इसहफ्ते न्यूज
GBP Derabassi : एक रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन RWA का काम सोसायटी में रहने वालों के रोजमर्रा के मुद्दों की देखरेख करना है, उनके साथ खड़े रहना है। एसोसिएशन के नाम में ही वेलफेयर शब्द है, लेकिन अगर उस एसोसिएशन के पदाधिकारी किसी के साथ मारपीट करें तो इसे क्या कहा जाएगा। यकीनन यह रेजिडेंट्स का वेलफेयर नहीं अपितु उन पर तानाशाही है। आरडब्ल्यूए के लोग अगर निवासियों को यह कहकर धमकी दें कि 'तू होता कौन है, मुझे कहने वाला' या फिर यह कि 'तुम्हारा नौकर नहीं।' या फिर यह कि 'मैं तुम्हे इस ग्रुप से उठाकर बाहर फेंक दूंगा, तुम्हे कोई सेंस नहीं। या फिर यह कहना कि रहने दो यार, इन जैसे सोसायटी में और बहुत हैं, जिनका दिमाग बंद है।' तो समझा जाना चाहिए कि एक सोसायटी का माहौल कैसा है और वहां आरडब्ल्यूए में बैठे लोग किस मानसिकता के हैं।
यहां जिस आरडब्ल्यूए का जिक्र हो रहा है वह डेराबस्सी के बरवाला रोड पर स्थित रोजवुड एस्टेट-2 सोसायटी (Rosewood estate 2 Derabassi) है। यहां आजकल रोजाना ऐसी घटनाएं पेश आ रही हैं, जोकि एक सिविलाइज सोसायटी के जैसी तो कतई नहीं हैं। यहं अनेक रेजिडेंट्स ने इसहफ्ते को बताया कि सोसायटी के अंदर माहौल लगातार खराब हाेता जा रहा है। कुछ लोगों की मनमर्जी से निवासियों में डर का माहौल है। रेजिडेंट्स के अनुसार एक ओहदेदार ने सोसायटी के ग्रुप में ऐसा मैसेज डाला जोकि उसकी फितरत को दर्शाता है। यह किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं हो सकता कि निवासियों के साथ कोई इस तरह की बदतमीजी से पेश आए। उस ओहदेदार ने ग्रुप में धमकाते हुए यह मैसेज डाला, जिसका अंश यहां नीचे दिया जा रहा है। हालांकि हैरानी की बात है कि बाद में इस मैसेज को डिलीट कर दिया गया, हालांकि सोसायटी के जागरूक रेजिडेंट्स ने यह पढ़ लिया।
but some people have blockege in their mind and we can’t open it.
दरअसल, यह सब बातें तो बहुत सामान्य हैं। इस सोसायटी में आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी रेजिडेंट्स को न केवल धमका रहे हैं, बल्कि उनके साथ मारपीट और गाली-गलौज भी कर रहे हैं। सोसायटी में सुबह समस्याओं से होती है और रात होते-होते व्हाट्सएप पर होने वाली तकरार तीखी बहस, कहासुनी और देख लेने की धमकी में बदल जाती है। यह तब है, जब नई आरडब्ल्यूए जिसे बने दो माह ही हुए हैं। आजकल सोसायटी में जहां रेजिडेंट्स बिजली, पानी, सीवरेज, लावारिस कुत्तों, पावर बैकअप की समस्याओं से जूझ रहे हैं, वहीं सोसायटी के अंदर कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से बिगड़ चुकी है। हर तरफ अराजकता का माहौल दिखता है। आवारागर्द दूसरों की छतों पर देर रात तक घूमते हुए समस्या खड़ी कर रहे हैं, वहीं सोसायटी में सड़कों के किनारे झुंड बनाकर बैठने वाले रिटायर्ड लोग झगड़े करवाने में ही अपना पूरा समय लगा रहे हैं।
