हरियाणा

मंदिरों का गांव मोई हुड्डा तरसा विकास को, राजनीतिक उपेक्षा से ग्रामीण परेशान, पूछ रहेे-हमारे अच्छे दिन कब आएंगे?

साेनीपत जिले के गोहाना उपमंडल से महज 12 किलोमीटर है दूर, इंदूराज नरवाल हैं इस समय कांग्रेस विधायक

24 अप्रैल, 2023 09:59 PM
गांव मोई हुड्‌डा के प्रवेेश द्वार पर स्थित माता का मंदिर।

Story of #Moi hooda, land of temples: हरियाणा सरकार आजकल गांवों पर फोकस कर रही है। स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल गांवों में जाकर ग्रामीणों से खाट पर बैठ कर संवाद कर रहे हैं। उनसे दुख-तकलीफ साझा कर रहे हैं। वे गांवों के तालाब, गलियों, पेयजल, बिजली सप्लाई आदि की समस्याओं का मौके पर ही निराकरण कर रहे हैं। वे गांव के अंदर विकास परियोजनाओं का उद्घाटन या फिर नींव पत्थर रख रहे हैं।

प्रदेश के गांवों में बीती सरकारों की ओर से विकास कार्य करवाए जाते रहे हैं, लेकिन मौजूदा सरकार के कार्यकाल में जिस प्रकार से गांवों पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है, उससे गांवों के विकास की उम्मीद बंधी है। सरकार ने गांवों के संबंध में ई-टेंडरिंग जैसी प्रभावी विकास प्रणाली भी पेश की है, जिससे पंचायतों के काम में पारदर्शिता आएगी। हालांकि सवाल यह है कि मौजूदा सरकार के बाकी कार्यकाल में क्या प्रदेश के सभी गांवों का विकास सुनिश्चित हो सकता है? संभव है, इसमें वक्त लगेगा।

हालांकि इतने वर्षों में भी अगर गांवों में मूलभूत सुविधाएं ग्रामीणों को नहीं मिल सकी हैं तो यह बीती और मौजूदा सरकार के लिए भी चिंतनीय होना चाहिए। गांवों का विकास न केवल राज्य अपितु देश का विकास है। सरकार को गांवों की मौजूदा स्थिति का सही आकलन करते हुए रिपोर्ट तैयार किए जाने की जरूरत है कि वहां के हालात सच में कैसे हैं। यह भी जरूरी है कि सभी गांवों का समान रूप से विकास सुनिश्चित हो। राजनीतिक पूर्वाग्रह विकास की राह का रोड़ा रहा है, मौजूदा सरकार के समय में यह रोड़ा नजर नहीं आता। अब हरियाणा एक, हरियाणवी एक के दृष्टिकोण से विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन फिर भी चाहे वह किसी भी राजनीतिक दल का विधायक, सांसद हो उसे गांवों पर अपनी कृपा दृष्टि दिखानी ही होगी।

सोनीपत जिले में गोहाना उपमंडल के गांव मोई हुड्डा के ग्रामीणों को अपने हालात सुधरने का बरसों से इंतजार है, लेकिन उन्हें हर बार मायूसी ही हाथ लगती आई है। यह तब है, जब सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से इस समय भाजपा नेता रमेश कौशिक सांसद हैं, वहीं बरोदा हलका जिसके तहत गांव मोई हुड्डा आता है, में कांग्रेस नेता इंदुराज नरवाल विधायक हैं। यानी बड़ी सीट पर अगर भाजपा काबिज है तो छोटी सीट पर कांग्रेस का वर्चस्व है। दोनों के पास अपनी-अपनी जिम्मेदारी है, लेकिन दोनों इस जिम्मेदारी को पूरा करती नजर नहीं आ रही। ग्रामीण बार-बार यही पूछते हैं कि आखिर उनके अच्छे दिन कब आएंगे?

 

तो हुड्डां आली मोई के ऐसे हाल क्यों?

गोहाना शहर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गांव मोई हुड्डा की वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक आबादी 3681 लोगों की है। हालांकि इस दौरान अनेक लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मोई हुड्डा के नाम में हुड्डा शब्द जुड़ा है, हुड्डा जाट समाज के विभिन्न गोत्र में से एक गोत्र है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा मौजूदा समय में सबसे बड़े जाट नेता हैं, उनका पैतृक गांव सांघी खिडवाली गांव मोई हुड्डा से कुछ दूरी पर ही स्थित है। खैर, अगर गोत्र एक होने से सबकुछ होता तो फिर मोई हुड्डा के दिन भी बदले हुए नजर आते। लेकिन बरसों से यह गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहाता आया है। पूर्व सीएम हुड्डा भी प्रदेश में लगातार दो बार अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, बरोदा हलके में कांग्रेस उम्मीदवार ही चुनाव जीतते आए हैं। गांव में जातिवाद वैसे नजर नहीं आता, लेकिन चुनाव के वक्त यह अपने पूरे चरम पर होता है।

