इसहफ्ते न्यूज / एजेंसी, नई दिल्ली
केंद्र सरकार का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद कई राज्यों ने स्थाई व लंबी अवधि तक तेज विकास दर प्राप्त करने की जमीन तैयार कर ली है।
कोरोना काल में मंदी के संक्रमण से बाहर आ रही अर्थव्यवस्था में तेजी के संकेत मिलने लगे हैं, इसके साथ ही राज्यों की आर्थिकी में भी व्यापक सुधार की गुंजाइश बनने लगी है। निर्यात में बढ़ती तेजी, घरेलू मांग में सुधार और तेजी से जारी कोरोना के टीकाकरण के बल पर कई बड़े राज्यों की आर्थिकी ने पिछले छह माह में बीते वर्ष के कोरोना काल में झेली मंदी का संकट कम कर दिया है।
तेज विकास दर की जमीन तैयार
जीएसटी संग्रह बढऩे का प्रभाव भी साफ दिखाई देने लगा है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय का आकलन है कि चालू वित्त की दूसरी छमाही यानी अक्तूबर 2021 मार्च, 2022 में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तेलगांना, उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे प्रदेशों में आर्थिक विकास दर पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर, 2021 के मुकाबले बेहतर रहेगी। केंद्र सरकार का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर के बाद कई राज्यों ने स्थाई व लंबी अवधि तक तेज विकास दर प्राप्त करने की जमीन तैयार कर ली है।
नीति आयोग-वित्त मंत्रालय कर रहा मंथन
राज्यों की आर्थिकी पर पिछले दिनों नीति आयोग और वित्त मंत्रालय के बीच एक बैठक में अलग-अलग राज्यों की संपूर्ण आर्थिक प्रगति पर चिंतन किया जा चुका है। इसका औचित्य दूसरी कोरोना लहर के बाद राज्यों की आर्थिक स्थिति में हो रहे सुधार की समीक्षा करने साथ ही इसमें और सुधार के लिए मदद पहुंचाना रहा। यह बैठक वित्त मंत्रालय की ओर से राज्यों को दिए जाने वाले अनुदान को लेकर भी दिशा तय करेगी।
अगले छह महीनों में और तेजी
बैठक में इसकी सहमति बनी थी कि राज्यों की आर्थिकी कोविड की मार से लगभग संभल चुकी है। राज्यों के राजस्व में अगले छह महीनों में सबसे तेज वृद्धि की संभावना भी बन रही है। सितंबर की शुरुआत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से जारी एक रिपोर्ट ने कोरोना काल वर्ष (2020-21) में राज्यों की आर्थिकी की जो तस्वीर दिखाई थी, वह उत्साहजनक नहीं थी।
जीएसटी क्षतिपूर्ति मिल रही समय पर
राज्यों के कुल राजस्व संग्रह में जीएसटी से हासिल रकम की हिस्सेदारी लगभग पांचवीं होती है। पिछले छह महीनों में सिर्फ एक महीना (जून, 2021) को छोडक़र जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रही है। सितंबर 2021 में जीएसटी संग्रह 1.17 लाख करोड़ रुपये का रहा है। जीएसटी संग्रह बढऩे के बाद केंद्र सरकार भी राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि समय पर हस्तांतरित करने लगी है।