इसहफ्ते न्यूज/ एजेंसी
अफगानिस्तान में तालिबान ने शासन तो शुरू कर दिया लेकिन उसके अंदर की फूट भी अब दुनिया के सामने आ चुकी है। तालिबान के अंदर ही अनेक गुट सक्रिय हैं और अब सरकार में अपने वर्चस्व के लिए एक-दूसरे से ही लड़ रहे हैं। नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के एक गुट ने काबुल में डेरा जमाया हुआ है, जबकि दूसरे ने कंधार से कमान संभाली हुई है। इसमें कंधारी धड़े का नेतृत्व तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे और वर्तमान रक्षामंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब ओमारी कर रहा है। जबकि, काबुल में हक्कानी नेटवर्क का अमीर-उल-मोमीन या सर्वोच्च नेता सिराजुद्दीन हक्कानी गद्दी पर कब्जा कर बैठा हुआ है। तालिबान में मचे बवाल के बीच सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंजदाजा की गैर मौजूदगी से कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
कंधारी धड़े का नेतृत्व तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे और वर्तमान रक्षामंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब ओमारी कर रहा है। जबकि, काबुल में हक्कानी नेटवर्क का अमीर-उल-मोमीन या सर्वोच्च नेता सिराजुद्दीन हक्कानी गद्दी पर कब्जा कर बैठा हुआ है।
तो बरादर का हो गया है अपहरण?
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि हक्कानी गुट ने तालिबान सरकार में उप प्रधानमंत्री बने मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का अपहरण कर लिया है। वहीं, काबुल पर नजर रखने वाले कई विशेषज्ञ दावा कर रहे हैं कि मुल्ला बरादर जिसने अमेरिका के साथ शांति वार्ता पर बातचीत की थी, वह कंधार में नाराज होकर बैठे हुए हैं। यही कारण है कि तालिबान कैबिनेट का ऐलान होने के इतने दिन बाद भी वह सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए हैं।
हर कोई चाहता है अपने-अपने स्वार्थ की पूर्ति
तालिबान सरकार में रक्षा मंत्री बना मुल्ला याकूब के नेतृत्व वाला कंधारी गुट पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से कोई हस्तक्षेप नहीं चाहता है। आईएसआई अफगानिस्तान को पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र के रूप में बनाए रखना चाहती है। वहीं, मुल्ला बरादर चाहता है कि अमेरिका, कतर, ब्रिटेन और पाकिस्तान के साथ की गई सभी प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। इसके अलावा काबुल में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के प्रतिनिधित्व के साथ एक समावेशी सरकार बनाई जानी चाहिए।
आईएसआई चल रही अपनी चाल
वैसे, अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में परिस्थिति इसके एकदम विपरीत है। काबुल में हक्कानी नेटवर्क के आतंकियों के जरिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई अपनी चाल चल रही है। हक्कानी नेटवर्क में जादरान जनजाति प्रभुत्व है और इस जनजाति के लड़ाकों का काबुल-जलालाबाद से लेकर खैबर सीमा तक नियंत्रण है। हक्कानी ब्रदर्स के नेतृत्व में काबुल की सडक़ों पर कम से कम 6,000 भारी हथियारों से लैस आतंकी गश्त लगा रहे हैं।
हक्कानी नेटवर्क नहीं चाहता महिलाओं की भागीदारी
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का गुलाम हक्कानी नेटवर्क काबुल में किसी भी अन्य समुदायों के साथ सत्ता साझा नहीं करना चाहता। वह अपनी सरकार में महिलाओं की भागीदारी को पहले ही सिरे से खारिज कर चुका है। हक्कानी नेटवर्क इस समय पूरी तरह से आईएसआई के इशारों पर चल रहा है। ऐसे में विरोधी गुट के नेता काबुल छोडक़र तालिबान की जन्मस्थली कंधार में बैठे हुए हैं।