राष्ट्रीय

लखीमपुर खीरी हिंसा : आशीष मिश्रा की नाटकीय गिरफ्तारी और जेल भेजने की पूरी कहानी, सच क्या है?

डीआईजी और पुलिस जांच कमेटी ने आशीष मिश्रा से हर वह सवाल पूछा, जिसका जवाब हर किसी को चाहिए है, बावजूद इसके पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा

10 अक्टूबर, 2021 12:32 PM
लखीमपुर खीरी में आशीष मिश्रा उर्फ मोनू क्राइम ब्रांच के कार्यालय के सामने अचानक हाजिर हो गए, जबकि उनके समर्थक उनके पिता के संसदीय कार्यालय के नीचे मौजूद थे। फोटो सोशल मीडिया

इसहफ्ते न्यूज / एजेंसी.लखीमपुर खीरी

 

रात करीब 12.30 बजे क्राइम ब्रांच के कार्यालय से निकालकर आशीष मिश्रा को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। यहां पुलिस ने उसका तीन दिन का रिमांड मांगा। बचाव पक्ष के वकील ने इसका विरोध किया। इसके बाद 12.49 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने आशीष को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।

लखीमपुर खीरी कांड में नामजद आरोपी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पुत्र आशीष मिश्रा को आखिरकार 12 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद शनिवार रात 10.50 बजे गिरफ्तार कर लिया गया। राज्य सरकार द्वारा बनाई गई विशेष पर्यवेक्षण समिति के डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल ने पुलिस लाइन स्थित क्राइम ब्रांच के कार्यालय के बाहर आकर गिरफ्तारी की पुष्टि की। इससे पहले शनिवार की सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा उर्फ मोनू क्राइम ब्रांच के कार्यालय के सामने अचानक हाजिर हो गए, जबकि उनके समर्थक उनके पिता के संसदीय कार्यालय के नीचे मौजूद थे।


कैसे हुई आशीष की एंट्री
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक आशीष मिश्रा के साथ लखीमपुर सदर विधायक योगेश वर्मा, अजय मिश्रा टेनी के प्रतिनिधि अरविंद सिंह संजय और जितेंद्र सिंह जीतू आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को लेकर पुलिस लाइन के दफ्तर में आए। सदर विधायक और अरविंद सिंह संजय आगे चल रहे थे और मोनू उनके पीछे-पीछे लंबे-लंबे कदमों से क्राइम ब्रांच के दफ्तर की ओर बढ़ते चले आ रहे थे। क्राइम ब्रांच ऑफिस के बाहर मीडिया कर्मियों ने मोनू को देखा तो उनकी और प्रतिक्रिया लेने के लिए दौड़े। इससे पहले कि मोनू कुछ कह पाते पुलिस के दो सिपाही उनको लेकर क्राइम ब्रांच के दफ्तर की ओर लेकर बढ़ चले। जबरदस्त धक्का-मुक्की के बीच अरविंद सिंह और आशीष मिश्रा मोनू क्राइम ब्रांच के दफ्तर के भीतर घुस गए। बाद में एक बैग देकर अरविंद सिंह संजय बाहर आ गए। डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल पहले से ही ऑफिस में मौजूद थे।

 

पूछताछ में कौन-कौन अफसर थे
आशीष मिश्रा के पेश हो जाने के बाद एसपी विजय ढुल, एडिशनल एसपी अरुण कुमार सिंह मौके पर पहुंच गए। इसके अलावा पुलिस विशेष जांच कमेटी के सदस्य पीएसी सेनानायक सुनील सिंह, सीओ गोला संजय नाथ तिवारी आदि भी क्राइम ब्रांच के ऑफिस के अंदर चले गए। इसके बाद दरवाजा बंद हो गया और पूछताछ शुरू हो गई। आशीष मिश्रा से हो रही पूछताछ कई राउंड तक चली। पहले अन्य अधिकारियों ने आशीष मिश्रा से सवाल पूछे और उसके बाद डीआईजी उपेन्द्र अग्रवाल ने खुद कमान संभाली। डीआईजी और पुलिस जांच कमेटी ने आशीष मिश्रा से हर वह सवाल पूछा, जिसका जवाब पुलिस तलाश रही थी।

 

