सुरेंद्र सिंह
Haryana animal husbandry : हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा भिवानी के सेक्टर 13 स्थित हूडा मैदान में लगाई गई 38 वीं तीन दिवसीय राज्य स्तरीय पशु प्रदर्शनी जहां सफल रही, वहीं इस दौरान पशुओं की विभिन्न नस्लों और उनके रखरखाव ने पशुधन की अहमियत का अहसास कराया है। पशुपालकों का उत्साह जहां देखते ही बनता था, वहीं उनके पशुओं का स्वास्थ्य यह बता रहा था कि उनकी किस प्रकार परवरिश हो रही है। पालतु पशु परिवार का हिस्सा होता है और इस प्रदर्शनी में पहुंचे पशुपालकों ने इसे स्वीकार भी किया। प्रदर्शन के आयोजन पर एक रिपोर्ट।
प्रदर्शनी में पशुओं के कैटवॉक के लिए लाल कार्पेट बिछाया गया था, जिस पर पशु पालक अपने उम्दा नस्ल के पशुओं को कैटवाक करवा रहे थे। रैंप के नजदीक खड़े पशुपालक पशुओं की सेल्फी लेकर व सीटियां बजा कर उत्साह बढ़ रहे थे। प्रदर्शनी में देसी नस्ल के झोटों की कीमत लाखों से प्रारंभ होकर करोड़ रुपये तक बताई जा रही थी। मुर्राह नस्ल की भैंस व साहीवाल नस्ल की गायों को लेकर प्रदर्शनी में पशुपालक पहुंचे थे। जिन्हें वे अपना काला सोना बता रहे थे। देसी गाय की नस्ल भी प्रशंसा के योग्य रही, जिसकी कद काठी देखकर लोग हैरान थे। प्रदर्शनी में बनाया गया सेल्फी प्वाइंट भी लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। इस तीन दिवसीय प्रदर्शनी में अंतिम दिन बतौर मुख्यअतिथि पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पशुपालकों का हौसला बढ़ाया और विजेताओं को इनाम वितरित किये।
उम्मीद से कहीं ज्यादा पहुंचे
प्रदर्शनी के प्रारंभ में विभाग के अधिकारियों ने हजार की संख्या में पशुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया था, लेकिन यह संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई। विभाग के अनुसार प्रदेश भर से आये पशुपालकों का जो रजिस्ट्रेशन कराया गया वह संख्या 1575 तक पहुंची। इस राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में विभिन्न नस्लों और 53 श्रेणियों के उम्दा पशु प्रमुख रूप से दिखाई पड़े जिसमें दुधारू पशु, शुष्क मुर्राह, मुर्राह नस्ल के युवा झोटों के अलावा घोड़े, ऊंट, भेड़ व बकरियां शामिल थी। प्रदर्शनी में पहुंचे इन पशुओं ने बेहतरीन नृत्य कर अपनी प्रतिभा का जोरदार प्रदर्शन किया जिसे देखकर लोग हैरान थे। कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने विजेता पशुओं के मालिकों को पुरस्कार वितरित किए।
पशुपालकों को दी हर जानकारी
प्रदर्शनी में अलग-अलग स्टॉल लगाए गए थे वहीं पशु गैलरी भी अलग से स्थापित की गई थी। इस राज्य स्तरीय पशु प्रदर्शनी में प्रदेशभर के ही नहीं अन्य प्रदेश के पशु पालकों ने भी पशुओं के साथ शिरकत की। हर पशु की अपनी खासियत थी, जिसे लोग करीब से जाकर निहार रहे थे। प्रदर्शनी में हैफेड, वीटा और लुवास के प्रोडक्ट लोगों को लुभा रहे थे। पशुओं की आर्थिक समृद्धि के लिए अनुवांशिक सुधार, बेहतर स्वास्थ्य, पशुओं की उत्पादकता कैसे बढ़ाएं आदि के बारे में विभाग के विशेषज्ञों द्वारा जानकारी दी जा रही थी। पशुओं में होने वाली बीमारियों और उनकी देखरेख, उनका आहार कैसा हो, खनिज लवण आदि कैसे दिया जाए, के बारे में पशुपालकों को बताया जा रहा था।
नगाड़ों, ढोलक की ताल पर करते रहे डांस
