चंडीगढ़

सिटी ब्यूटीफुल अब महज कागजों में या फिर होर्डिंग्स पर ही ब्यूटीफुल रह गया है ?

स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में शहर का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, पिछली बार के मुकाबले भी 22 अंक पिछड़ा ली कार्बूजिए का रचा शहर

21 नवंबर, 2021 02:36 PM
रॉकगार्डन में लगी ये आकृतियां पूछ रही हैं, जिस शहर की वजह से हमारा नाम है। वहां पर सफाई का स्तर अब गिरता क्यों जा रहा है। फोटो सोशल मीडिया

इसहफ्ते न्यूज .

चंडीगढ़ वर्ष साल 2016 में नंबर-2 पर था, इसके बाद साल 2017 में 11 वें स्थान पर आया और फिर साल 2018 में उसे तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। वहीं साल 2019 में उसे 20 वां स्थान मिला और वर्ष 2021 में उसे 16 वां स्थान मिला है।

सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ अब महज कागजों में या फिर शहर में कुछ जगह लगे होर्डिंग्स पर ही ब्यूटीफुल रह गया है। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 का परिणाम देखें तो यह सच्चाई सामने आ जाती है। इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में चंडीगढ़ का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। चंडीगढ़ का ऑल ओवर 38 रैंक रहा है, जोकि पिछले साल के मुकाबले 22 अंक पिछड़ा है। बीते साल की रैंकिंग में चंडीगढ़ 16वें नंबर पर था। शहर ने इस बार कुल 4277.29 स्कोर किया है। वहीं, चंडीगढ़ के साथ सटे पंचकूला की रैंकिंग भी गिरी है। पंचकूला का परिणाम पिछले वर्ष से कुछ खराब रहा है। शहर 99वें स्थान पर पहुंच गया है। केंद्रीय हाउसिंग एवं अर्बन अफेयर्स की तरफ से 2020 में जारी रैंकिंग में पंचकूला 56वें स्थान पर पहुंच गया था। प्रत्येक वर्ष आने वाले इस स्वच्छता सर्वे से अब यह जाहिर होने लगा है कि स्थानीय निकायों का प्रशासन और सरकार कितना काम कर रही हैं। वैसे, सफाई का मामला महज शासन-प्रशासन का नहीं है अपितु नागरिकों का भी है।

 

 प्रशासन ही नहीं नागरिकों के लिए भी चिंताजनक

ऐसे में अगर किसी शहर की रैंकिंग नीचे आ रही है तो यह उस शहर के नागरिकों के लिए भी चिंता की बात होनी चाहिए। गौरतलब है कि बीते वर्ष चंडीगढ़ के परिणाम देखकर नगर निगम के निर्वाचित प्रतिनिधियों और प्रशासन के अधिकारियों ने वादे और कसमें खाई थी कि शहर की रैंकिंग सुधारने के लिए जी जान लगा देंगे लेकिन सर्वेक्षण 2021 के परिणाम यह बताते हैं कि उनकी ओर से कितनी मेहनत की गई है। चंडीगढ़ नगर निगम के सभी दावे फेल साबित हुए हैं। इस बार 80 फीसद सूखे और गीले कचरे का सेग्रीशन करने का दावा किया गया था, लेकिन सभी दावे गलत साबित हुए हैं। इस समय शहर में प्रतिदिन 500 टन कचरा निकलता है, लेकिन गारबेज प्लांट में प्रतिदिन 100 टन कचरा ही मुश्किल से प्रोसेस हो पाता है, इसलिए लगातार डंपिंग ग्राउंड में कचरे का पहाड़ बढ़ता जा रहा है।

तो इंदौर से क्यों नहीं सीखता चंडीगढ़


मध्यप्रदेश का इंदौर शहर अब भी देश के लिए उदाहरण है कि नंबर वन की रैंकिंग को लगातार कैसे बनाए रखा जा सकता है। यह लगातार पांचवीं बार है, जब इंदौर देश के सर्वाधिक स्वच्छ शहरों पर पहले स्थान पर है। चंडीगढ़ नगर निगम के पार्षद और अधिकारी देश के शहरों के दौरे करते रहते हैं, लेकिन क्या वे कभी इंदौर जाकर आए हैं, जोकि एक सिटी ब्यूटीफुल भी नहीं था, अपितु बाद में अपने प्रयासों से सिटी ब्युटीफुल बन गया।

 

चंडीगढ़ वर्ष साल 2016 में नंबर-2 पर था, इसके बाद साल 2017 में 11 वें स्थान पर आया और फिर साल 2018 में उसे तीसरा स्थान प्राप्त हुआ। वहीं साल 2019 में उसे 20 वां स्थान मिला और वर्ष 2021 में उसे 16 वां स्थान मिला है। अब किसी उम्मीद की जा सकती है, अगले वर्ष आने वाली सूची में उसका स्थान संभव है 22वें स्थान पर हो और उसके अगले वर्ष यह स्थान 44वां और उसके बाद और भी नीचे जा सकता है। ऐसे में क्या चंडीगढ़ को मिला सिटी ब्यूटीफुल का खिताब मायने रखता है

 

