Ganesh visarjan 2023 चंडीगढ़ : गणेश चतुर्थी का पावन पर्व आज (28 सितंबर) को देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। यह वह दिवस होता है, जब घर पधारे गणेश जी को विदा कर उनकी प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। बृहस्पतिवार को ट्राईसिटी में भी गणेश चतुर्थी की धूम है और मंदिरों में विशेष आयोजन किए गए हैं। आज सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। ट्राईसिटी में खरड़ में भाखड़ा नहर और डेराबस्सी, पंचकूला की ओर घग्गर नदी में भक्तों ने भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया। गौरतलब है कि गणेश उत्सव का आरंभ भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होता है और इसका समापन भी चतुर्दशी तिथि के दिन होता है। इस बार 18 सितंबर से गणेश उत्सव का आरंभ हुआ था। ट्राईसिटी में भी गणेश जी के भक्तों ने पूजा अर्चना के साथ उन्हें अगले दस दिनों के लिए अपने घरों में विराजमान किया।
परंपरा को कायम रखे हुए परिवार
मोहाली के खरड़ स्थित न्यू सन्नी इन्क्लेव निवासी एवं चंडीगढ़ सेक्टर-8 में पंजाब नेशनल बैंक में वरिष्ठ प्रबंधक सुनील मोंगिया प्रत्येक वर्ष भगवान गणेश को अपने घर में विराजते हैं। इस बार भी उन्होंने इस परंपरा को जीवंत रखते हुए अपने घर में गणेश जी को स्थापित किया और बृहस्पतिवार को चतुर्थी पर विसर्जन को संपन्न किया। उन्होंने कहा कि गणेश जी रिद्धि, सिद्धि और कल्याण के देवता हैं। उनकी कृपा से सभी कार्य संपन्न हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि घर-परिवार में खुशहाली के साथ उनकी कामना है कि समाज व देश पर भी भगवान श्रीगणेश की कृपा हो।
तिलक ने स्थापित की थी परंपरा
गणेश जी की आराधना के लिए चतुर्थी पर्व की अपनी धार्मिक और सामाजिक महिमा है। कहा जाता है कि आजादी की लड़ाई के समय बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के मकसद से इस पर्व के आयोजन की शुरुआत की थी। महाराष्ट्र में यह पर्व पूरे धूमधाम से मनाया जाता है, इस बार राज्य में इसकी छटा देखते ही बन रही है। विभिन्न रिपोर्ट के अनुसार राज्य में लोगों ने पूरे विधि विधान से गणेश जी को अपने घरों में, सार्वजनिक पंडालों में आमंत्रित किया है। फिल्म नगरी मुंबई में फिल्म कलाकारों ने अपने यहां गणेश जी को सादर आमंत्रित कर उनकी पूजा अर्चना की है।
इस प्रकार करें गणेश जी की पूजा
पंडित श्रीशंकर नेे बताया कि गणेश विसर्जन से पहले गणेश भगवान की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। फिर गणेश चालीसा का पाठ करें। इसके बाद एक लकड़ी के पाटे को गंगाजल से साफ करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। फिर लकड़ी के पाटे पर लाल रंग का कपड़ा बिछा दें और चारों कोनों पर एक-एक पूजा की सुपारी रख दें। अब गणेश जी की मूर्ति को उस पाटे पर रख लें और गणेश जी का जयघोष करते हुए गणपति बप्पा को फूल, फल, मोदक रखकर नए वस्त्र रखें। आखिर में श्री गणेश की आरती करें और उनसे मंगल कामना करेंं।
घर से विदा करने सेे पहले मांगे क्षमा
ऐसा विधान है कि सभी चीजों की पोटली बनाकर भगवान गणेश जी के पास रख दें। फिर गणपति बप्पा से 10 दिनों के दौरान पूजा-पाठ में अंजाने से हुए गलती के लिए क्षमा याचना करें। मंगल की कामना करते हुए और गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे लगाते हुए बप्पा को पाटे सहित उठाकर अपने सिर या कंधे पर रख दें। इस तरह से उनको विसर्जन वाले स्थान पर ले जाएं। जब गणपति को विसर्जन के स्थान पर लेकर जाएं तो वहां पर एक बार फिर कपूर जलाकर भगवान गणेश की आरती करें। साथ ही उनके पास रखी पोटली को फेंके नहीं, बल्कि बड़े सम्मान के साथ सभी को गणेश जी के साथ विसर्जित कर दें। इसके बाद पुन: बप्पा से विदा मांगते हुए अगले साल जल्दी आने की कामना करें।