एक वारदात जिसने खोल दी है पोल
रोजवुड-2 सोसायटी की पूर्व आरडब्ल्यूए के एक युवा पदाधिकारी ने शतप्रतिशत दावे के साथ बताया कि 28 मई की शाम 6 बजे के करीब RWA आफिस में कुछ ऐसा घटा जिसने सोसायटी के हालात का खुलासा कर दिया। आरोप है कि सोसायटी के अंदर धड़ेबंदी हो चुकी है और अपनी सत्ता बनाए रखने के लिए आरडब्ल्यूए के ओहदेदार किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं। बताया गया है कि सोसायटी में पावर बैकअप के संबंध में आरडब्ल्यूए के आफिस में कुछ लोग बात करने के लिए गए थे। इस दौरान वहां आरडब्ल्यूए का एक ओहदेदार मौजूद था। आरोप है कि इस दौरान ऐसी कहासुनी हुई कि खूब थप्पड़, घूसे-मुक्के चले और कपड़े तक फट गए। दो रेजिडेंट्स जोकि सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप में सोसायटी की समस्याओं के संबंध में खूब सक्रिय रहते हैं के साथ यह मारपीट की गई। इसकी सूचना न पुलिस को दी गई और न ही सोसायटी के ग्रुप में इसकी चर्चा की गई। दबाव बनाकर मामले को रफा-दफा करवा दिया गया।
इस बीच संबंधित ओहदेदार की ओर से व्हाट्सएप ग्रुप में धमकी दी गई कि अगर उसके खिलाफ बोला गया तो वह ग्रुप से उठाकर बाहर फेंक देगा। लोगों के अनुसार सोसायटी के हालात ऐसे हैं कि आरडब्ल्यूए में बैठे लोग लोगों को व्हाट्सएप ग्रुप क्या, वे उन्हें सोसायटी से भी उठाकर बाहर फेंकने को तैयार हैं। सोसायटी के लोगों के अनुसार संबंधित ओहदेदार के खिलाफ पहले से कई शिकायतें हैं, पार्किंग मामले को लेकर उस पर महिलाओं के साथ बदतमीजी का आरोप है। इस बारे में डेढ़-दो घंटे तक सोसायटी के अंदर हंगामा मच चुका है, बाहर से पुलिस कर्मी बुलाए जा चुके हैं। बाद में यह भी सामने आया है कि फलां ने उन महिलाओं से माफी मांग कर अपना पीछा छुड़वाया लेकिन अब आरडब्ल्यूए के नाम पर उसका धौंस जमाने का सिलसिला फिर शुरू हो चुका है।
एक परिवार पर हो चुका हमला
गौरतलब है कि सोसायटी में एक परिवार को इसी तरह हद दर्जे तक परेशान किया गया जिसके बाद साल भर में उन्होंने अपने दो फ्लैट खाली करके पास में कहीं जाकर किराये पर मकान ले लिया। हालांकि बाद में जिस बिल्डर से उन फ्लैट को खरीदा था, उसी ने उन खाली फ्लैट को औने-पौने दाम पर खरीद लिया। इस तरह से उसने तब फायदा कमाया और बाद में फिर से उन्हें बेचकर कमाई की। इस कमाई को कराने में योगदान दिया। यह भी आरोप है कि यह सब बिल्डर की शह पर हुआ, क्योंकि उस बिल्डर ने आरोपियों के संबंध में कहा था कि उनकी माउथ पब्लिसिटी से उसके फ्लैट बिक गए, वह उनका अहसान कैसे भूल सकता है।
मेंटेनेंस एजेंसी एजूरे की ओर से भेजी जाती थी कनेक्शन काटने को गुंडों की फौज
