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पैसे का संचयन जीवन का आवश्यक कार्य होता है। नौकरी हो या फिर रोजगार, धन का उचित प्रबंधन भविष्य की जरूरतों के मुताबिक किया जाना चाहिए। हालांकि पैसा कहां लगाया जाए कि वह ग्रोथ करता रहे यह सभी जानने के इच्छुक होते हैं। देश में जनसामान्य के बीच सेविंग और इंवेस्टमेंट के लिए पब्लिक प्रोविडेंड फंड यानी पीपीएफ और बैंक एफडी सबसे लोकप्रिय और आसान तरीकों में शामिल है।
देश में अभी भी काफी संख्या में ऐसी आबादी है जो इक्विटी और म्यूचुअल फंड में निवेश को जोखिम भरा मानती है और सुरक्षित व गारंटीड रिटर्न के लिए निवेश के विकल्पों के रूप में पीपीएफ और बैंक एफडी पर भरोसा रखती है। हालांकि, कई सारे लोग इस बात को लेकर अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं कि बचत और निवेश करने के लिए इन दोनों में से कौन सा बेहतर विकल्प है।
पीपीएफ क्या है
पीपीएफ भारत सरकार की योजना है और नौकरीपेशा लोगों के बीच बचत और निवेश करने का एक सबसे लोकप्रिय व सुरक्षित माध्यम है। इसके तहत निवेश करने से ना केवल आपको सरकारी सुरक्षा की गारंटी मिलती है, बल्कि बेहतर ब्याज दर का लाभ भी हासिल होता है। पीपीएफ के जरिए मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से टैक्स से मुक्त होता है। स्कीम के तहत आप एक वित्तीय साल में 1.5 लाख रुपये का निवेश कर सकते हैं। वर्तमान समय में पीपीएफ पर सालाना 7.1 फीसद ब्याज का लाभ हासिल होता है। इस योजना के तहत आपको निवेश करने पर सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। इसके अलावा इस स्कीम में निवेश मिलने वाले ब्याज और मेच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पर कोई भी टैक्स नहीं देना होता है।
बैंक डिपोजिट
इस योजना के तहत निवेश करने पर मेच्योरिटी की अवधि तक सेविंग अकाउंट की तुलना में अधिक ब्याज का लाभ मिलता है, जिसे टर्म डिपोजिट भी कहा जाता है। यदि आप पांच साल की अवधि के लिए डिपोजिट कराते हैं तो आपको टैक्स बेनिफिट भी मिलता है। यह एक प्रकार का लिक्विड फंड होता है। इमरजेंसी फंड को भी इसके तौर पर रखा जा सकता है क्योंकि इस पर सेविंग अकाउंट से ज्यादा ब्याज का लाभ हासिल होता है और आप जब अपने अनुसार इसे तोड़ भी सकते हैं।