Derabassi news: डेराबस्सी : डेराबस्सी में बरवाला रोड पर स्थित (GBP Rosewood estate Derabassi) जीबीपी की रोजवुड-2 सोसायटी में आजकल पानी की लो सप्लाई भयंकर सिरदर्द बन चुकी है। ऊपर की मंजिलों पर दो-दो दिन तक पानी की सप्लाई नहीं हो रही। टंकियां आधी खाली रह जाती हैं, जिससे रेजिडेंट्स को न नहाने को पर्याप्त पानी मिल पाता है और न ही किचन आदि कार्यों के लिए। गर्मी का सीजन अपने चरम पर पहुंच चुका है, पानी की जरूरत बहुत ज्यादा बढ़ गई है, लेकिन रोजवुड -2 में हालात बदतर हैं। लोग रात के 1 बजे तक पानी के इंतजार में बैठे रहते हैं, इतनी देर रात तक छतों पर जाकर पानी की टंकियों में झांक कर यह देखते रहते हैं कि पानी आया तो कितना आया। इसके बाद सुबह 5 बजे फिर जाग कर छतों की तरफ भागते हैं, टंकियों में झांकते हैं और फिर व्हाट्सएप पर मैसेज लिखते हैं- नहीं आया। एक बूंद पानी नहीं आया। हालांकि इस दौरान सोसायटी के ज्यादातर लोगों को फर्क नहीं पड़ रहा, उनके घरों में अंडरग्राउंड टैंक बने हुए हैं, नियमित सप्लाई आती है, वे गाड़ी धोएं, पौधों को पानी दें या फिर सड़कों पर उसे बिखेरें, उनके लिए पानी महज पानी है। लेकिन बहुत से लोगों के लिए पानी जीने-मरने का सवाल बन चुका है।
रोजवुड-2 में शुरुआत से पानी का संकट
रोजवुड-2 में पानी का संकट शुरू से ही है। यहां रोजवुड-1 और रोजवुड-2 नाम से दो आरडब्ल्यूए हैं। हालांकि पूरी इस्टेट रोजवुड के नाम से है, लेकिन जीबीपी के मालिकों के भागने के बाद दोनों सोसायटियों के रेजिडेंट्स ने अपनी-अपनी सहुलियत के मुताबिक दो आरडब्ल्यूए बना ली हैं। आरडब्ल्यूए-1 में ही पानी का स्टोरेज टैंक बना हुआ है, यहीं से बाकी सोसायटी को भी सप्लाई जाती है। रोजवुड-1 के रेजिडेंट्स को कभी पानी की किल्लत का सामना नहीं करना पड़ता। यहां सड़कों की धुलाई हो या फिर गाड़ियों को नहलाना, सब धड़ल्ले से होता है। हालांकि रोजवुड-2 में बहुत बार रेजिडेंट्स एक-एक बूंद को तरस जाते हैं। हालात ऐसे बनते हैं कि वाटर टैंकर मंगवाना पड़ता है, लेकिन उसे भी नई बनी आरडब्ल्यूए की ओर से अपनी पसंद के रेजिडेंट्स के लिए मंगवाया जाता है। हालांकि मेंटेनेंस सभी पे करते हैं। निवासियों की ओर से जब पानी न मिलने की शिकायत की जाती है तो आरडब्ल्यूए की ओर से इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जाता। रेजिडेंट्स के अनुसार पुरानी आरडब्ल्यूए के लोगों पर नई आरडब्ल्यूए के लोगों ने इसी तरह के आरोप लगाकर उन्हें आरडब्ल्यूए से हटाया था, लेकिन अब खुद पोजिशन लेकर बैठ गए हैं और रेजिडेंट्स परेशान हो रहे हैं।
एस्टोनिया होम्स के हालात और भी खराब
