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इस घटना के बाद पंजाब की राजनीति में बेअदबी अगर चुनावी मुद्दा न बने तो ऐसा नहीं हो सकता। शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया है कि कुछ दिन पहले गुटका साहिब को सरोवर में फेंकने के दौरान भी सुरक्षा एजेंसियां सावधान नहीं थी, इसका सत्ता पक्ष को जवाब देना होगा। वहीं आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आशंका जाहिर की है कि यह बहुत बड़ी साजिश हो सकती है।
अमृतसर स्थित श्री हरिमंदिर साहिब में शनिवार को बेअदबी की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी जितनी निंदा की जाए वह कम है, हालांकि इस दौरान बेअदबी के आरोपी युवक की भीड़ के द्वारा पीट कर हत्या किया जाना भी लज्जाजनक है और कानून के शासन की धज्जियां उड़ाता है। पंजाब की सियासत धर्म आधारित है, राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में राजनीतिक दलों का प्रचार जारी है, वहीं राज्य में श्री गुरुग्रंथ साहिब को लेकर ऐसी हरकतें बेहद चिंताजनक और राज्य के माहौल को खराब करने की साजिश नजर आती हैं।
यह अपने आप में हैरत वाली बात है कि एक युवक स्वर्ण मंदिर के अंदर सचखंड साहिब के अंदर सुशोभित श्री गुरु ग्रंथ साहिब तक पहुंच गया और वहां मौजूद किरपाण को उठाकर भागने की कोशिश की। आखिर एक पवित्र स्थल की पवित्रता को नापाक करने की कोशिश कैसे की जा सकती है और कौन इसके पीछे साजिशकर्ता हो सकता है। इससे पहले बुधवार को भी यहां गुटका साहब पवित्र सरोवर में मिला था, जिसके बाद से तमाम आशंकाएं जाहिर की जा रही थी। किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली बॉर्डर पर भी एक युवक पर बेअदबी का आरोप लगा था, जिस दौरान कुछ निहंग सिंहों ने उसकी हत्या कर दी थी। अभी तक उस मामले का सच भी उजागर नहीं हुआ है।
श्री हरिमंदिर साहिब में ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं, इससे पहले वर्ष 2015 में फरीदकोट के बरगाड़ी में बेअदबी की घटना आज भी सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई है। इस घटना के विरोध में धरने पर बैठे लोगों पर पुलिस की गोलीबारी में दो युवकों की मौत हो गई थी। वर्ष 2017 के चुनाव में यह मुख्य मुद्दा था। अब पांच साल बाद फिर से स्वर्ण मंदिर में ऐसी ही घटना का सामने आना किसी गहरी साजिश की ओर इशारा करता है।
इस घटना के पीछे कौन लोग हैं, या भीड़ की पिटाई से मारा गया युवक अकेले ही ऐसे सिरफिरे कृत्य को अंजाम देने आया था, का खुलासा जांच के बाद ही हो सकेगा। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जाहिर है, स्वर्ण मंदिर में ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी ने इस हद तक जाकर पवित्र ग्रंथ की बेअदबी की है, मृतक आरोपी का पैर पवित्र ग्रंथ को सहेजने वाले श्री रूमाल साहिब तक पहुंच गया था। यह सिख समाज की भावनाओं को बेहद उग्र करने वाला कार्य है, जिसको न सिख समाज स्वीकार करेगा और न ही धार्मिक सौहार्द चाहने वाले अन्य धर्मी।
किसी भी धर्म के पवित्र ग्रंथों, उसके प्रतीक चिन्हों, पूजा स्थलों आदि के संबंध में न तो नकारात्मक टिप्पणी होनी चाहिए और न ही कोई कृत्य। हम उस दौर को याद कर सकते हैं, जब देश पर मुस्लिम आक्रांता हमला करते थे, वे आक्रमणकारी न केवल हिंदू अपितु सिख समाज के पवित्र स्थलों पर भी हमला करते थे। जाहिर है, एक सभ्य समाज और स्वतंत्र, लोकतांत्रिक देश में ऐसे किसी भी कृत्य को स्वीकार नहीं किया जाएगा जिसमें किसी धर्म की स्वतंत्रता और उसके आस्थावानों की भावनाओं को नुकसान पहुंचता हो।
इस घटना के बाद पंजाब की राजनीति में बेअदबी अगर चुनावी मुद्दा न बने तो ऐसा नहीं हो सकता। शिरोमणि अकाली दल ने आरोप लगाया है कि कुछ दिन पहले गुटका साहिब को सरोवर में फेंकने के दौरान भी सुरक्षा एजेंसियां सावधान नहीं थी, इसका सत्ता पक्ष को जवाब देना होगा। वहीं आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आशंका जाहिर की है कि यह बहुत बड़ी साजिश हो सकती है। इसके अलावा भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर आरोप मढ़ दिया है कि सरकार पहले हुई घटनाओं के आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में विफल रही है। एसजीपीसी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने आशंका जताई है कि यह कोई अचानक हुई घटना नहीं है, बल्कि सोची-समझी साजिश है और इसका मकसद सिखों की भावनाओं को भड़काकर माहौल खराब करने का है।
मालूम हो, यह सामने आ रहा है कि मृतक आरोपी ने किरपाण उठाकर नारे लगाने की कोशिश की थी, यानी वह पहले से इसके लिए तैयार था, कि ऐसा करना है और इसके बाद कुछ ऐसा करना है जोकि माहौल को बेहद खराब कर दे। यह एकाएक हुई घटना नजर नहीं आती। आजकल पाकिस्तान से ड्रोन भी लगातार पंजाब की सीमा में आ रहे हैं। पाकिस्तान ही वह देश है, जोकि जाली करंसी, नशीले पदार्थ और आतंकी भारतीय सीमा में भेज रहा है। पाक की खुफिया एजेंसी के तार खालिस्तान समर्थकोंं के साथ जुड़े रहे हैं और अब भी अनेक खालिस्तानी समर्थक भारत से भाग आईएसआई की गोद में संरक्षित हैं।
यह मामला महज पंजाब तक सीमित नहीं माना जा सकता, इसमें पूरे देश की सुरक्षा और उसकी अखंडता का प्रश्न जुड़ा है। यह भी निश्चित है कि ऐसा करने के पीछे पंजाब के माहौल को खराब करने का षड्यंत्र रचा जा रहा हो। पूरी दुनिया जानती है कि पंजाब की भारत के लिए क्या अहमियत है। पंजाब वह राज्य है, जिसके बगैर भारत की सुरक्षा, उसकी अखंडता खंडित हो सकती है। ऐसे में पाकिस्तान की साजिश पंजाब को एक बार फिर अस्थिर करने की हो सकती है। खालिस्तानी सोच के पीछे भी पाकिस्तान का ही हाथ था, लेकिन उसे केंद्र सरकार के मजबूत इरादों के आगे धूल चाटनी पड़ी थी। पंजाब की मौजूदा सरकार के लिए तो यह मामला उच्च स्तरीय जांच का होना ही चाहिए वहीं सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे दहशतगर्दों की पहचान करनी चाहिए जोकि राज्य की शांति-व्यवस्था को भंग करने का दुस्साहस कर रहे हैं।