राष्ट्रीय

हरियाणा में जाट, गैर जाट की राजनीति के बीच ब्राह्मण बन सकता है मुख्यमंत्री?

सांसद अरविंद शर्मा लगातार उठा रहे ऐसी मांग

14 दिसंबर, 2022 12:45 PM
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल और रोहतक से सांसद अरविंद शर्मा के बीच तकरार पर उठ रहे सवाल। फोटो सोशल मीडिया

jaat and non jaat politics in haryana :

हरियाणा में ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब मुख्यमंत्री (cm Manoher lal and Mp Arvind sharma)  मनोहर लाल और रोहतक से सांसद अरविंद शर्मा के बीच शब्दों के तीखे बाण चले हों। इसी साल मई की बात है, जब रोहतक के पहरावर गांव में भगवान परशुराम जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान सांसद अरविंद शर्मा ने कुछ ऐसा कहा था, जिसे मुख्यमंत्री की शान में गुस्ताखी ही कहा जाएगा, हालांकि ब्राह्मण समाज के नेता के रूप में खुद को प्रोजेक्ट कर रहे अरविंद शर्मा के प्रति न प्रदेश इकाई के किसी नेता ने कुछ बोला और न ही दिल्ली में बैठे केंद्रीय नेतृत्व ने।

रुसूखदार नेता बन चुके अरविंद शर्मा

अरविंद शर्मा भाजपा के सर्वाधिक रुसूखदार नेता के रूप में सामने आए हैं। इसका एक उदाहरण बीते दिनों उनकी बेटी की शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शामिल होना है। बेशक, बड़े राजनेताओं के बेटे-बेटियों की शादियों में प्रधानमंत्री सरीखे व्यक्तित्व का शरीक होना सामान्य हो सकता है, लेकिन हरियाणा में जब सांसद अरविंद शर्मा लगातार मुख्यमंत्री मनोहर लाल को लक्षित कर रहे हैं, तब ऐसे माहौल में बगैर किसी हिचक के प्रधानमंत्री का वहां जाना असामान्य बात ही लगती है।

पहरावर गांव में सांसद के बिगड़े थे बोल
पहरावर गांव में भगवान परशुराम जयंती पर हुए कार्यक्रम में सांसद अरविंद शर्मा ने कहा था कि अगला मुख्यमंत्री ब्राह्मण समाज से होना चाहिए, क्योंकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसी भी काम के वक्त अपना दिमाग नहीं लगाते। पहरावर की जिस विवादित जमीन को ब्राह्मण  समाज को देने की बात हो रही थी, उस पर सरकार ने रोक लगा दी थी। हालांकि सामने आया था कि ब्राह्मण समाज की ओर से उस जमीन की लीज को रिन्यू नहीं कराया गया था। खैर, इस कार्यक्रम में सांसद अरविंद शर्मा ने कहा था कि 56 साल पहले जब हरियाणा का गठन हुआ था, तब पंडित भगवत दयाल शर्मा पहले मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन उनका कार्यकाल महज छह महीने का रहा। इस तरह साढ़े चार साल का कार्यकाल बतौर ब्राह्मण एक मुख्यमंत्री का बचता है, इसके लिए वे प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री अमितशाह से बात करेंगे। गौरतलब है कि पंडित भगवत दयाल शर्मा के बाद ब्राह्मण समाज से कोई नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा है।

सीएम खट्टर ने खुद किया था पार्टी में स्वागत

साल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे अरविंद शर्मा भाजपा में आए थे। तब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खुद उनका पार्टी में स्वागत किया था। इसके बाद अरविंद शर्मा को जाटलैंड एवं पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ रोहतक से टिकट दी गई, और शर्मा व हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के बीच मुकाबला तय हो गया। यह कांटे का मुकाबला था, जिसमें हुड्डा पिता-पुत्र के लिए अपना गढ़ बचाने की चुनौती थी, वहीं अरविंद शर्मा भाजपा के जहाज के खेवनहार बनकर इस हॉट सीट को जीतने में दिन-रात एक किए हुए थे। जब परिणाम आए तो इस सीट पर पेंच फंस गया। सुबह से चल रही मतों की गिनती रात के चार बजे तक सांसें रोके रही। आखिरकार अरविंद शर्माको 7503 वोट के अंतर से विजेता घोषित कर दिया गया। उन्हें कुल 573845 और दीपेंद्र हुड्डा को कुल 566342 वोट हासिल हुए।