रोजवुड-2 सोसायटी को बसे चार साल के करीब समय हुआ है। जानकार बताते हैं कि इस सोसायटी में शुरू से आपराधिक गतिविधियां जारी रही हैं। एजूरे के समय रेजिडेंट्स की ओर से मेंटेनेंस पे नहीं करने पर उनके पानी के कनेक्शन काटने के लिए गुंडों की पूरी फौज भेजी जाती थी। जोकि रेजिडेंट्स को धमकाते हुए जबरन उनके पानी के कनेक्शन काट कर चले जाते थे। उस समय सोसायटी में अराजकता का माहौल बनने लगा था, तब कहा जाता था कि यहां आरडब्ल्यूए बननी चाहिए ताकि रेजिडेंट्स खुद अपनी समस्याओं का समाधान करें और बिल्डर एवं उसकी मेंटेनेंस एजेंसी पर निर्भरता न रहे। हालांकि बाद में उनका यह सपना भी पूरा हो गया लेकिन अब उस समय से भी ज्यादा अराजकता सोसायटी के अंदर दिख रही है।
स्थानीय रेजिडेंट्स बताते हैं कि कुछ रिटायर्ड लोगों ने यह ठेका ले लिया था कि उनकी मर्जी के बगैर मुहल्ले में पत्ता तक नहीं हिलेगा। इन लोगों ने अपनी पसंद और नापसंद के लोग चुन लिए थे, जो पसंद के थे उनकी जी-हजुरी होती थी और जो नापंसद थे, उनका कैरेक्टर एसासिनेशन किया जाता था। उनके परिवार की महिलाओं के रास्ते रोके जाते थे, उन्हें अपने चुगलखोरी के ग्रुप में शामिल होने का न्योता दिया जाता था, जब इससे इंकार कर दिया गया तो उनके खिलाफ साजिश और षड्यंत्रों की बाढ़ आ गई।
एमसी इलेक्शन में जीत पर सोसायटी में हुई बदमाशी
डेराबस्सी के एमसी इलेक्शन में एक पार्टी के उम्मीदवार की जीत के बाद रात के समय सोसायटी में गाड़ी का तेज हॉर्न बजाकर, पटाखे फोड़ कर और यह नारा कि जो हमसे टकराएगा, चूर चूर हो जाएगा लगाए गए। यह सब यह दिखाने के लिए था कि अब सोसायटी में उनकी सत्ता है और वे चाहे वह कर सकते हैं। उन्हें रोकने और टोकने वाला कोई नहीं है, अगर कोई उनके खिलाफ बोलेगा तो वे झुंड बनाकर उस पर हमला बोल देंगे।
इसके भी आरोप हैं कि जब कोरोना काल के दौरान जब पूरा देश अपने घरों में बैठा था और पूरे देश में धारा 144 लागू थी, उस समय भी कुछ आवारागर्द कानून और नियमाें को तोड़ते हुए सड़क पर थे। इस समय उन्होंने एक फ्लैट में रह रही अकेली महिला और उसके बच्चों के साथ झगड़ा करते हुए न केवल गाली-गलौज की बल्कि जान से मारने की धमकी भी दी गई। यह सब हरकतें सभ्य समाज में अस्वीकार्य हैं।
सोसायटी में माहौल नहीं सुरक्षित, न सड़क सुरक्षित और न ही छत
सोसायटी के एस्टोनिया होम्स में एक नई घटना ने सोसायटी में जारी अराजकता का खुलासा कर दिया है। यहां की निवासी एक महिला ने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ दिन पहले रात को 10 बजे के करीब जब वह अपने बेटे के साथ छत पर पानी की टंकी को चैक करने गई हुई थी तो अचानक छत पर एक दूसरी छत से दो लड़के उनकी छत से होते हुए दौड़ गए। इस बात ने उन्हें हैरान कर दिया कि आप अपनी छत जिसके रूफराइट आपके पास हैं, पर आप नहीं जा सकते हो। पता नहीं कौन वहां छिप कर बैठा हो और वारदात को अंजाम देने की तैयारी में हो। इस घटना के दौरान उन लड़कों को ऐसा करने से मना किया गया था।