परिवहन की सुविधा का अभाव
ग्रामीणों की बरसों से शिकायत रही है कि उनके लिए सरकारी परिवहन की व्यवस्था नहीं है। रोडवेज की एक बस किसी समय तीन टाइम गांव से होकर गुजरती थी, वह अब भी चल रही है, लेकिन तीन गांवों पुठी, मोई हुड्डा और रिवाड़ा से सवारियां लेने के बाद उसमें तिल रखने की भी जगह नहीं बचती। रोडवेज की बस गोहाना में स्कूल और कॉलेज में पढऩे वाले बच्चों के लिए एकमात्र परिवहन का साधन है। ऐसे में इसकी जरूरत बहुत ज्यादा है कि रोडवेज बसों की संख्या बढ़े या फिर उनके गोहाना और गांवों के बीच के चक्कर ज्यादा लगें, ताकि हर समय आवागमन का साधन उपलब्ध रहे। यह भी गौर करने लायक बात है कि शाम के बाद कोई भी रोडवेज बस इन गांवों के लिए उपलब्ध नहीं है, यानी अगर किसी को देर शाम गोहाना या रोहतक जाने की जरूरत पड़े तो उसे रात गुजरने का ही इंतजार करना होगा, रोडवेज बस अगले दिन ही मिल पाएगी।

 

पानी की सप्लाई आधी-अधूरी
गांव मोई हुड्डा में जमीन का पानी खारा हो चुका है। एक समय गांव के बाहर ग्रामीणों ने कुएं खोद रखे थे, वहीं जहां-तहां नल भी लगे हुए थे, लेकिन समय के साथ उन कुओं का पानी सूख गया। इसके बाद जल संकट और बढ़ता गया। गांव के पास से जवाहर लाल नेहरू नहर बहती है, इसकी वजह से उसके आसपास के इलाके में मीठा पेयजल उपलब्ध है। इस समय ग्रामीणों के लिए नहर के पास लगे नलों से पीने का पानी लाना ही एकमात्र विकल्प है। गांव के बाहर ट्यूबवेल बोर किया गया है, जिससे पानी की सप्लाई दी जाती है। लेकिन वह सप्लाई बेहद अनियमित है और कभी-कभार तो तीन-तीन दिनों तक पानी नहीं आता। ग्रामीण एक बार पानी आने के बाद उसे भरकर रख लेते हैं। गांव में गलियों की हालत खराब है, जगह-जगह से टूट चुकी हैं। उनमें गड्ढे हैं, उबड़-खाबड़ होने की वजह से चलते वक्त गिरने की आशंका रहती है।

 

घरों से गंदे पानी की निकासी का नहीं प्रबंध
गांव में घरों से निकलने वाले गंदे पानी की समुचित निकासी का कोई प्रबंध नहीं है। यह गलियों में निकल कर जहां-तहां ठहरा रहता है, जिससे नालियां चोक हो जाती हैं। इन नालियों में पशुओं का गोबर भी बहाया जाता है। गंदे पानी की निकासी के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगने की जरूरत है, लेकिन इस तरफ न पंचायत ने कभी ध्यान दिया और न ही सरकार ने पड़ताल की। यहां न कोई डिस्पेंसरी बनी है, न ही पशुओं के लिए अस्पताल का प्रबंध हुआ है। न किसी बैंक की ब्रांच खुली, न कोई आईटीआई आदि है। केवल सीनियर सेकेंडरी स्कूल ही बीते वर्षों में जैसे-तैसे खड़ा हो पाया है।

 


मोई हुड्डा का राजनीतिक परिदृश्य
मोई हुड्डा गांव बरोदा हलके के तहत आता है। बरोदा हलके में सभी 54 गांव शामिल हैं। जैसा कि प्रचारित है, सोनीपत और रोहतक जिला कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थन में माना जाता है। सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में 6 हलके आते हैं, इनमें सोनीपत, गन्नौर, राई, खरखौदा, गोहाना और बरोदा हलका शामिल है। मोई हुड्डा में वोट कांग्रेस, भाजपा और अब जजपा में बंट जाते हैं। साल 2020 में कांग्रेस विधायक कृष्ण हुड्डा के देहांत के बाद यहां उपचुनाव हुआ था, जिसमें भाजपा ने ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि उस समय दत्त को कांग्रेस उम्मीदवार कृष्ण हुड्डा ने हराया था। लेकिन कृष्ण हुड्डा के निधन की वजह से इस सीट पर उपचुनाव हुआ। जिसमें कांग्रेस ने इंदूराज नरवाल को अपना प्रत्याशी खड़ा किया था। इस चुनाव में भी नरवाल ने भाजपा उम्मीदवार योगेश्वर दत्त को बड़े अंतर से हराया। गौरतलब है कि उस समय चुनाव प्रचार के दौरान मौजूदा सरकार की ओर से हलके में लड़कियों के लिए कॉलेज की घोषणा की गई थी, लेकिन उसके पूरा होने का ग्रामीणों को अब भी इंतजार है, जबकि सरकार के पांच साल अगले वर्ष पूरे होने जा रहे हैं। मालूम हो, इस सीट पर कांग्रेस के दिवंगत विधायक कृष्ण हुड्डा ने साल 2009, 2०१४ और 2019 में लगातार तीन बार जीत हासिल की थी।

