इसहफ्ते न्यूज . चंडीगढ़
Punjab election 2022 सवाल यह है कि आखिर चुनाव के वक्त ही ऐसा क्यों होता है। दबाव की यह राजनीति विरोधियों को कुछ डरा देती है, लेकिन इससे जनता का क्या फायदा होता होगा? बात रेत खनन में पंजाब के मुख्यमंत्री (charanjeet singh channi) चरणजीत सिंह चन्नी के रिश्तेदारों के यहां ईडी (Enforcement Directorate) के छापे की हो रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मोहाली और लुधियाना समेत पंजाब में 12 जगह पर कार्रवाई की है।
मोहाली के सेक्टर 71 में सीएम की साली के बेटे के यहां फ्लैट में छह करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं, इन्हें गिनने के लिए छह मशीनें मंगवानी पड़ी। इसी तरह दूसरे ठिकानों पर भी नोटों के अंबार मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश में इत्र व्यापारी के यहां छापे के बाद जिस प्रकार कई दिनों तक नोटों की गिनती चलती रही थी, उसी प्रकार पंजाब में हालात नजर आ रहे हैं। यह धन किसका है, इस पर किसी को ताज्जुब नहीं होना चाहिए, लेकिन इतना धन घरों में भरकर रखा गया है, यह घोर हैरान करने वाली बात है।
क्या वैधानिक तरीके से कमाया गया इतना धन घरों में भरकर रखा जा सकता है, अगर यह वैधानिक कमाई होती तो इसे बैंकों में होना चाहिए। कहते हैं, कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक चुनाव लड़ सकता है और विधानसभा या लोकसभा में पहुंच सकता है। क्या वास्तव में एक आम आदमी आज चुनाव लड़ सकता है, दरअसल चुनाव वही लड़ते हैं और लड़ सकते हैं, जिनके घरों की अलमारियां नोटों को उगलती हों।
यह भी खूब है कि सरकार में ऊंचाई पर बैठे लोगों को सब मालूम होता है, लेकिन फिर भी वे कार्रवाई नहीं करते और मौके की तलाश में रहते हैं। सवाल यह है कि पंजाब में रेत खनन के अवैध कारोबार की खबरें लंबे समय से चल रही हैं, फिर प्रवर्तन निदेशालय ने भी अभी इस पर कार्रवाई के लिए समय क्यों निकाला है।
पिछले दिनों चमकौर साहिब में मुख्यमंत्री के विधानसभा हलके में आम आदमी पार्टी की ओर से अवैध रेत खनन का मामला सामने लाया गया था, हालांकि उनसे पहले मीडिया की ओर से भी तमाम खबरों के जरिए यहां अवैध खनन का भंडाफोड़ किया गया है। यह भी गौर करने लायक है कि वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हेलीकॉप्टर से अवैध खनन का जायजा लिया था, इसके बाद 26 लोगों के खिलाफ माइनिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। उस समय एफआईआर में सीएम चन्नी के भांजे का नाम नहीं था, लेकिन जांच के बाद यह शामिल किया गया। जाहिर है, तब कैप्टन और चन्नी में एक राजनीतिक साझेदारी रही होगी लेकिन अब कैप्टन कांग्रेस से बाहर हैं और चन्नी मुख्यमंत्री। कैप्टन अमरिंदर अब भाजपा के नजदीकी हैं।
बीते वर्ष जब आम आदमी पार्टी ने अवैध खनन के मुद्दे को उठाया था तो चमकौर साहिब में रेत खनन की जगह खुद सीएम पहुंचे थे और आम आदमी पार्टी की ओर से लगाए गए आरोपों को नकार दिया था, इसके बाद सरकार ने रेत की ट्राली के दाम तय किए थे। लेकिन बावजूद इसके यह धंधा रूका नहीं। जिस प्रकार सरकार ड्रग्स की रोकथाम के दावे करती है, लेकिन हकीकत में ड्रग्स का रैकेट जारी रहता है, उसी प्रकार अवैध रेत खनन का धंधा भी चलता रहता है।
नीचे से लेकर ऊपर तक नोटों के बैग पहुंचते रहते हैं, घरों की अलमारियां नोटों से भरी रहती हैं, दीवारें नोटों से बनी होती हैं, फर्शों के नीचे तहखाने में नोट सड़ते रहते हैं। आर्थिक संकट की मार झेल रहे पंजाब में जहां तमाम सरकारी कर्मचारियों को महीने का वेतन देने के लिए भी सरकार के पास पैसे न हों, वहां पर एक-एक घर से छह-छह करोड़ रुपये की बरामदगी होना हैरान करने वाली घटना ही कही जाएगी। लेकिन मामले में जिम्मेदारों की टिप्पणी भी उतनी ही हैरान करने वाली होती हैं।
अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कोई स्पष्टीकरण देने के बजाय केंद्र सरकार पर यह तोहमत लगा दी कि बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी के रिश्तेदारों के यहां भी ऐसे ही छापे मारे गए थे, पंजाब में हुई कार्रवाई भी उसी तरह की है। फिर उन्होंने यह भी कहा है कि वे ऐसी कार्रवाईयों से घबराने वाले नहीं है। ठीक है, प्रत्येक खास और आम को अपना रोजगार, व्यवसाय, नौकरी करके धन कमाने का अधिकार है, लेकिन कोई यह बताएगा कि बगैर किसी रिकॉर्ड के और कमाई के तय जरियों के अगर अकूत सम्पत्ति अर्जित कर ली जाती है तो वह कैसे की जाती है। अगर सरकार के मंत्री, राजनेता वह सूत्र जानते हैं तो उसे प्रत्येक को क्यों नहीं बता देते, फिर युवा नौकरियां मांगते हुए पुलिस के डंडे खाएंगे और न ही सरकारी कर्मचारी सडक़ों पर नारे लगाते फिरेंगे।
इन छापों के बाद देश की राजनीति में भारी हलचल है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तो कह दिया है कि ईडी की छापेमारी भाजपा का पसंदीदा हथियार है। फिर उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस छापेमारी से नहीं डरती। इसके बाद प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने दोहराया कि केंद्र अभी भी पीएम की फ्लॉप रैली से परेशान है। वहीं रणदीप सुरजेवाला का बयान है कि ईडी एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट नहीं रही, अपितु भाजपा का इलेक्शन डिपार्टमेंट बन गई है।
कांग्रेस नेताओं से अलग दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि जो लोग अवैध खनन में संलिप्त हैं, उनसे पंजाब के भले की क्या उम्मीद की जा सकती है। जाहिर है, प्रत्येक के अपने-अपने तर्क और व्याख्या है। हालांकि ईडी से यह पूछा जा सकता है कि आखिर चुनाव की बेला ही उसे छापे डालने के लिए सबसे उपयुक्त क्यों नजर आती है। अगर कहीं कोताही की शिकायत मिलती है तो फिर नियमित रूप से कार्रवाई क्यों नहीं जारी रहती। छापेमारी के समय और इसके कुछ दिन बाद तक मामला सरगर्म रहता है और फिर सब चुप्पी साध लेते हैं। आम आदमी भी चुप हो जाता है, वह वोट डाल चुका होता है, जिसे संभालनी होती है, वह कुर्सी संभाल चुका होता है, सब सामान्य हो चुका होता है। ईडी फिर किसी शुभ अवसर की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ रख कर बैठ चुकी होती है।