क्या जाट और गैर जाट का मुद्दा है यह
हरियाणा में जाट और गैर जाट की राजनीति इस राज्य के गठन के प्रारंभ से जारी है। राज्य में महज एक बार पंडित भगवत दयाल शर्मा मुख्यमंत्री रहे हैं, उसके बाद से लगातार जाट या बिश्नोई से आने वाले नेता ही मुख्यमंत्री बने। राज्य में पंजाबी समाज से आने वाले मनोहर लाल खट्टर को पहली बार नेतृत्व का मौका मिला, अब ऐसे में सांसद अरविंद शर्मा की ओर से ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने की मांग राज्य के उस वर्ग को खुश करने की कवायद लगती है, जोकि इस बड़े उलटफेर की आशा रखता है। राजनीतिक रूप से यह मांग गैरजरूरी भी नहीं लगती, लेकिन सवाल यही है कि क्या ब्राह्मण समाज के नेता को इसका मौका दिया जाएगा?

क्या है जाट और गैर जाट की राजनीति
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि प्रदेश में जाट और गैर जाट जैसा कोई मुद्दा नहीं है, कहा जाता है कि यह सिर्फ भाजपा की ओर से अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने की जुगतभर है। भाजपा ने जाटों के समानांतर ब्राह्मणों, वैश्य और अनुसूचित जाति समाज के लोगों को एकजुट करने के लिए ऐसा किया है। यह इन गैर जाट जातियों का ध्रुवीकरण है। आकलन है कि प्रदेश की 90 विधानसभा सीटों में से अहीरवाल बेल्ट में यादव ही विधायक चुने जाते हैं, वहीं कुछ 5 या 6 ऐसी सीट हैं, जहां गुर्जर विधायक बनते हैं। इसके बाद 17-18 ऐसी सीट हैं, जहां जाट विधायक नहीं चुने जाते। यह इलाका यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल का है। अब बची 30 सीटें, जिनको लेकर जाट और गैर जाट का मुद्दा बनाया जाता है।

ब्राह्मण समाज के नेता बनने की है चाह
यह दिलचस्प है कि हरियाणा में इस समय दो सांसद ब्राह्मण समाज से हैं, सोनीपत से सांसद रमेश चंद्र कौशिक 52.०3 फीसदी वोट लेकर सांसद निर्वाचित हुए हैं, वहीं रोहतक से अरविंद शर्मा को 47.०१ फीसदी वोट हासिल हुए थे। इस समय अरविंद शर्मा की चाहत ब्राöण समाज से जुड़े मुद्दे उठाकर खुद को ब्राह्मणों के सबसे बड़े हितकारी के रूप में खुद को पेश करने की है। पहरावर में गौड़ ब्राह्मण कालेज को जमीन के मामले में जिस प्रकार से सांसद अरविंद शर्मा ने सीधे सरकार एवं मुख्यमंत्री से द्वंद्व किया, उससे यह साबित हो गया कि वे अपने वर्ग के हितों की अनदेखी करके खुद को समाज के सामने आलोचना का विषय नहीं बनने देंगे।

कोशिश कितनी रंग लाती है, देखा जाएगा

हालांकि उनकी यह कोशिश कितनी रंग लाती है, यह आने वाले समय में साबित हो जाएगी। भाजपा में अगला चुनाव भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में ही लडऩे की धारणा सामने आ रही है, ऐसे में उन नेताओं के सपनों पर अभी से पानी फिरता दिखता है जोकि नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठा रहे हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बदलने के संबंध में जैसी अफवाहें उड़ाई गई हैं, उनका जवाब खुद मुख्यमंत्री ने यह कहकर दिया है कि कुछ लोगों को सोशल मीडिया पर रात को सीएम बदल कर सोने की आदत हो गई है। जाहिर है, वे अपने मंसूबे बता चुके हैं, अब बारी विरोधियों की है।

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