कांग्रेस से इतने प्रेम का प्रतिफल क्या
दरअसल, इस विवरण को यहां देने का मकसद सिर्फ यह बताना है कि कांग्रेस के प्रति इतना प्रेम झलकाने के बावजूद गांव मोई हुड्डा में हालात आज भी बदहाली के हैं। गांव में गलियां कुछ हद तक बेशक पक्की हो गई हैं, लेकिन न कचरा उठता है और न ही नियमित सफाई होती है। गलियों में कीचड़ और सीवरेज की पर्याप्त व्यवस्था न होने की वजह से दिक्कत बनी रहती है। बारिश में गलियां पानी से भर जाती हैं, जगह-जगह कीचड़ फंसने से पानी घरों में भरने की नौबत आ जाती है। गांव में पेयजल का बड़ा संकट है। दूरदराज से महिलाओं और पुरुषों को पानी के मटके, कैन आदि भरकर लाने पड़ते हैं। गांव के अंदर सप्लाई का जो पानी आता है, वह स्वाद में खारा लगता है। उसके लगातार पीते रहने से पेट एवं अन्य शारीरिक समस्याएं पैदा हो रही हैं।

 

गांव के मुहाने पर कचरे के ढेर

गांव के मुहाने पर कचरे के ढेर पड़े रहते हैं, बरसात के समय पानी गलियों से गुजरते हुए निचले स्थानों पर जमा हो जाता है। सडक़ों को बार-बार तोडक़र नया बनाया गया है, जिससे उनकी ऊंचाई बढ़ गई है, अनेक पुराने घरों का लेवल सडक़ से नीचे चला गया है। सडक़ें जगह-जगह से टूट चुकी हैं, उनकी ईंटों को उखाड़ लिया गया है, इससे वे ऊबड़-खाबड़ हो गई हैं। बरसों के दौरान लोगों ने अपने घरों के आगे अवैध निर्माण कर लिए हैं, ऐसे में गाडिय़ों के निकलने की जगह नहीं बचती। एक ट्रैक्टर को भी जैसे-तैसे करके निकालना पड़ता है। बुजुर्ग बताते हैं कि एक समय गलियों की चौड़ाई अच्छी-खासी होती थी और ईंटों से भरे ट्रक तक गुजर जाते थे।

धार्मिक रूप से समृद्ध है मोई हुड्डा
मोई हुड्डा गांव धार्मिक रूप से एक समृद्ध गांव है। यहां माता शीतला के दो बड़े मंदिर हैं, वहीं अन्य छोटे मंदिर भी बने हुए हैं। प्रत्येक वर्ष अप्रैल के महीने में यहां शीतला माता की पूजा होती है, जिसके लिए आसपास के गांवों से तो महिलाएं, बच्चे, पुरुष सभी पहुंचते हैं, पूरे देश या फिर विदेश में रहने वाले लोग भी यहां आकर पूजन करना जरूरी समझते हैं। यहां गांव के प्रवेश पर ही माता कंडी देवी का भव्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर का पुनरूद्धार कर इसे ऐसा स्वरूप प्रदान किया गया है, जोकि स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना नजर आता है। वहीं गांव के अंदर माता फूलां देवी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर भी ऐतिहासिक है और यहां प्रत्येक वर्ष भव्य मेले का आयोजित किया जाता है। यह मंदिर तालाब के किनारे पर स्थित है। सभी जातियों के लोगों के बीच ये मंदिर अद्भुत सामंजस्य और एकता के प्रतीक हैं। गांव में कोई छुआछूत या फिर जातीय असंतुलन देखने को नहीं मिलता।

 

गांव में है, इन विकास कार्यों की दरकार

  • -शामलात भूमि से कब्जे हटवा कर पार्क बनवाया जाए।
  • -जोहड़ी जिसमें अभी गंदा पानी जमा हो रहा है, का सुधार हो।
  • -इस जगह थ्री पॉन्ड सिस्टम लगे।
  • -जोहड़ी की पंचायती जमीन पर हुए कब्जे छुड़वाए जाएं।
  • -सीसीटीवी लगवाए जाएंगे ताकि सुरक्षा बढ़ाई जा सके।
  • -बरसाती पानी के निकास की उचित व्यवस्था की जाए।
  • -पीने के पानी की सुबह-शाम निर्धारित समय पर सप्लाई हो।
  • -सार्वजनिक वाटर कूलर, आरओ के साथ लगवाए जाएं।
  • -सरकारी बैंक की ब्रांच स्थापित करवाई जाए।
  • -युवाओं के लिए आईटीआई का प्रबंध करवाया जाए। बेटियों को तकनीकी शिक्षा का प्रबंध हो।
  • -डिस्पेंसरी की स्थापना हो, ग्रामीणों को गोहाना, रोहतक न जाना पड़े।
  • -सार्वजनिक एंबुलेंस का प्रबंध हो ताकि एमरजेंसी के वक्त बीमार को तुरंत शहर के अस्पताल में ले जाया जा सके।
  • -मनरेगा के तहत गांव में रोजगार के साधन बढ़ाए जाएं।

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