इसहफ्ते न्यूज / चंडीगढ़
पैसा जोडऩे के लिए सिप यानी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान एक बेहतरीन साधन है। यह नियमित रूप से निवेश के सिद्धांत पर काम करता है। आर्थिक जानकार सलाह देते हैं कि यह आपके आवर्ती जमा की तरह है, जिसमें आप हर महीने कुछ छोटी राशि डालते हैं। ये आपको एक बार में भारी पैसा निवेश करने की जगह म्यूचुअल फंड में कम अवधि का (मासिक या त्रैमासिक) निवेश करने की आजादी देता है। सिप आपको एक म्यूचुअल फंड में एकसाथ 5,000 रूपये के निवेश की बजाय 500 रुपये के 10 बंटे हुए निवेश की सुविधा देता है। इससे आप अपनी अन्य वित्तीय जिम्मेदारियों को प्रभावित किये बिना म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। मनी कंट्रोल वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक सिप के जरिए आप पैसा जोड़ कर अपने हर सपने को पूरा कर सकते हैं।
सिप कैसे करता है काम
सिप के काम करने के तरीके को समझने के लिये आपको धन के जुड़ते रहने की शक्ति को समझना होगा। एक औसत आदमी की पहुंच के भीतर म्यूचुअल फंड निवेश को ले आया है, क्योंकि यह उन तंग बजट लोगों को भी निवेश करने योग्य बनाता है जो एक बार में बड़ा निवेश करने के बजाय 500 या 1,000 रूपये नियमित रूप से निवेश कर सकते हैं।
दरअसल, सिप के माध्यम से छोटी-छोटी बचत करना शायद पहली बार में आकर्षक न लगे लेकिन ये निवेशकों को बचत की आदत डालता है और बढ़ते वर्षों में ये आपको सुंदर प्रतिलाभ (रिटर्न) देते हैं। 1,000 रुपये महीने का एक सिप 9 प्रतिशत की दर से 10 वर्षों में बढक़र 6.69 लाख रुपये, 30 साल में 17.38 लाख रुपये और 40 साल में 44.20 लाख तक हो सकता है। यही नही धनी लोगों को भी ये गलत समय और गलत जगह पर निवेश करने की आशंका से बचाता है। हांलाकि सिप का असली फायदा निचले स्तर पर निवेश करने से मिलता है।
सिप करने के यह हैं फायदे
अनुशासित निवेश
अपने धन कोष को सुरक्षित बनाये रखने के मुख्य नियम हैं- लगातार निवेश करें,अपने निवेशों पर ध्यान केन्द्रित रखें और अपने निवेश के तरीके में अनुशासन बनाये रखें। हर महीने कुछ राशि अलग निकालने से आपकी मासिक आमदनी पर अधिक अन्तर नहीं पड़ेगा। आपके लिये भी बड़े निवेश हेतु इक_ा पैसा निकालने से बेहतर होगा कि हर महीने कुछ रुपये बचाये जायें।
2. रुपये जुड़ते रहने की शक्ति
निवेश विशेषज्ञ बताते हैं कि एक व्यक्ति को हमेशा जल्दी निवेश शुरू करना चाहिये इसका एक मुख्य कारण है, चक्रवृद्धि ब्याज मिलने का लाभ। इसे एक उदाहरण से समझें। दिनेश (अ) 30 साल की उम्र से 1,000 रुपये हर साल बचाना शुरू करता है, वहीं प्रदीप (ब) भी इतना ही धन बचाता है। लेकिन 35 साल की आयु से। जब 60 साल की उम्र में दोनों अपना निवेश किया हुआ पैसा प्राप्त करते हैं तो (अ) का फंड 12.23 लाख होता है और (ब) का केवल 7.89 लाख। इस उदाहरण में हम 8 फीसदी की दर से रिटर्न मिलना मान सकते हैं। तो ये साफ है कि शुरू में 50,000 रुपये निवेश का फर्क आखिरी फंड पर 4 लाख से ज्यादा का प्रभाव डालता है। ये रुपये के जुड़ते रहने की शक्ति के कारण होता है। जितना लंबा समय आप निवेश करेंगे उतना ज्यादा आपको रिटर्न मिलेगा।
अब मान लीजिये कि (अ) हर साल 10,000 निवेश करने की बजाय 35 वर्ष की उम्र से हर 5 साल बाद 50,000 निवेश करता है, इस स्थिति में उसका निवेश किया धन उतना ही रहेगा (जो कि 3 लाख है) लेकिन उसे 60 साल की उम्र में 10.43 लाख का फंड (कोष) मिलता है। इससे पता चलता है कि देर से निवेश करने में समान धन डालने पर भी व्यक्ति शुरू में मिलने वाले चक्रवृद्धि ब्याज के फायदे को खो देता है।
3. रुपये की कीमत का औसत
ये मुख्य रूप से शेयरों में निवेश के लिये उपयोगी है। जब आप एक फंड में लगातार अंतराल पर समान धन का निवेश करते हैं तो रुपये की कम कीमत के समय में आप शेयर की ज्यादा यूनिट खरीदते हैं। इस प्रकार समय के साथ आपकी प्रति शेयर या (प्रति यूनिट) औसत कीमत कम होती जाती है। यह रुपये की औसत लागत की नीति होती है जो एक लंबी अवधि के समझदार निवेश के लिये बनाई गयी है। ये सुविधा अस्थिर बाजार में निवेश के खतरे को कम करती है और बाजार के उतार-चढ़ाव भरे सफर में आपको सहज बनाये रखती है। जो लोग सिप के माध्यम से निवेश करते हैं वे बाजार के उतार के समय को भी उतनी ही अच्छी तरह संभाल सकते हैं, जैसे वो बाजार के चढ़ाव के समय को। सिप के द्वारा आप के निवेश की औसत लागत कम होती है, तब भी जब आप बाजार के ऊंचे या नीचे सभी प्रकार के दौर से गुजरते हैं।