हरियाणा

पधारो म्हारे हरियाणा : धर्मनगरी कुरुक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव को तैयार, मिलेगा कर्म और धर्म का संदेश

करीब 15 दिन चलने वाले महोत्सव में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन मुख्य कार्यक्रम 9 दिसंबर से आरंभ होगा।

23 नवंबर, 2021 02:40 PM
धर्म और आस्था के प्रतीक इस अनुपम महोत्सव से लोगों का काफी गहरा रिश्ता है। -फाइल फोटो

धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से सुरेंद्र मलिक की रिपोर्ट

 

सुबह के 7 बज रहे हैं और धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में ब्रह्सरोवर तट पर आस्था साक्षात्कार दे रही है। गीता की पावन भूमि पर आकर खुद के व्यक्ति होने का अहसास हवा होने लगता है, किसी ने कहा भी था कि कुरुक्षेत्र में आकर इसकी खोज करने की कोशिश मत करना अपितु यहां पहुंच कर खुद का पता लगाने की चेष्टा करो कि तुम कौन हो? दरअसल, प्रत्येक वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु, पर्यटक कुरुक्षेत्र आते हैं, खुद को तलाशने। वे यहां ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर और ज्योतिसर समेत दूसरे तीर्थ स्थलों पर जाकर ऐसी अनुभूति हासिल करते हैं, जोकि उन्हें जीवन पर्यंत स्मरण रहती है।

 

देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आजकल अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2021 का भव्य आयोजन जारी है। करीब 15 दिन के महोत्सव के दौरान आजकल विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन मुख्य कार्यक्रम 9 दिसंबर से आरंभ होगा। आजकल यहां देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुंच चुके हैं। सुबह-सवेरे दिव्य स्थल ब्रह्मसरोवर में स्नान कर वे अपने दिन की शुरुआत करते हैं और फिर दिनभर चलने वाले कार्यक्रमों का हिस्सा बन रहे हैं। धर्म और आस्था के प्रतीक इस अनुपम महोत्सव से लोगों का काफी गहरा रिश्ता है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर भी चाहते हैं कि गीता घर-घर पहुंचे। राज्य सरकार का पूरा जोर अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के इर्द-गिर्द रहता है।


आध्यात्मिक राजधानी बना कुरुक्षेत्र

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के चलते कुरुक्षेत्र न केवल हरियाणा अपितु पूरे देश के लिए आध्यात्मिक राजधानी का रूप लेता जा रहा है। वैसे तो इस पावनभूमि को नमन करने के लिए श्रद्धालु देश-दुनिया से सालभर यहां आते रहते हैं, लेकिन गीता महोत्सव के दौरान यहां लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचते हैं। हालांकि बीते वर्ष कोरोना की छाया महोत्सव पर रही, लेकिन इस बार बड़ी तादाद में लोगों के यहां पहुंचने की उम्मीद की जा रही है।

 

आर्थिक और व्यापारिक प्रगति हो रही
गीता महोत्सव के दौरान कुरुक्षेत्र और इससे जुड़े अन्य धार्मिक स्थलों पर आर्थिक व व्यापारिक विकास को भी गति मिलती है। यहां के आध्यात्मिक केंद्रों को बड़े स्तर पर विकसित किया जा रहा है। लोगों की सुविधा व सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे जहां लगाए जाते हैं, वहीं विश्राम स्थल भी बनाए जाते हैं। यह महोत्सव एक प्रकार से कारोबारियों के लिए नए अवसर लेकर आता है। इस महोत्सव में निवेश और रोजगार को विशेष प्रोत्साहन मिलता है। नई संभावनाओं के द्वार खुलते हैं। आस-पास के क्षेत्र का सामाजिक,आर्थिक विकास भी तीव्र गति से होता है।

 


धर्मनगरी में आकर कानों में गूंजती है गीता


धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में 5 हजार साल पूर्व भगवान श्री कृष्ण ने दुनिया को जो संदेश दिया था, उसे धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में आकर सुना और महसूस किया जा सकता है। कर्म के गूढ़ रहस्य और उस की प्रधानता के महत्व का यहां के कण-कण में आभास किया जा सकता है। श्रीमद्भगवदगीता कर्म करने को प्रेरित करने के साथ-साथ कर्म करने में होने वाले विकार से भी बचाता है। भगवान श्री कृष्ण ने यहां अर्जुन के माध्यम से इंसान को जीने और मरने का उद्देश्य समझाया था। गीता में 18 अध्याय व 700 श्लोक हैं। इसके संकलनकर्ता वेदव्यास हैं। भगवद्गीता को योगमय होकर भगवान ने अपने मुख से कहा है।

 


