चंडीगढ़

पंजाब के नए राज्यपाल पुरोहित का तमिलनाडु में क्यों हो रहा है विरोध

02 सितंबर, 2021 12:50 AM
तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित शपथ ग्रहण करने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ। फोटो इंटरनेट मीडिया

इसहफ्ते न्यूज. चंडीगढ़

राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की है, जिसमें उन्हें शहर में चल रहे प्रोजेक्ट और अन्य कार्यों की जानकारी दी है। उनके नाम की घोषणा के बाद से ही यह पूछा जा रहा है कि आखिर तमिलनाडु और पंजाब-चंडीगढ़ के अपने दायित्वों को वे एक साथ कैसे पूरा करेंगे। 


तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार एवं यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक का दायित्व संभाल लिया है। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक की है, इस दौरान अधिकारियों ने उन्हें शहर में चल रहे प्रोजेक्ट और अन्य कार्यों की जानकारी दी है। उनके नाम की घोषणा के बाद से ही यह पूछा जा रहा है कि आखिर तमिलनाडु और पंजाब-चंडीगढ़ के अपने दायित्वों को वे एक साथ कैसे पूरा करेंगे। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि आखिर महामहिम कितने दिन पंजाब राजभवन में रहेंगे और कितने दिन चेन्नई स्थित राजभवन में गुजारेंगे। अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर हरियाणा के राज्यपाल बंंडारू दत्तात्रेय को यह अतिरिक्त कार्यभार सौंपने की बजाय केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित को इसका जिम्मा क्यों सौंपा? उन्होंने पंजाब के 36वें राज्यपाल के तौर पर शपथ ली है।


गौरतलब है कि बनवारी लाल पुरोहित अनुशासन प्रिय नेता हैं और वे अपनी राय खुलकर रखते हैं। इस बीच अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार तमिलनाडु की राजनीति में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और विपक्षी पार्टी डीएमके के बीच एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद राज्यपाल द्वारा सरकारी विभागों के कामकाज को देखने के लिए किए जाने वाले दौरों को लेकर उठा है। जिसके बाद राजभवन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो लोग राज्यपाल को उनकी शक्तियों का इस्तेमाल करने से रोक रहे हैं उन्हें संविधान के तहत सजा दी जाएगी। राजभवन ने अपने बयान में कहा है कि राज्यपाल भविष्य में भी जिलों में अपने दौरे जारी रखेंगे। राज्यपाल का कार्यालय भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धारा 124 के तहत संरक्षित है। राज्यपाल को किसी भी तरह से रोकना, नियंत्रण में करना या हमला या आपराधिक ताकतों का इस्तेमाल करने की कोशिश होने पर कानून के तहत 7 साल की सजा या जुर्माना दिया जाएगा।


हालांकि राज भवन के इस बयान का जवाब देते हुए डीएमके के कार्यवाहक अध्यक्ष एमके स्टालिन ने राज्यपाल पर सीधे तौर पर राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया है और सजा देने की धमकी की निंदा की है। स्टालिन ने कहा, कि डीएमके राज्यपाल द्वारा सरकारी विभागों का दौरा करने के खिलाफ है। चूंकि यह समानांतर शासन का प्रयास है। राज्य के हितों का ध्यान रखते हुए डीएमके काले झंडों का प्रदर्शन जारी रखेगा। स्टालिन ने कहा कि डीएमके, सरकारी विभाग के रिव्यू के लिए राज्यपाल के दौरे के खिलाफ है क्योंकि उनका यह राज्य के सामंतवादी ढांचे में दखलंदाजी का प्रयास है। एमके स्टालिन ने राजभवन के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि गर्वनर द्वारा इस तरह का रिव्यू किसी भाजपा शासित राज्य या फिर पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में नहीं हुआ जहां एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी सत्ता में है। यहां तक कि तमिलनाडु के इतिहास में भी इस तरह का दौरा पहले कभी नहीं हुआ।


राजभवन से यह बयान तब आया है जब डीएमके के कार्यकर्ताओं ने बीते दिनों नमक्कल में राज्यपाल के दौरे के दौरान उन्हें काले झंडे दिखाए थे। पार्टी के कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया था। जिसके विरोध में शनिवार को स्टालिन के नेतृत्व में राजभवन के आगे एक जुलूस निकाला गया। यह जुलूस पार्टी कार्यकर्ताओं की नमक्कल में हुई गिरफ्तारी के खिलाफ था। स्टालिन सहित डीएमके के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

सोमवार को वीपी सिंह बदनौर ने छोड़ा पद
बहरहाल, पंजाब के राज्यपाल व चंडीगढ़ के प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने पांच साल का कार्यकाल पूरा होने पर सोमवार को अपना पद छोड़ दिया था। उन्हें विदाई देने के लिए पंजाब राजभवन में एक समारोह का आयोजन किया गया था। अपने विदाई भाषण में बदनौर ने कहा कि मैं अपने कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की चर्चा नहीं करना चाहता, जो भी मैंने किया या जो मैं नहीं कर सका, उसका फैसला शहर की जनता करे। चूंकि विकास एक सतत मामला है, जो रुकता नहीं है और अधिक की गुंजाइश हमेशा रहती है। बता दें कि 22 अगस्त 2016 को पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के रूप में बदनौर की नियुक्ति हुई थी।

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