हरियाणा

हरियाणा में नायब सरकार के समक्ष है सीमित समय मेें ज्यादा कार्य करनेे की चुनौती

पहली कैबिनेट मेंं मुख्यमंत्री का मंत्रियों को विकास का एजेंडा बनाने का निर्देश समय की मांग

24 मार्च, 2024 01:02 PM
मंंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी।

nayab cabinet meeting : चंडीगढ़. हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपनी कैबिनेट की पहली बैठक में जिस प्रकार से मंत्रियों को प्रदेश के विकास का एजेंडा तैयार करने की नसीहत दी है, वह समय की मांग है और प्रदेश के लिए आवश्यक है। आजकल लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू है, इसलिए सरकार की ओर से कोई नीतिगत फैसले नहीं लिए जा सकते। हालांकि इसके बावजूद सरकार के पास प्रशासनिक दायित्व एवं विचार के तमाम मुद्दे हैं।

 

प्रदेश में विकास के तमाम आयाम, जिन पर काम जरूरी

हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में विकास के तमाम कार्य हुए हैं, जिनकी बदौलत आज प्रदेश देश के विकसित राज्यों में शुमार हो चुका है। लेकिन इसके बावजूद विकास के तमाम ऐसे आयाम हैं, जिन पर काम होने की जरूरत है और उन्हें आगे बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री नायब सैनी का यह आह्वान उचित ही है कि आचार संहिता के बाद विकास का एजेंडा तैयार रखा जाए। क्योंकि आम चुनाव के बाद हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, लेकिन इससे पहले दो महीने का समय संभव है, नई सरकार के पास होगा, जब उसे प्रदेश में नीतिगत फैसले लेने का अधिकार होगा। ऐसे में मंत्रियों को अभी से उन कार्यों की सूची तैयार कर लेनी होगी, जिन्हें पूरा किया जाना है।

 

मंत्रियों ने गंभीरता से शुरू किया काम

वैसे यह सराहनीय है कि प्रदेश सरकार के नवनियुक्त मंत्रियों ने अपना कार्यभार संभालने के साथ ही अपने विभागों के संबंध में रिपोर्ट तैयार करनी शुरू कर दी है। नायब मंत्रिमंडल में एक-दो ही ऐसे मंत्री हैं, जिन्हें उनके पूर्ववत विभागों को पुन: अलॉट किया गया है। हालांकि ज्यादातर मंत्री नए विभागों को संभाल रहे हैं। कई विधायक पहली बार मंत्री बने हैं और उन्हें अभी विभागीय कार्यप्रणाली को समझना है। नायब मंत्रिमंडल में इस बार नए और पुराने मंत्रियों का वह समूह है, जिसके कंधों पर प्रदेश के विकास की भार है। इनमें से कई मंत्रियों ने अपना काम निराले अंदाज में शुरू भी कर दिया है।

 

परिवहन मंत्री असीम का बस से सफर बन गया सुर्खियां 

अम्बाला सिटी से विधायक असीम गोयल को परिवहन विभाग मिला है और उन्होंने पदभार ग्रहण करने वाले दिन अम्बाला से चंडीगढ़ का सफर रोडवेज बस में किया और चालक-परिचालक की कार्यप्रणाली को समझा। निश्चित रूप से हरियाणा रोडवेज सबसे ज्यादा कमाऊ रोडवेज बस सेवा है। हरियाणा रोडवेज की बसें भी सुरक्षित और आरामदायक सफर के लिए जानी जाती हैं। लेकिन मुश्किल चालक-परिचालक के व्यवहार को लेकर आती है। ऐसी भी शिकायतें आती हैं कि चालक मोबाइल फोन पर बात करते हुए बस को ड्राइव कर रहा था। इससे हादसे होते हैं या होने की आशंका रहती है। ऐसे में परिवहन मंत्री असीम गोयल ने निर्देश दिए हैं कि बस ड्राइव करते समय चालक का फोन परिचालक के पास रहेगा। यह अपने आप में उचित निर्णय है, परिवहन मंत्री को इस संबंध में भी निर्देश देने चाहिए कि चालक-परिचालक का व्यवहार यात्रियों के प्रति विनम्र और सद्भाव पूर्ण हो।

 

गर्मियों में बिजली संकट न हो, इसके लिए अभी से तैैयारियों निर्देश 

बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने भरोसा दिलाया है कि गर्मियों के सीजन में प्रदेश में बिजली की कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके लिए उन्होंने विभाग के अधिकारियों को अतिरिक्त इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं। उनका यह भी दावा है कि राज्य में बिजली आपूर्ति पहले की तुलना में बहुत सुधरी है, अब ग्रामीण अपने बिजली बिलों को नियमित रूप से अदा कर रहे हैं। हालांकि यह सच है कि अब प्रदेश में बिजली संबंधी शिकायतें कम हो गई हैं, पहले प्रदेश के गांव कुंडी कनेक्शन के लिए बदनाम थे, लेकिन अब यह अपराध बंद हो गया है। नए शहरी स्थानीय निकाय मंत्री सुभाष सुधा का यह कहना उचित है कि उनके विभाग का काम काफी चुनौतीपूर्ण है। आजकल शहर ही सभ्यता के केंद्र हैं, शहरों में सफाई सबसे बड़ी चुनौती है। ड्रेनेज प्रणाली और स्वच्छ पेयजल जैसी आवश्यकताएं शहरों के लिए आवश्यक हैं।

 

पीडब्ल्यूडी मंत्री ने भी रोड क्नेक्टिविटी पर काम का दिया भरोसा

पीडब्ल्यूडी मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने अपना एजेंडा जाहिर किया है कि वे रोड क्नेटिविटी को बढ़ाने के लिए काम करेंगे। यह एक अहम विभाग होता है और जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का उचित माध्यम भी। उद्योग एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री मूलचंद शर्मा एवं अन्य मंत्रियों ने भी अपने मंतव्य जाहिर किए हैं। वास्तव में जनता की सेवा की प्रतिबद्धता ही किसी सरकार को विश्वसनीय बनाती है। नवनियुक्त मुख्यमंत्री नायब सैनी के समक्ष यह भी चुनौती है कि वे अपनी सरकार को पूर्ववर्ती मनोहर सरकार के समक्ष या उनसे भी आगे लेकर जाएं। हालांकि इस सरकार के पास काफी कम समय है, लेकिन सीमित समय में ही सरकार को यह जताना होगा कि उसके शासनकाल में किस प्रकार प्रदेश के हित सुरक्षित हैं और बतौर राजनीतिक दल क्यों उसकी वापसी जरूरी है।

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