निगम चुनाव भी होने हैं चंडीगढ़ में, उठेगा मुद्दा
चंडीगढ़ में अगले माह नगर निगम चुनाव भी होने हैं और अब स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिंग गिरने से विपक्षी कांग्रेसी और दूसरे दलों को भाजपा पर हमलावर होने का अवसर प्राप्त हो गया है। यकीनन इसके लिए जिम्मेदारी तय होना जरूरी है, कांग्रेस ने नगर निगम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा शासित नगर निगम शहर की सफाई के लिए कुछ भी नहीं कर पाया है, जिसका खामियाजा शहर वासियों को भुगतना पड़ रहा है। निगम हर वर्ष सफाई पर ही 200 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर रहा है। वैसे अगर चंडीगढ़ के पिछडऩे के कारणों की खोज करें तो मालूम होता है कि शहर के निवासी भी यह नहीं चाह रहे हैं कि उनका शहर स्वच्छ हो। सामने आ रहा है कि सोर्स लेवल यानी घरों से निकले कचरे को अलग नहीं किया जा रहा। लोग एक ही डस्टबिन में सूखा और गीला कचरा रखकर सफाई कर्मचारी को दे रहे हैं। वह कर्मचारी मजबूरी में इसी कचरे को सहज सफाई केंद्र में डाल रहा है। कचरा उठाने को लेकर समस्या आ रही है, वहीं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर बनी पॉलिसी

 

नहीं काटे जा रहे गंदगी फैलाने वालों के चालान 
अब दिखावे भर की चीज रह गई है। यह भी सामने आया है कि गंदगी फैलाने वालों के चालान नहीं हो रहे हैं। सेक्टर-17 और 22 में जोकि शहर के केंद्र हैं और कारोबार के लिहाज से भी अहम स्थल हैं, पर जहां-तहां कूड़े के ढेर देखे जा सकते हैं, यहां प्लास्टिक का कचरा फैला रहता है। न लोग ध्यान देते हैं और न ही नगर निगम। प्रशासन के अधिकारियों और नगर निगम के पार्षदों को राजनीति से फुर्सत नहीं मिल रही है। प्रशासन के अधिकारियों का तो दिल्ली-हरियाणा-पंजाब से आना-जाना लगा रहता है, एक समय था, जब चंडीगढ़ में पोस्टिंग को गर्व की बात माना जाता था, लेकिन आजकल तो यह मामूली बात हो गई है, ऐसे में इस खास शहर के साथ अधिकारी न्याय नहीं कर पा रहे। वे यहां के लोगों और इसकी रवायत को अपना नहीं पा रहे।

 पंचकूला प्रशासन को भी देना चाहिए ध्यान 

वहीं पंचकूला के हालात भी स्वच्छता को लेकर ऐसे ही हैं, यह शहर तो हरियाणा सरकार के तहत है, फिर भी इसकी रैंकिंग 99 पर पहुंच गई है। इसकी वजह शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट न होना है, जिससे पंचकूला के नंबर कट जाते हैं। पिछले कई वर्षों से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का टेंडर लटका हुआ है और बार-बार इसकी तिथि बढ़ा दी जाती है, लेकिन अब तक टेंडर ना खुलने के कारण यह प्लांट नहीं लग पाया। यह संतोष की बात है कि मोहाली की रैंकिंग सुधरी है। जाहिर है, चंडीगढ़, पंचकूला प्रशासन को उन खामियों की तलाश करनी ही होगी, जिनकी वजह से शहर स्वच्छता रैंकिंग में पिछड़ रहे हैं। सिटी ब्यूटीफुल सिर्फ नाम से ही नहीं अपितु हकीकत से ब्युटीफुल होनी चाहिए।

Have something to say? Post your comment

और चंडीगढ़ खबरें

क्या सच में चंडीगढ़ को जरूरत है एक राज्यसभा सीट की

क्या सच में चंडीगढ़ को जरूरत है एक राज्यसभा सीट की

चंडीगढ़ को अंधेरे में डुबाेने का जिम्मेदार कौन?

चंडीगढ़ को अंधेरे में डुबाेने का जिम्मेदार कौन?

स्टार्टअप को मिलेगी ग्रोथ, चंडीगढ़ प्रशासन की होगी अपनी पॉलिसी

स्टार्टअप को मिलेगी ग्रोथ, चंडीगढ़ प्रशासन की होगी अपनी पॉलिसी

चंडीगढ़ निगम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सरबजीत कौर बनीं मेयर

चंडीगढ़ निगम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सरबजीत कौर बनीं मेयर

'ब्रांड बबला' के पाला बदल से भाजपा को पंजाब में होगा फायदा!

'ब्रांड बबला' के पाला बदल से भाजपा को पंजाब में होगा फायदा!

बदलाव के लिए वोट करने वाली चंडीगढ़ की जनता चाहती क्या है?

बदलाव के लिए वोट करने वाली चंडीगढ़ की जनता चाहती क्या है?

निगम चुनाव के लिए चंडीगढ़ तैयार, 26 नहीं अब 35 वार्डों में मोर्चाबंदी

निगम चुनाव के लिए चंडीगढ़ तैयार, 26 नहीं अब 35 वार्डों में मोर्चाबंदी

चंडीगढ़ के क्लबों, पब, बार में हुक्के के सेवन पर पूरी तरह लगेगा प्रतिबंध

चंडीगढ़ के क्लबों, पब, बार में हुक्के के सेवन पर पूरी तरह लगेगा प्रतिबंध

सीटीयू की बसों पर भी अब कंट्रोल रूम से रखी जाएगी नजर

सीटीयू की बसों पर भी अब कंट्रोल रूम से रखी जाएगी नजर

पीजीआई चंडीगढ़ में ओपीडी खुली, अब डॉक्टरों से सीधे मिलना आसान

पीजीआई चंडीगढ़ में ओपीडी खुली, अब डॉक्टरों से सीधे मिलना आसान