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अफगानिस्तान की समावेशी सरकार का कौन होगा अगवा?

05 सितंबर, 2021 08:27 AM
अफगानिस्तान में अब समावेशी सरकार के गठन की जरूरत समझी जा रही है। फोटो-सोशल मीडिया

इसहफ्ते न्यूज

तालिबान ने पहले ही कहा है कि उसकी सरकार इस्लामिक सरकार होगी और सरकार के ऐलान में अभी कुछ वक्त लग सकता है। तालिबान के ज्यादातर नेता फिलहाल कंधार में हैं और सरकार के गठन को लेकर उनकी बातचीत जारी है।


अफगानिस्तान के हर छोर पर अब तालिबान का वर्चस्व कायम हो गया है। जिस पंजशीर को अभेद्ध माना जा रहा था, उस पर भी अब आतंकी संगठन का कब्जा हो गया है। सरकार बनाने की तैयारियों में जुटे अफगानिस्तान में अब तेजी से हालात बदल रहे हैं। एक तरफ जहां समावेशी सरकार बनाने की बात हो रही है, वहीं पाकिस्तान और चीन के राजनयिकों के काबुल दौरे भी चकित कर रहे हैं। उधर, अमेरिका की ओर से कहा गया है कि उसे उम्मीद है कि अफगानिस्तान में सभी की राय से सरकार का गठन किया जाएगा। हालांकि सवाल यह भी है कि बगैर चुनाव किसी सरकार का गठन कैसे किया जा सकता है?

मुल्ला हिब्तुल्लाह को बताया सर्वोच्च नेता
तालिबान ने फिलहाल मुल्ला हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को अपना सर्वोच्च नेता बताया है और उनके तालिबान सरकार का प्रमुख बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बीच तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि तालिबान कश्मीर समेत पूरी दुनिया के तमाम मुसलमानों की आवाज बनने का अधिकार रखता है। तालिबान ने पहले ही कहा है कि उसकी सरकार इस्लामिक सरकार होगी और सरकार के ऐलान में अभी कुछ वक्त लग सकता है। तालिबान के ज्यादातर नेता फिलहाल कंधार में हैं और सरकार के गठन को लेकर उनकी बातचीत जारी है।

पंजशीर के लिए हुआ कड़ा मुकाबला
पंजशीर पर हमले की उसकी अभी तक की कोशिशें असफल रही हैं। देश पर कब्जे के बावजूद तालिबान लड़ाकों को नॉर्थर्न एलायंस के विद्रोही पंजशीर में घुसने नहीं दे रहे। विद्रोहियों का दावा है कि उसने हाल के दिनों में दर्जनों तालिबान लड़ाकों को मौत के घाट उतार दिया है। इसके प्रमाण के रूप में उसने वीडियो भी जारी किये हैं। इनमें यह देखा जा सकता है कि विद्रोही (तालिबान विरोधी पंजशीर के विद्रोही) पहाड़ों से तालिबानियों पर जमकर गोलियां और रॉकेट दाग रहे हैं। यह भी दावा किया गया है कि दो दर्जन से ज्यादा तालिबानी लड़ाकों को पंजशीर की विद्रोही सेना ने पकड़ लिया है।

दुनिया के मुसलमानों की आवाज
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल ने पहले भारत के साथ बेहतर तालमेल और रिश्तों की बात कही थी। हालांकि, अब उसने तालिबान के कश्मीर सहित सभी मुसलामानों की आवाज बनने की बात कही है। शाहीन ने कहा कि मुस्लिम हमारे अपने लोग हैं, हमारे नागरिक हैं और कानून के तहत उन्हें बराबरी का अधिकार है। वैसे अफगानिस्तान से तालिबान के विभिन्न गुटों के ब्यान विरोधाभासी भी दिखे हैं।

हमारी जमीन का इस्तेमाल न करे कोई दूसरा
अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन पार्टी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान को अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी और देश के खिलाफ नहीं होने देने के अपने वादे पर टिकना चाहिए। हिकमतयार के मुताबिक अफगानिस्तान के लोग नहीं चाहते कि कश्मीर विवाद, भारत-चीन सीमा विवाद और तिब्बत जैसे मुद्दे अफगानिस्तान पहुंचे। हिकमतयार को पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई का खास माना जाता है। दिलचस्प यह है कि तालिबान की चीन से भी लगातार बातचीत चल रही है। चीन काबुल में अपना दूतावास बनाये रखने की बात कह चुका है।

 

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