हालांकि इसके कुछ दिन बाद फिर दिन के समय यही हरकत दोहराई गई। वहीं इसके एक-दो दिन बाद फिर से यही हुआ। उन्होंने बताया कि कुछ लोग सोसायटी को सोसायटी न समझ कर स्लम या चोल बनाने में लगे हैं। ऐसे लोगों को अगर रोका जाता है तो वे बदसलूकी पर उतर आते हैं, सड़कों पर दूसरे के फ्लैट के सामने आकर उसे धमकाते हैं। उन पर झुठे आरोप लगाते हैं। सबसे बढ़कर तो यह कि कुछ लोगों को यह मालूम ही नहीं है कि एक सभ्य समाज में किस प्रकार से रहा जाता है, वे अपने उसी असभ्य और गंवारपने में सड़क पर डोलते हुए दूसरों के लिए समस्या खड़ी करते रहते हैं। शिकायतकर्ता महिला के अनुसार क्या सोसायटी में आकर रहने का यही मतलब रह जाता है कि आप अपराधी नस्ल के लोगों के बुरे बर्ताव को झेलते रहो और पुलिस और कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाते रहो।
एक वीडियो जोकि वाहियात की खोल देगा पोल
सोसायटी में एक जागरूक नागरिक जिन्हें गुटबाजी करके परेशान करने की हरसंभव कोशिश की गई हैै, ने इसहफ्ते को बताया कि इस सोसायटी में हालात बेहद नाजुक हैं। ऐसे वाहियात लोगों ने उन्हें परेशान करने की कोशिश नहीं छोड़ी। हालांंकि उनके पंजे मुझ तक नहीं पहुंच पाएंगे, वे वहीं रहेंगे, जहां वे हैं यानी दिमागी रूप से पैदल। एक पत्ता, दो पत्ता की बात करने वालों की सच्चाई यह है कि वह महिलाओं के पैरों में गिर कर उनसे माफी मांग कर भागा हुआ है। साल भर तक वह सोसायटी में कहीं नजर भी नहीं आया था, क्योंंकि काला मुंह किसे दिखाता। वह सोसायटी में महिलाओं से बदसलूकी का आरोपी है। उस पूरे घटनाक्रम का वीडियो यहां जारी किया जा रहा है।
वाहियात का कलेजा क्यों जल रहा पड़ोसियों के लिए
इस वीडियो में वे तथाकथित किसी के हमदम पड़ोसी भी संलिप्त हैं, जिनके लिए उसका कलेजा जल रहा है, उन पड़ोसियों का जोर वह नहीं चलवा पाया। वाहियात को वाहियात ही भाता है और वह उसी के साथ याराना गांठता है। यह सारी गंदगी उन्हीं तथाकथित पड़ोसियों के द्वारा की गई है, जिसके बहुत सारे सबूत मौजूद हैं। इस सोसायटी में अब यह साबित हो गया है कि यहां सभ्य और सिविलाइज लोग नहीं रह रहे। यहां कुछ ऐसी नस्लें भी हैं, जोकि इंसान होने के नाम पर कलंक हैं और उनमें से एक वह वाहियात भी है जोकि महिलाओं के पैरों में गिरकर, गिड़ागिड़ा कर उनसे माफी मांग कर भागा हुआ है।
नामर्द नस्लों ने अकेली महिला और बच्चों को धमकाया
इस सोसायटी में और एस्टोनिया होम्स में यह सब हो चुका है कि महिलाओं, बच्चियों का रास्ता रोका गया है, उन पर गंदी नजरें रखी गई हैं। सड़क के किनारे कुर्सी-मंझे डालकर लोग दूसरों के कैरेक्टर एसासिनेशन में संलिप्त पाए गए हैं। दारू के पव्वे उन्हें रिश्वत में दिए गए हैं। दूसरे की प्रॉपर्टी को उन्होंने नुकसान पहुंचाया है, उन्हें यहां से अपने आशियाने खाली करके जाने को मजबूर करने का षड्यंत्र रचा है। कोरोना लॉकडाउन में ऐसे नामर्द नस्लों ने अकेली महिला और उसके बच्चों को जान से मारने की धमकी दी हैं, अश्लील इशारे किए हैं, गाली-गलौज की है। उनके घर-परिवार और आफिस के संबंध में गलत, बेबुनियाद और अपमानजनक बातें करके उनके खिलाफ साजिश रची गई है।
