कड़कती ठंड जब लोगों को अपने घरों में ही कैद रहने को मजबूर कर रही है, तब कुछ भक्तों का एक जत्था मंदिर-मंदिर जाकर भगवान की अलख जगा रहा है। आखिर इसके पीछे क्या मंतव्य हो सकता है? एक महिला बताती हैं- भगवान का नाम लेना है और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना है। भगवान के नाम से वह ऊर्जा मिलती है, जोकि इस भयंकर सर्दी को भी खत्म कर देती है। रामजी के भक्तों की यह टोली प्रत्येक मंगलवार को जीरकपुर की विभिन्न सोसायटीज में बने मंदिरों में श्रीराम भक्त हनुमान जी की चालिसा का पाठ करती है और पूजन-वंदन करती है।
108 मंदिरों में जगेगी रामनाम की अलख
रामजी की टोली नाम से प्रचलित इस समूह का नेतृत्व ढकोली में ड्रीम होम्स निवासी गीता अम्बष्ट कर रही हैं। भारतीय संस्कृति और आचार-विचार से ओत-प्रोत गीता अम्बष्ट ने बताया कि सामाजिक सद्भावना के लिए रामजी की टोली ने जीरकपुर के अलग-अलग 108 मंदिरों और सोसायटीज में हनुमान चालीसा का पाठ प्रत्येक मंगलवार को करने का निर्णय लिया हुआ है। उन्होंने बताया कि रामजी की टोली में शशि शर्मा, सुरेश शर्मा, नीरू वधवा, सुनीता डोगरा, रेणु शर्मा, शारदा शर्मा व अन्य कई लोग शामिल हैं।
18 अक्तूबर को ड्रीम होम्स से हुई शुरुआत
इस मुहिम की शुरुआत 18 अक्तूबर को ड्रीम होम्स सोसायटी ढकोली के मंदिर से हुई थी। इसके बाद 11वें मंगलवार को बलटाना स्थित काली मंदिर में हनुमान चालीसा पाठ हुआ। हालांकि ग्रहण की वजह से 25 अक्तूबर और 8 नवंबर को हनुमान चालीसा का पाठ नहीं हो पाया। ग्रहणकाल के दौरान मंदिरों को बंद रखा जाता है और इस दौरान देव प्रतिमा के दर्शन नहीं किए जाते। गीता अम्बष्ट ने बताया कि हनुमान चालीसा के पाठ के दौरान शुरुआत हरे राम हरे कृष्णा भजन से होती है। इसके बाद हनुमान चालीसा, संकट मोचन बजरंग बाण और 108 राम नाम की माला और एक भजन की प्रस्तुति से समापन किया जाता है।
एक विचार को बढ़ा रहीं आगे
गीता अम्बष्ट से पूछा गया कि इतनी ठंड में घरों से बाहर आकर ऐसे आयोजन का हिस्सा बनना कितना सहज है। इस पर उन्होंने कहा कि भगवान के स्मरण से तो हर प्रकार की बाधा समाप्त हो जाती है, उनमें भरोसा रखकर अगर कोई कार्य शुरू किया जाए तो उसमें सफलता मिलती ही है। फिर ठंड तो ठंड है। प्रकृति है, अभी ठंड है, आगे गर्मी आएगी, इसी तरह चलता रहेगा। ऐसे में जीवन को बांध कर थोड़े रख सकते हैं।
क्या मकसद है, इस मुहिम का
गीता अम्बष्ट ने बताया कि सामाजिक सद्भावना का उद्देश्य लेकर इस मुहिम को शुरू किया है। धर्म-संस्कृति और अध्यात्म के द्वारा समाज के हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने का प्रयोजन है। समाज में ऊंच-नीच खत्म हो और एकता आए। उन्होंने कहा कि आज के परिवेश में अलग-थलग पड़े समाज के कई वर्ग एक दूसरे से मिलने-जुलने में संकोच करने लगे हैं। ऊंच-नीच का भेदभाव इस हद तक बढ़ चुका है कि समाज में रहन-सहन के साथ-साथ सौहार्द खत्म हो चुका है। इस कारण हमने निर्णय लिया कि भगवान का भजन कीर्तन करते हुए समाज में भ्रातृभाव को संजोने का काम करेंगे।
हिंदू-अस्मिता और राष्ट्रीय स्वाभिमान की हो रक्षा
ड्रीम होम्स निवासी शिशुतोष कुमार सुमन भी इस मुहिम से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू-अस्मिता और राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा के लिए ऐसे आयोजन किए जाने आवश्यक हैं। समाज में आज वैमनस्य बढ़ रहा है, बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में कटुता भरी हुई है कि सभी अपने बारे में सोचते हैं। अब मर्यादाओं का हनन हो रहा है। वैचारिक कट्टरता को खत्म किया जाना चाहिए।
सुमन के अनुसार हमारी सनातन परंपरा में प्रत्येक भारतीय को प्रात: उठते ही धरती को माथे पर लगाने की परंपरा रही है। जो कमोबेश आज भी है। पाश्चात्य संस्कृति ने हमारी वेशभूषा, रहन-सहन और सोच पर जबरदस्त कुठाराघात किया है। जिससे हमारे बच्चों पर प्रभाव पडऩा लाजिमी है, हमें अपनी पुरातन संस्कृति को संजो कर सिर्फ रखना ही नहीं है, अपितु उसे विस्तृत करना भी हमारा मकसद होना चाहिए।