कैंसर से घर में तीन मौतों ने बदला मन, अब 12 साल से कर रहीं जैविक खेती

झज्जर के नौगांव की प्रगतिशील महिला किसान नीलम आर्गेनिक खेती के जरिए न केवल अपनी आजीविका चला रही हैं अपितु दूसरी महिलाओं को भी रोजगार उपलब्ध करवा रही हैं

10 दिसंबर, 2021 12:31 AM
किसान कृषि रत्न अवार्ड से सम्मानित प्रगतिशील किसान नीलम आर्य आज दूसरे किसानों के लिए प्रेरक बन गई हैं।

इसहफ्ते न्यूज. सुरेंद्र सिंह

नीलम बताती हैं, उन्होंने कुदरती खेती किसान समूह का गठन कर उसे पंजीकृत कराया है। यह प्रदेश का पहला पंजीकृत समूह है जो लोगों को खास तौर पर किसानों को जागरूक करने का कार्य कर रहा है। इस तरह गांव में 6 और समूह बनाये गये, जिनमें एक समूह में 10-10 महिलाएं हैं जो इस दिशा में कार्यरत हैं।

केमिकल युक्त उत्पादों का हमारे स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ता है। यह हमारे स्वास्थ्य के साथ ही हमारी कमाई का बड़ा हिस्सा भी अपव्यय करवा देते हैं। ऐसी स्थिति से बचने के लिए जहां यूरिया और केमिकल युक्त फसलों की उपज से बचने की जरूरत है वहीं इन पदार्थों के जरिए तैयार हुए अनाज, फलों-सब्जियों आदि से भी दूरी बनाए जाने की आवश्यकता है। खेतों में केमिकल युक्त खादों का अंधाधुंध प्रयोग बंद करके जैविक खेती व उससे तैयार उत्पादों पर ध्यान देने व उन्हें नियमित जीवन में अपनाने की जरूरत है। यह कार्य आसान असंभव भी नहीं हैनहीं है, लेकिन

 

नीलम आर्य ने जैविक खेती में हासिल किया मुकाम

 

जैविक खेती आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसके लिए ऐसे किसानों की आवश्यकता है जोकि केमिकल युक्त फसलों को उगाने से परहेज करते हैं। वहीं फिर उन उपभोक्ताओं की जरूरत भी है, जोकि उन विशेष फलों, सब्जियों आदि को खरीद भी सकें। दरअसल, किसान कृषि रत्न अवार्ड से सम्मानित हरियाणा के झज्जर जिले के नौगांव की प्रगतिशील किसान नीलम आर्य प्रगतिशील खेती के इसी अभियान को चलाए हुए हैं। वे बीते 12 वर्षों से जैविक खेती करके लोगों को जागरूक कर रही हैं।

 

शुरुआत में नीलम भी खेतों में डालती थीं केमिकल


नीलम आर्य 10 एकड़ के अपने खेतों में डीएपी डाले बगैर जैविक खेती कर रही हैं। वे आर्ट एंड क्राफ्ट में स्नात्तकोतर हैं। लेकिन खेती को उन्होंने अपनी आजीविका का साधन बनाया। जैविक खेती करने के अलावा वे लोगों को योग के प्रति जागरूक करने और विभिन्न आसनों का प्रशिक्षण देने का कार्य भी बखूबी करती हैं। नीलम आर्य कहती हैं- बहुत शुरुआत में वे भी अन्य किसानों की तरह केमिकल आदि डालकर फसलें उगाती थी, लेकिन फिर घर में एक-एक करके कैंसर से तीन मौतों ने उन्हें हिला कर रख दिया। इस घटना ने उनका पूरा जीवन बदल दिया। इसके बाद से उन्होंने प्रण लिया कि वे अब से जैविक खेती ही करेंगी।

 

कुदरती खेती किसान समूह बनाया
नीलम बताती हैं, उन्होंने कुदरती खेती किसान समूह का गठन कर उसे पंजीकृत कराया है। यह प्रदेश का पहला पंजीकृत समूह है जो लोगों को खास तौर पर किसानों को जागरूक करने का कार्य कर रहा है। नीलम कहती हैं- धरती को बचाने की इस पहल से प्रभावित होकर गांव में 6 और समूह बनाये गये, जिनमें एक समूह में 10-10 महिलाएं हैं जो इस दिशा में कार्यरत हैं।


जैविक खेती से बनाती हैं यह उत्पाद
किसान नीलम ने बताया की वे जैविक खेती से बाजरे से तैयार पौष्टिक दलिया, गेहूं का आटा, बाजरे के लड्डू व बिस्कुट, गुड़, शक्कर, खांड के अलावा मूंग, तिल, मूंगफली के लड्डू और उड़द से तैयार उत्पादों को दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बाजारों में भिजवाती हैं, इससे उन्हें प्रतिवर्ष 10 लाख रुपये के आसपास आय होती है। वे बाजार में 29 प्रकार के जैविक उत्पादों की मार्केटिंग करती हैं। उनकी अपनी पैकिंग व प्रोसेसिंग यूनिट है, जिसमें उन्होंने कई महिलाओं को रोजगार दिया हुआ है। वे आर्गेनिक सरसों का तेल निकाल कर भी उसे बाजार में विक्रय करती हैं। नीलम ने बताया की वे पशुपालन भी कर रही हैं, उनके पास मुर्राह व देशी नस्ल की अनेक भैंस व गायें हैं। उन्होंने एक एकड़ में फलों का बाग भी लगाया हुआ है जिसमें तैयार फलों की बाजार में खूब मांग है।

 

स्कूलों में जाती हैं प्रशिक्षण देने के लिए
नीलम के अनुसार वे इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए विशेष आग्रह पर स्कूलों में प्रशिक्षण देने भी जाती हंै। जैविक खेती को लेकर वे प्रारंभ में किसानों से सामूहिक विचार- विमर्श करती थी, जिससे निष्कर्ष निकला की भले ही आर्गेनिक खेती में उत्पादन कम होता हो, पैसा कम मिलता हो लेकिन मन की संतुष्टिï है व उपभोक्ता घर आकर उत्पादों की खरीद करते हैं। वे कहती हैं की बड़ी-बड़ी प्रदर्शनियों में वे स्टॉल लगाती हैं व लोगों को जैविक खेती को अपनाने की सलाह देती हैं। उनके अनुसार वर्तमान समय में आर्गेनिक उत्पादों का उत्पादन भले ही रसायनिक खेती से कम हो लेकिन बाजार में जैविक उत्पादों की मांग ज्यादा है व वाजिब दाम मिल जाते हैं। हजारों की संख्या में उपभोक्ता उनसे जुड़े हुए हैं, जो आर्गेनिक उत्पादों पर भरोसा करते हैं।

 

किसानों-उपभोक्ताओं को दिया संदेश


वे किसानों से इसका आग्रह करती हैं कि वे सीमित ही सही लेकिन जैविक खेती के रूप में कुछ न कुछ जरूर उगाएं। इससे न केवल धरती की उर्वरता बरकरार रहेगी अपितु स्वास्थ्य के लिए लाभदायक उत्पाद भी हासिल होंगे। वहीं वे उपभोक्ता जोकि आर्गेनिक उत्पाद पसंद करते हैं, को भी ऐसे ही उत्पाद खरीदने चाहिएं, हालांकि इनकी कीमत कुछ ज्यादा हो सकती है लेकिन यह पूरा पैसा वसूल करवा देते हैं। 

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