इसहफ्ते न्यूज/चंडीगढ़
The hope intiative in punjab : पंजाब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक सरकार ने राज्य में नशामुक्ति के लिए सार्वजनिक अरदास कराई। मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य के हित में लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं जोकि प्रदेश को विकास की दौड़ में आगे ले जा रहे हैं, वहीं समाज को भी प्रेरित कर रहे हैं। पंजाब के लिए नशाखोरी अभिशाप बन चुकी है और रोजाना ऐसी रपट दिल दहला देती हैं, जब परिजनों को अपने युवा बच्चों का अंतिम संस्कार करते हुए देखा जाता है। नशे की वजह से उनकी जान जा रही है और यह सिलसिला बंद होने का नाम नहीं ले रहा। सरकार अपने तौर पर तमाम काम कर रही है, लेकिन यह अभियान तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक कि जनता का इसमें सहयोग न मिले। ऐसे में अमृतसर में श्री हरिमंदिर साहिब में 35 हजार युवाओं ने एकत्रित होकर जिस प्रकार से पंजाब को नशामुक्त बनाने की अरदास की है, ईश्वर करे वह सफल हो और राज्य से नशे का समूल नाश हो जाए।
पंजाब की जवानी नशे में छटपटा रही
अरदास में असीम शक्ति होती है। ईश्वर के आराधना स्थलों पर जाकर वह प्रेरणा हासिल होती है जोकि जीवन बदल देती है। पंजाब में बीते कुछ वर्षों के दौरान जिस प्रकार से नशाखोरी ने अपने पैर पसारे हैं, उससे समाज, संस्कृति और व्यवस्था सभी प्रभावित हुए हैं। जिस राज्य को प्रगति पथ पर बढ़ते हुए सभी क्षेत्रों में सिरमौर होना चाहिए, उसकी जवानी नशे के जाल में फंस कर छटपटा रही है और अपनी जान गंवा रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने शपथ ग्रहण के बाद ही इसका संकल्प दोहराया था कि पंजाब से नशाखोरी खत्म करने के लिए उनकी सरकार काम करेगी। राज्य पुलिस बल ने अब इस दिशा में अनेक प्रयास शुरू किए हैं, लेकिन इस संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकार की ओर से यह सामूहिक अरदास जैसा प्रयास सराहनीय और उल्लेखनीय है। ईश्वर के समक्ष यह प्रार्थना समूह पंजाब को एकजुट करेगी इस पर विश्वास किया जाना चाहिए, लेकिन यह भी आवश्यक है कि सरकार के साथ समूह राजनीतिक दल भी साथ आएं और एकजुट होकर इस बुराई के खिलाफ जंग लड़ें। मुख्यमंत्री भगवंत मान का यह कहना उचित ही है कि रंगला पंजाब बनाने के लिए प्रदेश के युवा इस निर्णायक मुहिम का हिस्सा बनें।
राज्य सरकार ने बनाई अरदास करो, शपथ लो और खेलो की नीति
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने एक नीति तैयार की है, जिसे होप पहलकदमी (the hope initiative hope.pledge.play) का नाम दिया गया है। इसके तहत नशा विरोधी मिशन में अरदास करो, शपथ लो और खेलो की तीन स्तरीय रणनीति बनाई गई है। मुख्यमंत्री का यह संकल्प प्रेरक है कि यह मुहिम पंजाब को पूरी तरह से नशा मुक्त और सेहतमंद राज्य में बदलने के लिए निर्णायक काम करेगी। राज्य सरकार को इसका अहसास है कि ऐसे अभियान तभी फलीभूत होते हैं, जब जनता की उनमें सहभागिता होती है। आजकल पंजाब के तमाम जिलों से आई ऐसी रपटें परेशान करती हैं, जिनमें नशाखोरी के शिकार युवाओं को असमय मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाता है। इस दौरान युवा शपथ ले रहे होते हैं कि नशाखोरी नहीं करेंगे या फिर उसके खिलाफ काम करेंगे। हालांकि यह वे आवाजें हैं जोकि नशाखोरी के तूफान में न जाने कहां गायब हो जा रही हैं।
पंजाब सरकार की ओर से इस खतरे पर अंकुश लगाने के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का गठन किया गया है,लेकिन फिर भी यह बुराई खत्म नहीं हो रही।
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े हैं चिंताजनक
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की बीते वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य अब मादक पदार्थों के उपयोग और तस्करी के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट से पता चला कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 10,432 एफआईआर के साथ उत्तर प्रदेश अब शीर्ष स्थान पर है, इसके बाद महाराष्ट्र (10,078) और पंजाब (9,972) का स्थान है। चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की एक रिपोर्ट बताती है कि 30 लाख से अधिक लोग या लगभग पंजाब की 15.4 फीसदी आबादी इस समय नशीले पदार्थों का सेवन कर रही है। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि पंजाब में हर साल करीब 7,500 करोड़ रुपये का ड्रग्स का कारोबार होने का अनुमान है।
राज्य में मकबूलपुरा को अनाथों और विधवाओं के गांव के रूप में जाना जाता है, क्योंकि नशीली दवाओं के अधिकांश पीड़ित वहीं से आते हैं। सुप्रीम कोर्ट भी राज्य में इन हालात के लिए चिंतित है और राज्य सरकार को इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दे चुका है। वास्तव में नशे का मायाजाल तब खत्म होगा, जब इसे राजनीतिक संरक्षण मिलना बंद होगा। पुलिस और राजनेताओं का गठजोड़ भी नशे के आतंक को कायम रखे हुए है। पंजाब सरकार को राज्य में उन राजनीतिकों और पुलिस कर्मियों-अधिकारियों की पहचान भी करनी होगी, जोकि इस धंधे को संरक्षित कर रहे हैं।