हरियाणा

गृहमंत्री अनिल विज का नाम ही न्याय मिलने की उम्मीद कर देता है पुख्ता

हरियाणा पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए गृहमंत्री को रखा जाएगा याद, अब थाना प्रभारी से एडीजीपी तक के अधिकारियों की जवाबदेही तय करने से पुलिस विभाग में और सुधार की उम्मीद बंधी

11 जनवरी, 2022 03:29 PM
गृहमंत्री विज के पास अनेक शिकायतें आती हैं, अब इन शिकायतों के लिए थानों में अलग से रजिस्टर लगाना होगा। फोटो वेब मीडिया

इसहफ्ते न्यूज. चंडीगढ़

पुलिस वह विभाग है, जिसमें सुधार की गुंजाइश कभी खत्म नहीं होगी। पुलिस सुधार के लिए अनेक आयोग बने हैं, सिफारिशें हुई हैं, उन पर अमल भी हुआ होगा लेकिन फिर भी पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं आता। इसकी वजह उस राजनीतिक सिस्टम की कमजोरी हो सकती है या फिर उसकी विडम्बना। हालांकि हरियाणा में पुलिस विभाग में कुछ सुधार हो रहा है और अब उस भ्रम से पर्दा हटता दिख रहा है, जिसमें समझा जाता है कि पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करेगी। हरियाणा में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के गृहमंत्री अनिल विज साफ सोच और तीखे अंदाज में शासन चलाने वाले राजनेता हैं, जनहितैषी मंत्री के आवास पर जहां पीडि़त न्याय की गुहार लगाते हुए पंक्तिबद्ध होते हैं, वहीं उनके आधिकारिक ईमेल आईडी पर भी सैकड़ों शिकायतें आती हैं।

 

इसके अलावा जिलों में जन शिकायतों की सुनवाई करते हुए वे अधिकारियों को मौके पर शिकायतों का निपटान करने के जिस प्रकार आदेश देते हैं, इससे प्रशासन में खौफ कायम होता है, जोकि जनता के दर्द को कम करने का काम करता है। यह सर्वविदित है कि प्रशासन में बैठे अधिकारी तभी सुनवाई करते हैं, जब उन पर दबाव पड़ता है। सरकार का उत्तरदायी होना आवश्यक है, लेकिन उस सरकार के तहत सीधे जनता से सरोकार रखने वाले प्रशासन की आंख-कान खुले होना जरूरी है।
गृहमंत्री अनिल विज ने पुलिस के आलाधिकारियों के साथ बैठक कर थानों में आने वाली शिकायतों के निपटान की समय सीमा तय की है।

 

यह ऐसा कदम है जोकि बेहद जरूरी था, हालांकि अब इस फैसले पर कितना अमल होगा और तय समय में किस प्रकार शिकायतों का निपटान हो पाएगा, यह निगरानी का विषय होगा। इस समय थानों में लंबे समय तक शिकायतें पड़ी रहती हैं, शिकायतकर्ता कार्रवाई के लिए थानों के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन किसी के प्रभाव में थानों में शिकायत पर कार्रवाई के लिए कदम ही नहीं उठते। खुद गृहमंत्री ने अनेक थानों के औचक दौरों के तहत इसका पता लगाया है।

 

विज ने तय किया है कि अब किसी थाने में अगर 10 दिन तक शिकायत लंबित रही तो इसके लिए थाना प्रभारी को जवाब देना होगा। गृहमंत्री ने न केवल थान प्रभारी अपितु एडीजीपी स्तर के अधिकारी जोकि सीधे पब्लिक डीलिंग से जुड़े होते हैं, के लिए गाइडलाइन तय की है। अब 20 से अधिक शिकायत लंबित होने पर डीएसपी और 30 दिन से ज्यादा की देरी पर एएसपी स्तर के अधिकारी की जिम्मेदारी और जवाबदेही होगी। इसके बाद 45 दिन से ज्यादा दिनों तक कोई मामला लंबित रहता है तो एसपी इसके लिए जिम्मेदार होंगे।

 

वास्तव में इस तरह के फैसले जनता को विश्वास दिलाते हैं कि किसी भी अनहोनी की स्थिति में उन्हें न्याय मिलेगा। बेशक, इसके बावजूद अपराध घट नहीं जाएंगे, क्योंकि अपराधी प्रवृत्ति के लोगों की मानसिकता किसी कानून और व्यवस्था को स्वीकार नहीं करती। हालांकि पुलिस की लगातार निगरानी और मंत्री स्तर पर जवाबदेही तय होने के बाद पुलिस के बड़े से लेकर निचले स्तर के अधिकारी को यह संदेश मिलता है कि उसे तय समय में अपने दायित्व को पूरा करना है।

 

हरियाणा के थानों में शिकायतों का अंबार इस हिदायत के बाद हट जाएगा, ऐसा संभव नहीं दिखता। लेकिन राज्य सरकार की ओर से पुलिस की कार्यप्रणाली में लगातार सुधार करते जाने के नतीजे बेहतर निकल सकते हैं। हरियाणा वह राज्य है जहां आपराधिक आंकड़ों का ग्राफ ऊपर उठता नजर आता है। दिल्ली एनसीआर में रोजाना लूटपाट, दुष्कर्म, हत्या आदि के गंभीर मामलों के अलावा अन्य आपराधिक घटनाओं का ब्योरा सामने आता रहता है।

 

अब सरकार की ओर से क्राइम कंट्रोल के लिए एक पोर्टल तैयार करने की योजना बनाई जा रही है जोकि उचित ही है। इस पोर्टल के बारे में बताया गया है कि अब हर संबंधित पुलिस अधिकारी अपने स्तर पर क्राइम के मामले की जानकारी देख सकेगा। यानी इस पोर्टल पर शिकायत दर्ज होने के बाद उस पर हुई कार्रवाई आदि का ब्योरा होगा। यह पोर्टल पुलिस के निचले से लेकर ऊपर तक के अधिकारी की नजरों में होगा। इसके अलावा गृह विभाग में आई शिकायतों के संबंध में निर्णय लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर नजर रखने की तैयारी की गई है।

 

गृहमंत्री विज के पास अनेक शिकायतें आती हैं, अब इन शिकायतों के लिए थानों में अलग से रजिस्टर लगाना होगा। यानी जिस भी जिले से संबंधित शिकायत है, वहां की पुलिस को इसकी निगरानी करनी होगी कि गृहमंत्री के समक्ष सीधे की गई शिकायत पर क्या कार्रवाई हो रही है। इसके अतिरिक्त पुलिस-पब्लिक कमेटियों का अगले एक सप्ताह में गठन करने की भी डेडलाइन तय की गई है।

 

 

वास्तव में पुलिस विभाग की मुस्तैदी अदालतों में केसों की भरमार को कम कर सकती है। अगर पुलिस ही अपने स्तर पर ऐसा न्याय तंत्र विकसित करे जिसमें अपराधी अपराध करने से डरें और अगर अपराध घटता भी है तो उसकी जांच आदि प्रक्रिया को निर्धारित समय में निपटा लिया जाए तो संभव है आगे का कार्य भी आसान होगा। बहरहाल, हरियाणा सरकार की ओर से पुलिस में किए जा रहे सुधारात्मक कार्य सराहनीय है लेकिन यह निश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसा निरंतर होता रहे। विभाग के मंत्री की निजी दिलचस्पी इसके लिए प्रेरक होती है, और अनिल विज तो ऐसे राजनेता हैं जोकि बेखौफ हैं। उनका नाम ही न्याय मिलने की उम्मीद पुख्ता कर देता है।

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