और जिसकी चाकरी करके अपना घर चलाते थे। अब वे खुद कंगाल हो चुके हैं। जो कभी गाड़ियों को सड़क पर आगे-पीछे लगाने के लिए दिन-रात बेचैन रहते थे, दूसरों की सीख पर चलते थे, आज उनकी वे गाड़ियां पता नहीं कहां चली गई, बैंक वाले उठा ले गए या फिर कबाड़ में बिक गई, किसे पता। दूसरों की सुख-शांति पर गिद्ध नजर रखने वालों का यही हाल होता है, वे दूसरों के लिए एक गड्‌ढा खोदने की कोशिश करते हैं तो भगवान उनके लिए न जाने कितने गड्‌ढे खोद देता है। मैं और मेरा परिवार कल भी सुख-शांति और समृद्धि में थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे। हमें देख कर यूं ही लोग जलते रहेंगे और अपने लिए खुद ही गड्‌ढे खोदते रहेंगे।  

 

आखिर मैं इतना अपवित्र कैसे और पड़ोसी कैसे हो गए दूध के धूले



रेजिडेंट भारत भूषण ने कहा कि जिन तथाकथित पड़ोसियों का संबंधित वाहियात जिक्र कर रहा है, वे रेजिडेंट भारत भूषण के खिलाफ साजिश और षड्यंत्र रचकर खुद उनकी इमेज को खराब करने के आरोपी हैं। वह शख्स अगर उनका पक्ष ले रहा है तो यह इसलिए क्योंकि उसका उनसे गठजोड़ है और उनके साथ मिलकर वह भी संबंधित रेजिडेंट को धमकाने का आरोपी है। सोसायटी में असामाजिक तत्वों का झुंड साल 2018 से चला आ रहा है, जिनकी वजह से यहां अनेक लोग अपने घर खाली करके चले गए। इन्हीं असामाजिक तत्वों की वजह से एस्टोनिया होम्स बदनाम हो चुकी है। यह सब यहां की चार-पांच गंदी मछलियों की वजह से हुआ है। और जिसने भी इसके खिलाफ आवाज उठाई, उसके चरित्र, मान-सम्मान पर इसी प्रकार झुंड बनाकर हमला किया गया।

 

जो लोग शांति से अपना जीवन जीना चाहते हैं, उन्हें यहां परेशान किया जाता है और उनके लिए मुश्किलें खड़ी की जाती हैं और गुंडे उनके समर्थन में खड़े हो जाते हैं। ज्यादातर लोग मजबूरी में चुपके से यहां से निकल जाना ही पसंद करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि अगर गुंडों का मुकाबला नहीं किया जाएगा तो उनकी गुंडई बढ़ती जाएगी, तब किसी को तो इसकी शुरुआत करनी ही होगी। रेजिडेंट भारत भूषण कहते हैं- मैंने और मेरे परिवार ने इसकी हिम्मत की है, हमने उन गुंडों का सामना यहां किया है, जिनका एकमात्र धर्म दूसरे को शारीरिक-मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाना होता है। सबसे हैरानी की बात यह है कि गुंडे कभी अकेले होकर ऐसा करने का साहस नहीं दिखाते, वे झुंड बनाते हैं। यह सब जंगल की भांति होता है। 

 

बाढ़ आ गई लेकिन भर नहीं सका गड्ढा
गौरतलब यह है कि उस गड्ढे को रेजिडेंट भारत भूषण और उनके परिवार की ओर से दी गई कम्प्लेंट के कई दिनों बाद तक ठीक नहीं करवाया गया। छत से उतरा बरसात का पानी उस गड्ढे में जाकर बिल्डिंग की नींव को खराब करता रहा। इस दौरान उस परिवार ने अपने फ्लैट की छत पर उस सुराख को कपड़े आदि की मदद से बंद कर दिया जिससे पानी नीचे उतर रहा था। इस बीच देखादेखी उसी ब्लॉक के एक और जागरूक रेजिडेंट ने इसकी शिकायत दी। कई दिनों बाद दो-तीन कारिंदे वहां आए और बेतरतीब काम करके चले गए। यह सब टरकाऊ तरीके से किया गया।

यह पूरा प्रकरण यहीं खत्म नहीं हो गया। इसके बाद प्रवीण नामक किसी ने सोसायटी के ग्रुप में भारत भूषण और उनके परिवार को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से मैसेज डालने जारी रखे। यह सब उकसावे की कोशिश थी, लेकिन इसी दौरान भारत भूषण और उनके परिवार ने ऐसी वाहियात बातों से छुटकारे के लिए सोसायटी का व्हाट्एसएप ग्रुप देखना ही छोड़ दिया, जिसमें सुबह पौ फटने से लेकर रात को 12-एक बजे तक चुहलबाजी चलती रहती है। जाहिर है, सोसायटी की बगैर चुनाव की आरडब्ल्यूए के प्रति रेजिडेंट्स में कोई भरोसा नहीं है, अवैध कब्जा करके इस पर लोग बैठे हैं, जिन्होंने चौधर का अपना मनोरथ पूरा करने के लिए यह सब किया है, वरना इससे पहले जो आरडब्ल्यूए यहां संचालित थी वह अच्छा काम कर रही थी। लोकतंत्र में सभी को मौका मिलना चाहिए लेकिन इस मौके की आड़ में अगर कोई रेजिडेंट पर धौंस जमाता है, उसके कहे काम को करने से मना करता है, उसमें बेवजह की देर करता है और किसी की सामाजिक छवि को नुकसान पहुंचाता है तो क्या यह स्वीकार्य हो सकता है। आरडब्ल्यू का कार्य रेजिडेंट्स की वेलफेयर है, लेकिन उस साेसायटी का क्या जहां अपराधी प्रवृत्ति के लोग काबिज हो जाएं और लोग उनके मुकाबले में चुनाव तक में खड़े होने से भयभीत रहें। रेजिडेंट अगर बोलें तो उनका मुंह जबरन बंद कर दिया जाए और उनके खिलाफ अनर्गल टीका-टिप्पणी की जाए। यह सब निजी खुन्नस निकालने के लिए किया जाए। क्या ऐसी तथाकथित आरडब्ल्यूए पर भरोसा किया जा सकता है ?  इस मामले को लेकर संबंधित का पक्ष जानने की कोशिश की गई है, लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिली।

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