क्यों नहीं मिली अहमियत, इससे लगी कलेजे में आग
ऐसी नस्लों को तकलीफ इस बात की थी कि आखिर कोई उन्हें अहमियत क्यों नहीं दे रहा। किसी के कलेजे में इस बात की आग लगी हुई थी कि कोई इतनी शांति और खुशहाली से कैसे यहां रह रहा है और हमारी क्यों ऐसी-तैसी हो रही है। अखबार की नौकरी से रिटायर्ड एक बूढ़े को यहां अपनी दुकानदारी खत्म होती नजर आई थी, जिसके बाद उसने गंदगी शुरू की और अपने जैसे थर्ड क्लास, टुच्चे और वाहियातों को अपने साथ मिलाया। उस बूढ़े ने एक गंजे आदमी के साथ मिलकर रात-दिन उस व्यक्ति के खिलाफ दुष्प्रचार किया। इन नस्लों ने फायदा इसका उठाया कि सोसायटी में हर कोई उनके जैसा है, फिर जो मर्जी करें।
सोसायटी में सोच समझ कर करें किसी अपराधी का समर्थन
इस सोसायटी के प्रबुद्ध एवं सूझबूझ वाले नागरिकों से आह्वान है कि वे सोच-समझ कर किसी की वाहियात टीका-टिप्पणी और उसकी कही बात का समर्थन करें। यहां प्रत्येक मैसेज, उस पर आए जवाब का स्क्रीन शॉट लेकर उसे सहेजा जा रहा है। इन सभी वाहियात मैसेज और उनके समर्थन में आए लोगों से जवाब तलब सुनिश्चित की जा रही है। ऐसे सभी मैसेज केस प्रॉपर्टी हैं, जिनमें किसी पर झूठे, आधारहीन और चरित्र हनन के आरोप लगाए गए हैं। इस समय लोगों को यह लग रहा होगा कि सबकुछ एकतरफा है और वे जो चाहे वह कर लें, लेकिन समय बदलता जरूर है। पूरी दुनिया में एक कहावत विख्यात है कि सुअर से पंगा मत लो, जोकि सच है। सुअर सीवरेज से निकलता है और अपनी गंदगी में दूसरे हर किसी को लिथना चाहता है, उसे अपनी गंदगी से इतना लगाव होता है कि बताने के बावजूद वह नहीं समझता। हालांकि सुअरों को भी नाथना तो पड़ता ही है, उन्हें उनकी औकात और जगह यानी बाड़ा बताना ही पड़ता है। ऐसे सुअरों के लिए बाड़ा तैयार हो रहा है, जिसमें उन्हें एक दिन जरूर भेजा जाएगा।
यहां रहने का नहीं रह गया कोई मतलब
Rosewood-2 में नाम न छापने की शर्त पर कई लोगों ने बताया कि इस जगह पर अब रहने का कोई मतलब नहीं रह गया है। यहां पर अपराधी किस्म के लोग ज्यादा आ गए हैं। एक सोसायटी में आप सिर्फ इसलिए नहीं रहते कि शहर की भीड़ भाड़ से अलग माहौल में रह सको, वहां आप इसलिए रहते हो क्योंकि आप को सुरक्षा भी हासिल होती है। लेकिन सोसायटी में आजकल ऐसे गुंडातत्वों का जोर है, जिनके झुंड की वजह से परेशान होकर लोग घर खाली करके जा रहे हैं। लोग अपने फ्लैट बेच रहे हैं, किराये पर दे रहे हैं। लेकिन इस जगह से अब उनका मोह भंग हो रहा है। यहां की सच्चाई मीडिया में भी सामने नहीं आ रही, क्योंकि मीडिया भी अब सच लिखने से कतराता है, मीडिया कर्मियों को सोसायटी का नाम और ऊंची दीवारें दिखती हैं, लेकिन उन दीवारों के पीछे छिपे हुए गुनाहगार नजर नहीं आते।