अपने कर्म को धर्म बनाएं : स्वामी ज्ञानानंद


गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के अनुसार गीता में वेदों का सार उपलब्ध है। उपनिषदों का सार गीता है। संसार के महत्वपूर्ण ग्रंथों में गीता का विशेष स्थान है। हमें अपने कर्म को धर्म बनाकर जीवन का निर्वाह करना चाहिए। कर्म-धर्म की संज्ञा में न जाएं। हर क्षेत्र में धर्म की मर्यादा को साथ रखकर कर्म करें। गीता का संदेश किसी एकल धर्म, जाति या संप्रदाय के लिए नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानव जाति के लिए है। यह ज्ञान सार्वभौमिक है।

 


ब्रह्मसरोवर पर मिलता है संतोष
यमुनानगर के देव ने बताया कि वे यहां हर साल कुरुक्षेत्र में गीता जयंती समारोह में हिस्सा लेने आते हैं। यहां ब्रह्मसरोवर पर आकर उन्हें जिस संतोष और शांति की प्राप्ति होती है, वह अनमोल है। पावन स्थल पर दिव्य अनुभूति होती है। आध्यात्मिक शांति मिलती और जीवन में आगे बढऩे को बल मिलता है।

पंचकूला के श्रद्धालु परमानंद के अनुसार गीता ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है। मतभेदों के बीच रास्ता दिखाने का कार्य भी गीता करती है। हिंदू धर्म में गीता जयंती मनाने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है। वहीं पानीपत के 80 वर्षीय जागेराम कहते हैं, गीता का संदेश मानसिक शांति देता है। इससे तनाव से मुक्ति मिलती है। गीता धार्मिक पुस्तक नहीं बल्कि एक जीवन पद्धति है। गीता जीने की कला सिखाती है। इसकी आज भी उतनी ही जरूरत है, जितनी पहले थी। गीता एक ऐसा अनुपम ग्रंथ है, जिसका एक श्लोक क्या एक शब्द भी उपदेश से खाली नहीं है।

 

किस दिन क्या कार्यक्रम
महोत्सव के दौरान अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ का आयोजन 21 नवंबर से जारी है, जोकि 8 दिसंबर तक चलेगा। वॉल व फ्लोर पेंटिंग प्रतियोगिता कराई जा रही है वहीं 28 नवंबर को गीता मैराथन, 2 नवंबर से 19 दिसंबर तक शिल्प व सरस मेला, सांध्यकालीन आरती, 9 दिसंबर से 14 दिसंबर तक गीता पुस्तक मेला, रंगोली, हरियाणा पैवेलियन, आरती स्थल पर भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।

 

9 दिसंबर से मुख्य कार्यक्रम
9 दिसंबर को मुख्य कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर गीता यज्ञ व गीता पूजन का आयोजन, 10 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार, ऑनलाइन गीता श्लोक उच्चारण, प्रात: कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम, सांध्यकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम, 11 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार, ज्योतिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम, सांध्यकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम, 12 दिसंबर को ज्योतिसर में गीता पाठ, संत सम्मेलन पुरुषोत्तमपुरा बाग, सांध्यकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम, 13 दिसंबर को ऑनलाइन माध्यम से गीता संसद, ज्योतिसर में गीता पाठ, गीता क्विज प्राइज वितरण समारोह श्रीकृष्ण संग्रहालय, सांध्यकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम, 14 दिसंबर को ज्योतिसर में गीता पाठ, ज्योतिसर व सन्निहित सरोवर पर गीता यज्ञ, गीता के 18 श्लोकों का 55 हजार विद्यार्थियों द्वारा ऑनलाइन माध्यम से सामूहिक उच्चारण, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 48 कोस तीर्थ सम्मेलन का आयोजन, 48 कोस तीर्थों पर दीपोत्सव, गीता शोभा यात्रा, पुरुषोत्तमपुरा बाग में महाआरती व दीपदान कार्यक्रम, 75 स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान, सांध्यकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होगा।

 

इस बार की थीम आजादी का अमृत महोत्सव
युवाओं और बच्चों की महोत्सव में विशेष रुचि रहती है। 2 दिसंबर से प्रारंभ होने जा रहे इस महोत्सव में इस वर्ष का थीम आजादी का अमृत महोत्सव होगा। इस वर्ष कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड, पर्यटन विभाग, प्रशासन, सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग द्वारा 2 दिसंबर से 19 दिसंबर तक शिल्प और सरस मेले का आयोजन किया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव में इस बार 9 से 14 दिसंबर तक दीपोत्सव, 48 कोस प्रदर्शनी, विश्व गुरु भारत प्रदर्शनी, जनसंपर्क विभाग की प्रदर्शनी, आजादी के अमृत महोत्सव की प्रदर्शनी दिखाई देगी। पुरुषोत्तमपुरा बाग में, संत सम्मेलन, गीता सेमिनार, मेराथन, सांस्कृतिक कार्यक्रम मुख्य आकर्षण का केंद रहेंगे।

 

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीईओ कहते हैं
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सीईओ अनुभव मेहता कहते हैं, अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2021 को लेकर बड़े स्तर पर तैयारियां अंतिम चरण में है। कोविड के कारण इस बार 350 शिल्पकारों की सर्वश्रेष्ठ शिल्पकला को देखने
का ही दर्शक आनंद ले पाएंगे। 

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