रैंप पर जैसे ही कैटवॉक शुरू हुआ व पशुपालकों ने अपने पशुओं को रैंप पर ले जाना शुरू किया तो पशुओं की विशेषता देखकर लोगों की उनके बारे में उत्सुकता बढ़ती गई। नगाड़ों, बीन, ढोलक की ताल पर डांस करते इन घोड़ों, ऊंटों ने दर्शकों का मन मोह लिया था। उम्दा नस्ल के ऊंट, घोड़ों, झोटों व बकरी ने रैंप पर जो जलवे दिखाए तो लोगों से रहा नहीं गया व उन्होंने उनके इस प्रदर्शन की खुलकर तारीफ की। ऊंटों का नृत्य प्रदर्शनी में देखने लायक था। लोग साहीवाल नस्ल की गाय वह मुर्राह नस्ल की भैंसों की सुंदरता देखकर गदगद हो रहे थे। घोड़ों की दौड़ व ऊंटों की सवारी का नजारा ही अलग था।
ऊंटों के बदन पर स्टाइलिश कटिंग
प्रदर्शनी में पहुंचे हिसार के पृथ्वी नाथ गौशाला पावड़ा की गाय आकर्षण का केंद्र थी। ऊंटों के मालिक अपने ऊंटों की स्टाइलिश कटिंग करवा कर प्रदर्शनी में पहुंचे थे। यह कटिंग लोगों को हैरान करने वाली थी। ऊंटों के शरीर पर यह कटिंग खास तरीके से की जाती है, जिसमें उनकी ऊन को ऐसे तराशा जाता है, मानो वह आकृति उनके बदन पर पहले से निर्मित हो। यह खास तरीके की कटिंग 3 से 5 हजार रुपये में होती है।
अनमोल की कीमत है अनमोल
प्रदर्शनी में शेखपुरा से आए पशुपालक संदीप ने बताया कि उनके पास अनेक प्रकार के लाखों की कीमत के झोटे हैं। वे इस व्यवसाय में लंबे समय से हैं। वहीं सिरसा के जगतार ने बताया कि उनके देसी झोटे अनमोल की कीमत ढाई करोड़ लग चुकी है, लेकिन वे फिर भी इसे बेचने के लिए तैयार नहीं हैं। अपने झोटे को वे रोजाना 2 हजार रुपए की खाद्य सामग्री खाने को देते हैं, व रोजाना उसे 3 किलोमीटर का वॉक कराते हैं। लोहारू के पशुपालक रघुवीर का बकरा भी आकर्षण का केंद्र रहा। रघुवर ने बताया कि उन्होंने उसे अहमदाबाद से सवा लाख रुपए में खरीदा था।
बच्चों की तरह पालते हैं
रोहतक के देवेंद्र कोच की मुर्रा नस्ल के पशुओं की भी खूब चर्चा रही। देवेंद्र ने बताया कि वे अपने पशुओं को बच्चों की तरह पालते हैं। उनके पशुओं का हर मास 12 से 14 लाख रुपए का सीमन बिकता है। उनके पास जो मुर्राह नस्ल का झोटा बादल है, वह 2020 और 2021 में हरियाणा चैंपियन का खिताब जीत चुका है। प्रदर्शनी में जींद के गांव अटेली के दिलेर का झोटा जिसकी कीमत 11 करोड़ बताई गई थी, लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। जींद के हरि सिंह ने बताया कि लंबे समय के बाद इस तरह की प्रदर्शनी में आने का मौका मिला है। वहीं हिसार से आए रामकुमार ने बताया कि प्रदर्शनी में उन्हें पशुओं से जुड़े व्यवसाय के संबंध में नई बातें जानने को मिली हैं।
वे उतरे रैंप पर
रैंप पर सर्वश्रेष्ठ पशु का इनाम हासिल करने वाले रोहतक निवासी देवेंद्र ने अपने झोटे को कैटवॉक करवाई। उसके बाद हरियाणा नस्ल में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली झज्जर जिले के गांव गवालिसन निवासी ब्रह्म प्रकाश की गाय ने रैंप पर उतर कर तालियां बटोरीं। साहीवाल नस्ल में प्रथम स्थान हासिल पाने वाली करनाल जिले के नवदीप की गाय ने दर्शकों के दिल जीत लिए। क्रास ब्रीड नस्ल में महेंद्रगढ़ जिले के गुढा निवासी नीटू की गाय प्रथम स्थान हासिल कर रैंप पर उतरी।
वीरेंद्र की गाय रही पहले नंबर
गाय की गिर नस्ल में सोनीपत निवासी वीरेन्द्र की गाय ने प्रथम स्थान प्राप्त कर कैटवॉक की। वहीं द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले पशुओं की मुर्राह नस्ल में हिसार निवासी होशियार सिंह की भैंस रही। इसी प्रकार हरियाणा नस्ल में पानीपत निवासी नरेन्द्र की गाय दूसरे स्थान पर, साहीवाल नस्ल में करनाल निवासी वासुदेव की गाय तथा क्रास ब्रीड नस्ल में महेंद्रगढ़ निवासी नीटू की गाय दूसरे स्थान पर रही। भिवानी जिले के गांव ढाणी माहू निवासी विक्की के बकरे ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार भिवानी जिले के गांव नांगल निवासी रजनीश की बकरी प्रथम स्थान पर रही वहीं ढाणी माहू निवासी विक्की की बकरी पहले स्थान पर रही।