32 सवालों की बौछार में फंसा मोनू

सूत्रों के मुताबिक, बंद कमरे के अंदर आशीष मिश्रा से करीब 32 सवाल दागे गए। पूछताछ में आशीष मिश्रा इस बात का सबूत बार-बार दे रहे थे कि वह घटनास्थल पर थे ही नहीं। उन्होंने इस बात को साबित करने के लिए कई वीडियो और शपथ पत्र प्रस्तुत किए। इसके बाद पुलिस के सवालों का चक्रव्यूह बढ़ता गया। कई चरणों में चार-चार अधिकारियों ने मोनू से क्रॉस प्रश्न किये। जिनका जवाब देने के लिए आशीष मिश्रा मोनू को तमाम वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत करने पड़े। साथ ही उन लोगों की कथित तौर पर दी गई। गवाही के कागज भी पेश करने पड़े।


दोपहर 2.36 से 3.30 तक कहां थे?
तिकुनिया कांड के मुकदमे में दर्ज मुकदमे में मुख्य आरोपी बनाए गए आशीष मिश्रा उर्फ मोनू को पुलिस के कई सिलसिलेवार सवालों के जवाब देने पड़ गए। सूत्रों ने बताया कि पुलिस की जांच टीम का सबसे प्रमुख सवाल यही था 3 अक्तूबर रविवार को दोपहर 2.36 बजे से लेकर 3.30 बजे तक कहां थे? यह वही वक्त था जब तिकुनिया इलाके में यह कांड हुआ, जिसमें आठ लोगों की जान चली गयी, जबकि नौ लोग जख्मी हुए। पुलिस ने हर एंगल से पूछताछ की, जिसको लेकर तमाम सवाल और आशंका सामने आ रहे थे।

 

सवालों की लिस्ट लिए बैठे थे अधिकारी
सूत्रों के मुताबिक, कमरे में दाखिल होते ही आशीष मिश्रा को जांच टीम ने रविवार की रात 2.53 पर दर्ज कराए गए मुकदमे का ब्यौरा बताया। साथ ही उन पर लगाए गए आरोपों की जानकारी आशीष मिश्रा को दी गई। इसके बाद कागज पर लिखे हुए सवालों के बिंदु उसके सामने पुलिस ने रखने शुरू किए। जांच टीम ने सवाल किया कि जब यह दुर्घटना हुई तब आप कहां थे? अपने जवाब में आशीष मिश्रा ने खुद को घटनास्थल पर मौजूद न होने की बात कही। उन्होंने सिलसिलेवार तरीके से यह बताया कि कैसे दंगल प्रतियोगिता का आयोजन उनके गांव में हो रहा था।


अपनी लोकेशन बताना पड़ा सबसे मुश्किल
सूत्र बताते हैं कि आशीष हर सवाल के जवाब में सिर्फ इतना ही साबित करने में लगा रहा कि घटना वाली जगह पर वह मौजूद ही नहीं था। पुलिस जांच टीम ने उनसे उसकी कार थार के बारे में सवाल भी किए। आशीष मिश्रा ने उसमें भी यह साबित करने की कोशिश की कि वह अपनी कार में मौजूद नहीं थे। उन्होंने कुछ लोगों के बारे में बताया, जो कारों के काफिले के साथ उनके गांव से निकले थे। कहा कि ये लोग उपमुख्यमंत्री की अगवानी करने जा रहे थे तभी यह घटना हो गई। सूत्र बताते हैं कि आशीष मिश्रा ने कुछ वीडियो दिखाकर यह साबित करने की कोशिश कि वायरल हो रहे वीडियो और उनके पास मौजूद वीडियो में किस तरह का फर्क है। आशीष एक सवाल का जवाब देकर खामोश होता कि जांच टीम उनसे दूसरा सवाल दाग देती। इस सिलसिले में कई घंटे गुजर गए।

 

रात 12.30 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश
डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल और पीएसी सेनानायक सुनील सिंह के अलावा बाकी अधिकारी गेट के अंदर बाहर आते जाते रहे, लेकिन वरिष्ठ अधिकारी गेट से बाहर नहीं निकले। 10.50 बजे डीआईजी ने आशीष मिश्रा की गिरफ्तारी की घोषणा की। इसके बाद करीब 11 बजे देर रात आशीष की क्राइम ब्रांच कार्यालय में ही एसडीएम की उपस्थिति में मेडिकल जांच कराई गई। रात करीब 12.30 बजे क्राइम ब्रांच के कार्यालय से निकालकर उसे ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। यहां पुलिस ने उसका तीन दिन का रिमांड मांगा। बचाव पक्ष के वकील ने इसका विरोध किया। इसके बाद 12.49 बजे ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने आशीष को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया। अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।

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