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अब प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के एक ट्वीट ने सिद्धू की परेशानी और बढ़ा दी है। उन्हें 14 अक्तूबर को दिल्ली में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात के लिए कहा गया है और इस दौरान हरीश रावत भी वहां मौजूद रहेंगे। रावत ने अपने ट्वीट में कहा है कि पार्टी संगठन से संबंधित मुद्दों पर बात की जाएगी।
पंजाब कांग्रेस पार्टी हाईकमान के लिए जी का जंजाल बन चुकी है। जिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ नवजोत सिंह सिद्धू ने मोर्चा खोलकर उन्हेंं मुख्यमंत्री पद से हटवाया, अब वे अपनी पार्टी की घोषणा करने की तैयारी में हैं, वहीं प्रदेश अध्यक्ष के पद पर काबिज होकर चंद दिनों में उससे इस्तीफा देने वाले सिद्धू की कुर्सी भी संकट में है। इस्तीफे के बल पर पार्टी हाईकमान से मोल-तोल करने की चाह रखने वाले सिद्धू की भूमिका लखीमपुर खीरी में पंजाब कांग्रेस के जत्थे में नगण्य रही। जिन प्रियंका गांधी वढेरा के सहारे वे प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे थे, उन्होंने भी सिद्धू से दूरी बनाए रखी। पंजाब के जीरकपुर में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के संबंध में उनके बिगड़े बोल भी राष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गए। हालांकि लखीमपुर खीरी पहुंचते-पहुंचते संभव है, उन्हें इसका भान हो गया कि उनसे क्या गलती हुई है। इसके बाद उन्होंने मौनव्रत का अभिनय किया और शपथ भी ऐसी रखी जिसे पूरा होना ही था। मामले में आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की गिरफ्तारी जब तक नहीं हो जाती, तब तक सिद्धू ने मौनव्रत रखने का ऐलान किया था, अब लगता नहीं है कि उनके मौन को तुड़वाने के लिए हिंसा के आरोपी मिश्रा ने खुद पुलिस लाइन में आकर समर्पण किया होगा।
वेणुगोपाल से होगी क्या बात
अब प्रदेश प्रभारी हरीश रावत के एक ट्वीट ने सिद्धू की परेशानी और बढ़ा दी है। उन्हें 14 अक्तूबर को दिल्ली में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात के लिए कहा गया है और इस दौरान हरीश रावत भी वहां मौजूद रहेंगे। रावत ने अपने ट्वीट में कहा है कि पार्टी संगठन से संबंधित मुद्दों पर बात की जाएगी। सिद्धू दिल्ली अभी तक कैप्टन को हटवाने या फिर नए मुख्यमंत्री चन्नी के मंत्रिमंडल गठन के संबंध में ही जाते रहे हैं, लेकिन इस बार उनके दौरे को इस्तीफे से जोड़कर देखा जा रहा है। सिद्धू के इस्तीफे को पार्टी हाईकमान ने न स्वीकार किया है और न ही उन्हें पद पर बने रहने की नसीहत दी है। सिद्धू को संदेश दिया जा रहा था कि वे खुद ही अपना इस्तीफा वापस ले लें। लेकिन अब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के संबंध में अमर्यादित बात कहने के बाद माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान ने उनकी विदाई की तैयारी कर ली है। ऐसी चर्चा है कि उनके विकल्प पर विचार चल रहा है और जल्द नए अध्यक्ष की घोषणा की जा सकती है।
बैकफुट पर आए सिद्धू
हालांकि सिद्धू पूरी तरह से बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। नए मुख्यमंत्री के खिलाफ बागी तेवर दिखाने के बाद सिद्धू को अंदाजा था कि आलाकमान उन्हें फिर सिर-माथे लेगा, लेकिन हाईकमान का ठंडा रवैया यह बताने को काफी है कि सिद्धू की हरकतें अब पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही हैं। सिद्धू का मुख्यमंत्री के संबंध में यह बयान कि .... अगले वर्ष चुनाव में वे कांग्रेस को डुबो देंगे भी उनके और सीएम के बीच के रिश्ते को जाहिर करता है। सिद्धू मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन आलाकमान ने दूसरा ही रास्ता निकाल दिया, ऐसे में उन्हें बतौर मुख्यमंत्री चन्नी अपने मुताबिक नजर नहीं आ रहे। लखीमपुर खीरी से लौटने के बाद सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी के बेटे की शादी के समारोह में जाने के बजाय माता वैष्णो देवी के दर्शन करने पहुंच गए। बेशक, यह निजी कार्यक्रम होगा लेकिन यह दूरी पंजाब की सियासत में कांग्रेस के अंदर जारी उधेड़बुन को जाहिर कर देती है।
आलाकमान की खुशामद में जुटे
मुख्यमंत्री चन्नी समेत राज्य के मंत्री, विधायक, सांसद सिद्धू को मनाकर छक चुके हैं। हालांकि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया, हालांकि अब लगता है, इस्तीफा वापस लेने का वक्त भी बीत चुका है। ऐसे में जो घटनाक्रम हो सकता है, उसका अंदाजा सिद्धू लगा चुके हैं, सिद्धू ने 2 अक्तूबर को एक ट्वीट करते हुए इशारों में कहा था, गांधी जी और शास्त्री जी के सिद्धांतों को बनाए रखेंगे। पोस्ट या नो पोस्ट राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ खड़े होंगे। सिद्धू ने कहा था, सभी नकारात्मक ताकतों को मुझे हराने की कोशिश करने दें, लेकिन सकारात्मक ऊर्जा के हर औंस से पंजाब को जीत मिलेगी, पंजाबियत (यूनिवर्सल ब्रदरहुड) की जीत होगी और हर पंजाबी की जीत होगी।