रोजवुड-2 में एस्टोनिया होम्स के निवासियों को तीसरे फ्लोर पर पानी की सप्लाई बहुत बार मिलती ही नहीं है। पानी के इंतजार में तीन-तीन दिन बीत जाते हैं। यहां ज्यादातर रेजिडेंट्स ने मोटर लगवा ली हैं, इसके चलते ग्राउंड फ्लोर पर तुरंत पानी मिल जाता है, लेकिन अगर मोटर न चलाई जाए तो न ग्राउंड फ्लोर पर पानी आता है और न ही फर्स्ट या फिर सेकेंड फ्लोर पर सप्लाई आती है। हालात ऐसे भी हैं कि सेकेंड फ्लोर पर सप्लाई तब आती है, जब नीचे के दोनों फ्लोर की टंकियां फुल हो जाती हैं। स्थानीय जानकार बताते हैं कि लो सप्लाई की वजह सप्लाई लाइन में दिक्कत का होना है, बोरवेल की मोटर के पुर्जे घिसने की वजह से वे पूरी तरह काम नहीं कर पा रहे। जिससे सप्लाई बंद हो जाती है। पानी की किल्लत के अलावा यहां पानी के मिसयूज की शिकायतें भी भरपूर हैं। जिन घरों में मोटर लगी हैं, वे अपनी टंकियों को फुल होने के बावजूद बंद नहीं करते, इसकी वजह से पानी सड़कों पर बहने लगता है और रात-रात में सैकड़ों लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है। जागरूक निवासियों की ओर से इसकी शिकायत की जाती है, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता।
सप्लाई लाइन पर भारी दबाव
बोरवेल की सप्लाई लाइन पर भारी दबाव है। इसी सप्लाई लाइन से रोजवुड-1 और 2 के अलावा रोजवैली, इको ग्रीन आदि सोसायटियों को पानी की सप्लाई जा रही है। हैरत की बात यह है कि एजूरे सभी सोसायटियों से मेंटेनेंस वसूलती थी, लेकिन रोजवुड-1 और 2 में इस फंड का इस्तेमाल नहीं होता था। यहां रेजिडेंट्स को न सप्लाई का पूरा पानी मिला, न रोड बेहतर बन सके, न पार्कों की सार-संभाल हुई। इसके बावजूद एजूरे की ओर से भारी मेंटेेनेंस भी वसूला जाता था। एजूरे ने सभी सोसायटियों को अपने अंडर में रखा हुआ था, लेकिन अब जब एजूरे और जीबीपी के मालिक भाग चुके हैं, तब भी बाकी सोसायटियों का बोझ रोजवुड-1 और 2 को उठाना पड़ रहा है। जबकि प्रत्येक सोसायटी से जो मेंटेनेंस वसूला जा रहा है, वह उसी सोसायटी में इस्तेमाल हो रहा है।
नया बोरवेल लगने की जरूरत लेकिन खर्च बहुत
जानकार बताते हैं कि जीबीपी के मालिकों ने तो सोसायटी की अपनी सीवरेज लाइन का प्रबंध नहीं किया था, सोसायटी का सीवरेज अब सरकारी सीवरेज लाइन में जा रहा है, अभी तक यह चल रहा है, लेकिन अब इस पर नगर परिषद की ओर से आपत्ति हुई तो यह खर्च भी सोसायटी की आरडब्ल्यूए को ही उठाना पड़ सकता है जोकि करोड़ों में होगा। रोजवुड-2 के लिए नए बोरवेल की जरूरत है, लेकिन इसका खर्च रेजिडेंट्स के लिए उठाना संभव नहीं है, पंजाब सरकार अगर रेजिडेंट्स की समस्याओं को समझे तो सप्लाई के पानी की व्यवस्था करा सकती है। रोजवुड-2 के अनेक रेजिडेंट्स ने बताया कि सोसायटी में जहां भरोसेमंद लोगों की आरडब्ल्यूए में मौजूदगी की जरूरत है, वहीं यहां बेवजह की राजनीति पर भी अंकुश लगने की आवश्यकता है। यहां हद दर्जे की राजनीति चल रही है, जिसमें रेजिडेंट्स के भले के लिए कदम उठाने के बजाय लोग अपने फायदे के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं। यह भी बताया गया है कि सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज डालने के बाद उसका कोई रिप्लाई नहीं आता। केवल उन्हीें का जवाब दिया जाता है जोकि नजदीक होते है।