डेराबस्सी : मेंटेनेंस नहीं पे करने की समस्या से जूझ रही (Gbp rosewood estate society in Derabassi) जीबीपी रोजवुड इस्टेट सोसायटी के हालात दिन प्रति दिन इतने बदतर हो चुके हैं कि पेयजल की सप्लाई सुचारू नहीं हो पा रही है, वहीं रोड और पार्कों का रखरखाव नहीं हो रहा है। सफाई कर्मचारियों, माली, आफिस कर्मियों को वेतन का संकट बड़ी समस्या बन चुका है। सोसायटी में दिलचस्प यह है कि पानी की सप्लाई के लिए लगभग हर घर में मोटर पंप लग चुका है, लेकिन बावजूद इसके बहुत से लोग मेंटेनेंस पे नहीं कर रहे हैं। अपनी सुविधा के लिए उन्होंने अपना बंदोबस्त कर लिया लेकिन दूसरों की सुविधा का कोई ख्याल नहीं रख रहे। इस तरह की शिकायत यहां रहने वाले जागरूक लोगों की है, उनके मुताबिक बड़ी उम्मीदों के साथ उन्होंने यहां अपने आशियाने बनाए थे, लेकिन बाशिंदों की आपसी राजनीति की वजह से अब उनके सामने मुश्किलें ही मुश्किलें पैदा हो रही हैं।
टाइलें बिछाने का काम पड़ा अधूरा
सोसायटी के लोगों के अनुसार रोजवुड इस्टेट फेज-1 में सड़कों पर टाइलें बिछाने का काम शुरू हुआ था, कुछ हिस्से में टाइलें बिछाई गई हैं, लेकिन फंड की वजह से अब यह काम बीच में रोकना पड़ा है। पिछले दो सालों के अंदर सड़कों की हालत बद से बदतर हो चुकी है और पता ही नहीं चलता कि सड़क पर गड्ढे हैं या फिर गड्ढों में सड़क है। चंडीगढ़, पंचकूला और दूसरी जगहों से आकर यहां घर बसाने वाले लोगों को यह जानकार हैरानी होती है कि लोगों ने अपने आशियानों पर लाखों रुपये खर्च कर दिए लेकिन वे मेंटेनेंस की मामूली रकम देने में मुश्किल महसूस कर रहे हैं।
बरवाला रोड पर बह रहा सीवरेज
जीबीपी की रोजवुड-1 और रोजवुड-2 सोसायटी में जमीन के रेट दूसरी सोसायटीज की तुलना में बहुत ज्यादा हैं। लेकिन के हालात स्लम कॉलोनियों से भी बदतर होते दिख रहे हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार आजकल बरवाला रोड पर सीवरेज का पानी बहने से जहां कीचड़ और गंदा पानी सोसायटी के मेन गेट पर जमा हो गया है वहीं यहां बदबू का भी आलम है। रोजाना हजारों गाड़ियां सोसायटी के सामने से गुजरती हैं वहीं सोसायटी की भी गाड़ियां इसी रास्ते से होकर चंडीगढ़ और दूसरे स्थानों को जाती हैं। मेन गेट पर ही कीचड़ और गंदगी फैलने से लगता ही नहीं है कि लोग यहां पॉश सोसायटी में रह रहे हैं, उन्हें यहां रहते हुए किसी स्लम इलाके का अहसास होता है।
आरडब्ल्यूए को नहीं दिख रही ऐसी दिक्कत
स्थानीय जागरूक निवासियों के अनुसार पता नहीं कैसे रोड पर सीवरेज का यह गंदा पानी बह रहा है। पिछले चार-पांच सालों में उन्होंने ऐसा होते नहीं देखा है, लेकिन अब एकाएक यहां से गंदा रात-दिन बहकर बरवाला रोड पर जमा हो रहा है। इसकी वजह से बरवाला रोड जिसकी हालत पहले ही खराब है और उसके और टूटने की आशंका बढ़ गई है। इन निवासियों के अनुसार दो-दो आरडब्ल्यूए होने के बावजूद पता नहीं क्यों, उनके पदाधिकारियों, सदस्यों को इतने खराब हालात दिखते। आखिर जिस जगह पर हम रह रहे हैं, वहां की साफ-सफाई और उसका रखरखाव हमारे ही जिम्मे है।
तब एजूरे से झगड़ते थे, अब खुद नहीं कर रहे सहयोग
आरडब्ल्यूए के एक सदस्य लक्ष्य राणा के अनुसार एजूरे के समय सोसायटी के हाल ऐसे थे कि निवासी एजूरे से सेवाएं न देने पर झगड़ते थे, तब यह कहा जाता था कि अगर सोसायटी का रखरखाव हमारे पास आ जाए तो हम इसे जन्नत बना देंगे, लेकिन अब न जीबीपी है और न ही एजूरे, अब निवासी ही यहां के मालिक हैं। उन्हें ही तमाम रखरखाव का बंदोबस्त करना है, लेकिन तब भी कुछ गैरजिम्मेदार रेजिडेंट्स की वजह से सोसायटी के काम बाधित हो रहे हैं। ऐसे रेजिडेंट्स न खुद मेंटेनेंस पे कर रहे हैं और न ही दूसरों को करने दे रहे हैं। उनकी मंशा ऐसा करके आरडब्ल्यूए को संचालित कर रहे मौजूदा लोगों को हटाने की है।
एमसी करे टेकओवर तो सुधर जाएं हालात
एक अन्य सदस्य के अनुसार राजनीति अपनी जगह है, लेकिन सोसायटी की बेहतरी के लिए मिलकर काम किया जाना जरूरी है। ये सोसायटी इतनी भी बड़ी नहीं है कि उनकी सार-संभाल न हो सके, लेकिन आरडब्ल्यूए को संचालित कर रहे लोगों को सख्त निर्णय लेने होंगे, मेंटेनेंस की समय पर वसूली जरूरी है, अगर फंड होगा तो ही सोसायटी में सड़क, पानी की सप्लाई, पार्क आदि का बेहतर तरीके से
रखरखाव किया जा सकेगा। गौरतलब है कि स्थानीय रेजिडेंट्स में उन लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जोकि चाहते हैं अब म्युनिसिपल काउंसिल (एमसी) इन सोसायटियों को टेकओवर करे और यहां रखरखाव पर ध्यान देने। हो सकता है कि एमसी की वजह से ही यहां के हालात सुधर जाएं।