इसहफ्ते न्यूज . चंडीगढ़
इलाके के लोगों की बदलाव को लेकर उत्कंठा का इरादा इसी बात से जाहिर हो जाता है कि यहां सबसे ज्यादा 72.81 फीसदी वोटिंग हुई है। इसके अलावा 8 ऐसे भी वार्ड हैं, जहां 70 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है, इन वार्डों में 1,4,7,15,16,19,26,28 शामिल हैं।
चंडीगढ़ में नगर निगम चुनाव के दौरान मतदान करके लौटने वाले ज्यादातर मतदाताओं ने कहा कि वे बदलाव के लिए वोट करके आए हैं। कोरोना काल और कडक़ती ठंड के बीच शहर में इस बार 60.45 फीसदी वोटिंग हुई है, जिसे रिकॉर्ड माना जा रहा है। वर्ष 2016 में हुए निगम चुनाव के दौरान 59.5 फीसदी वोट डाले गए थे, वहीं 2011 में हुए चुनाव के वक्त 59.8 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस बार चुनाव में राजनीतिक हालात कुछ अलग रहे हैं, आम आदमी पार्टी ने काफी सक्रियता से निगम चुनाव में हिस्सा लिया और उसके नेतृत्व एवं उम्मीदवारों की ओर से शहर के लोगों से काफी वादे किए गए।
भाजपा पिछले पांच वर्ष से निगम की सत्ता में कायम है, बीते लोकसभा चुनाव के दौरान जनता ने पार्टी की उम्मीदवार किरण खेर को फिर से जीत दिलाई थी। हालांकि भाजपा नेतृत्व को शहर में कोई अन्य उम्मीदवार नहीं मिला था, बावजूद इसके अब अपनी बीमारी की वजह से सांसद किरण खेर शहर से दूर हैं। बेशक, बीमार होना एक संवेदनशील मसला और संबंधित के प्रति सहानुभूति होनी चाहिए लेकिन भाजपा को इस चुनाव में कई मोर्चों पर चुनौती झेलनी पड़ रही है। अब बदलाव किसके लिए और किस दिशा में होगा, यह आगामी 27 दिसंबर को सामने आ जाएगा। पंजाब में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं और यहां राजनीतिक दल अपना चुनावी अभियान शुरू कर चुके हैं, चंडीगढ़ के परिणाम यह बताएंगे कि आखिर इस इलाके में जनता का मूड क्या है।
हालांकि भाजपा, कांग्रेस और आप तीनों राजनीतिक दलों का अपना-अपना दावा है कि उन्हें बहुमत मिल रहा है और मेयर भी उन्हीं का बनेगा। इस समय भाजपा के निगम में 26 में से 20 पार्षद हैं। नई वार्ड बंदी के बाद निगम में अब 35 वार्ड हैं, यानी इस बार शहर के लोगों ने 35 पार्षदों को चयन किया है। चंडीगढ़ एक समय सीमित आबादी के लिए बसाया गया था शहर था, लेकिन समय के साथ रोजगार और नौकरी-पेशा लोगों ने इसे अपनी रिहायश बना लिया और अब ज्यादातर आबादी प्रवासी लोगों की है। इस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता कि कोई दूसरे प्रदेश से आकर यहां क्यों बसता है, लेकिन एक शहर की जरूरतें उसकी आबादी के साथ बढ़ती जाती हैं।
चंडीगढ़ में पहले पंचायतें थीं, जिन्हें अब वार्डों में सम्मिलित कर दिया गया है। ऐसे में गांव और सेक्टर अब एक आधार रखने लगे हैं, यह अच्छी बात है, क्योंकि गांवों के विकास के लिए पुरजोर कार्य होने जरूरी हैं और शहर के समुचित विकास के लिए सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत होती है। मालूम हो, चंडीगढ़ में डड्डूमाजरा, सेक्टर-25 और धनास का इलाका शहर से निकले कचरे की वजह से हमेशा स्थानीय निवासियों के लिए सिरदर्दी रहा है। इस बार के निगम चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने यहां कूड़े के समाधान के लिए काम करने का वादा किया है। इलाके के लोगों की बदलाव को लेकर उत्कंठा का इरादा इसी बात से जाहिर हो जाता है कि यहां सबसे ज्यादा 72.81 फीसदी वोटिंग हुई है। इसके अलावा 8 ऐसे भी वार्ड हैं, जहां 70 फीसदी से ज्यादा वोटिंग हुई है, इन वार्डों में 1,4,7,15,16,19,26,28 शामिल हैं।
ये सभी वार्ड गांव और कॉलोनियों में आते हैं। इसका अभिप्राय यह है कि इन इलाकों के लोगों ने अपने यहां की समस्याओं के समाधान के लिए बढ़-चढक़र वोट किया है। लोकतंत्र में जनता के पास वोट की महाताकत होती है और उसने इस बार उसका खूब इस्तेमाल किया है। इसलिए इस बार के चुनाव परिणाम अगर पूरी तरह अलग दिखें तो हैरानी नहीं होनी चाहिए।
इस बार के चुनाव में युवा मतदाताओं की भी उल्लेखनीय प्रतिभागिता रही है। युवाओं का कहना है कि राजनीतिक दलों ने उन्हें बरगलाने की कोशिश की है, शहर में तमाम मुद्दे हैं, जिनका समाधान होना जरूरी है। सड़कें, पार्किंग, पार्क, पानी आदि के लिए और बेहतर तरीके से काम किए जाने की आवश्यकता है।
मतदान के लिए पहुंचे कुछ युवाओं ने कहा कि चेंज जरूरी है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वे यह कहते भी मिले कि चुनाव से ठीक पहले काम कराए गए, जैसे कि गड्ढे भरना। जाहिर है, मतदाता को यह लगा है कि जो काम नियमित रूप से और समय से होने चाहिएं, उनके लिए चुनाव से पहले का वक्त ही चुना गया, क्योंकि जनता को यह दिखाना था कि हम काम कर रहे हैं। शहर की मार्केट में सफाई और शौचालयों की हालत बहुत बदतर है। यह काम नगर निगम के जिम्मे ही आता है, बावजूद इसके इस पर कोई काम नहीं हुआ है। शहर में सरकारी मकानों की स्थिति भी बदतर है, महिला मतदाताओंं को यह बात काफी चुभती रही है। ऐसी मतदाताओं ने साफ कहा है कि वे बदलाव के लिए वोट करके आई हैं, बाकी ने भी ऐसा किया होगा।
वास्तव में चुनाव ही परिवर्तन का जायज तरीका है। हालांकि परिवर्तन की जरूरत क्यों पड़ती है, यह राजनीतिक दलों को समझना होगा। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के परिणाम इस बार कुछ भी रहें लेकिन यह तय है कि जनता ने शहर के समुचित विकास और इसकी समस्याओं के निराकरण के लिए वोट किया है। जनता निगम में रोज-रोज चलने वाले झंझटों से वास्ता नहीं रखती, उसे तो अपने वार्ड और अपने इलाके में काम चाहिए। इस बार के चुनाव में जो भी उम्मीदवार चुन कर निगम में पहुंचे, उन्हें अपने वादे और इरादों का याद रखना होगा क्योंकि जनता अगले पांच साल बाद फिर बदलाव के लिए वोट करेगी।