voilence in nuh in haryana चंडीगढ़ : हरियाणा के नूंह में मंदिर से निकली शोभायात्रा के दौरान जो हिंसा हुई है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। हरियाणा बीते वर्षों की तुलना में शांत और स्थिर राज्य के रूप में सामने आया है, लेकिन अब नूंह जैसे मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदुओं की शोभायात्रा पर इस प्रकार हिंसा किसी बड़ी साजिश और षड्यंत्र का हिस्सा नजर आती है।
पूर्व में घटी घटनाओं ने तैयार किया आधार
छ समय पहले टीवी पर डिबेट के दौरान एक महिला प्रवक्ता की टिप्पणी पर देशभर में जिस प्रकार से मुस्लिम समाज ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी, उस दौरान नूंह में भी तनाव देखने को मिला था, हालांकि स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया था। इसके बाद भिवानी के इलाके में राजस्थान के दो मुस्लिम युवकों की जला कर हत्या कर दी गई थी। इन सब घटनाओं के बाद अब सावन सोमवार के दिन शिवमंदिर से निकली शोभायात्रा पर हमला और उसमें सैकड़ों गाडिय़ों को फूंक देना, तीन लोगों की हत्या हो जाना। सैकड़ों श्रद्धालुओं को बंधक बनाना, पुलिस पर हमला और उसे उपद्रव स्थल पर न पहुंचने देना, क्या यह सब नहीं बताता कि बेहद सुनियोजित तरीके से बदले की भावना से इस कांड को अंजाम दिया गया है।
इलाके को चाहिए विकास पर लोग भरे हैं बदले की भावना से
नूंह हरियाणा का सर्वाधिक पिछड़ा इलाका है, इसमें कोई दो राय नहीं है। पहले की सरकारों ने यहां जो भी विकास कराया, वह अपनी जगह है लेकिन मौजूदा मनोहर सरकार ने इस इलाके का पिछड़ापन दूर करने के लिए बेहद जत्न किए हैं। हालांकि जब बात विकास और तरक्की की होनी चाहिए और अपराध को अपराध भर की नजर से देखा जाना चाहिए, वहां नूंह में बदले की भावना से लोग ज्यादा प्रभावित दिखते हैं। सोमवार को यहां उपद्रव के दौरान हर उम्र के व्यक्ति को सडक़ पर उपद्रव करते देखा गया। उनके हाथों में ईंट-रोड़े तो थे ही वे पहाडिय़ों से गोलियां भी दाग रहे थे। क्या यह कानून और व्यवस्था का मखौल नहीं है।
पुलिस, प्रशासन और सरकार की संजीदगी भी संदिग्ध
इस पूरे प्रकरण के बाद राज्य सरकार की ओर से सख्ती बरती गई है। केंद्रीय सुरक्षा बलों को घटनास्थल पर एयरड्रॉप करना पड़ा है। जिस समय वारदात अंजाम दी गई, तब शोभायात्रा के साथ मुश्किल से कुछ दर्जनभर पुलिस कर्मी ही थे। जिले के एसपी आजकल अवकाश पर हैं और यहां का कार्यभार दूसरे जिले के एसपी के पास है। क्या इससे इनकार किया जा सकता है कि पुलिस अधिकारियों को इसका अहसास तक नहीं था कि ऐसा कुछ भी हो सकता है। यकीनन उन्हें इसकी भनक तक नहीं थी, क्योंकि ऐसा होता तो शोभायात्रा की सुरक्षा के लिए जहां पुलिस फोर्स प्रभावी होती वहीं जिले में सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए होते। यह पुलिस और प्रशासन की खुफिया प्रणाली की भी कोताही है, क्योंकि नूंह में कब सांप्रदायिक हिंसा भडक़ जाए, कोई नहीं जानता। लोग साथ-साथ रहते हुए भी इस कदर बदले की भावना से भरे हुए हैं कि एक दूसरे के धार्मिक कार्यक्रमों में खलल डालकर उनकी धार्मिक आजादी और जीवन की स्वतंत्रता का हनन करने से बाज नहीं आते।
सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे थे उकसावे वाले मैसेज
नूंह में हुई हिंसा के सुनियोजित होने के सबूत मिल रहे हैं। ऐसी रिपोर्ट है कि सोशल मीडिया पर पहले से ऐसे मैसेज प्रसारित होने लगे थे, जिनमें कहा जा रहा था कि इस बार कुछ खास होगा। यह भी सामने आ रहा है कि अमेरिका में बैठे आतंकी संगठन भी इस तरह की हिंसा को भडक़ाने के लिए काम कर रहे थे। राज्य सरकार के लिए यह जांच का विषय होना चाहिए कि आखिर जब पहले से ऐसा कुछ घटित करने के मंसूबे बनाए जा रहे थे तो उसकी खुफिया एजेंसी कहां थी, क्या समय रहते ऐसे लोगों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी।
फिर भी सरकार ने समय रहते उठाए हर कदम
सांप्रदायिक हिंसा के बाद जांच कमेटियां बनती हैं और रिपोर्ट तैयार होती हैं, लेकिन यह तय होता है कि ऐसी वारदातों के पीछे जहां आरोपियों की सुनियोजित चाल होती है, वहीं जांच एजेंसियों की लापरवाही। इसके बाद राज्य सरकार की इस सक्रियता को सराहा जाएगा कि उसने हालात को नियंत्रित करने के लिए कम से कम समय लिया है वहीं केंद्र सरकार से समय रहते समन्वय स्थापित करके तीन सुरक्षा कंपनियों को वहां एयरड्राप किया गया। ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि उपद्रवियों ने सभी रास्ते रोक लिए थे और राज्य पुलिस बल को वहां जाने नहीं दिया जा रहा था।
जा सकती थी और भी निर्दोष लोगों की जान
अगर केंद्रीय सुरक्षा बलों की इस प्रकार से तैनाती नहीं होती और यह उपद्रव और भी निर्दोष लोगों की जान लेता। निश्चित रूप से हरियाणा और नूंह के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। राजनीतिक दलों को जहां सोच-समझ कर बयान देने होंगे वहीं इस वारदात में किंतु-परंतु तलाशे जाने के बगैर आरोपियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। प्रदेश के भाईचारे और उसकी शांति को बिगाडऩे के दोषियों के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया जाना चाहिए। राज्य सरकार का दायित्व है कि वह भविष्य में ऐसे उपद्रवों की प्रभावी रोकथाम सुनि िचत करे।