इसहफ्ते न्यूज / एजेंसी . शिमला
राजेंद्र ठाकुर वीरभद्र सिंह के अस्वस्थ होने पर पिछले चार साल में अर्की हलके में उनके बतौर विधायक कामकाज संभालते रहे हैं। अब वह वीरभद्र परिवार के विश्वासपात्र नेताओं में शुमार हैं। वहीं पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स संजय अवस्थी का नाम आगे बढ़ा रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिवंगत वीरभद्र सिंह के देहांत से रिक्त हुई हिमाचल प्रदेश में अर्की सीट पर उपचुनाव के लिए टिकट हासिल करने की जंग तेज हो गई है। प्रदेश में फतेहपुर, जुब्बल कोटखाई और अर्की विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. अर्की सीट 6 बार सीएम रहे वीरभद्र सिंह के 8 जुलाई को निधन के बाद खाली हुई है। वहीं बाकी दो सीटें यहां के विधायकों की मौत के बाद ही खाली हुई हैं। उपचुनाव से पहले अर्की में कांग्रेस दो गुटों में बंट गई है। यहां वीरभद्र परिवार और सुक्खू के साथ खड़े दूसरे विरोधी खेमे में जंग छिड़ गई है। एक खेमा राजेंद्र ठाकुर तो दूसरा संजय अवस्थी के लिए टिकट चाह रहा है। कांग्रेस की प्रदेश चुनाव समिति ने हाईकमान को संजय अवस्थी और राजेंद्र ठाकुर के नाम भेजे हैं। अंतिम फैसला आलाकमान पर छोड़ा गया है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू और कांग्रेस की वरिष्ठ नेता विद्या स्टोक्स के पसंदीदा रहे संजय अवस्थी ने वर्ष 2012 में भी अर्की से चुनाव लड़ा था। उस समय महज 2075 मतों के अंतर से चुनाव हारकर सिटिंग भाजपा विधायक गोविंद राम शर्मा को जबरदस्त टक्कर दी थी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अर्की से चुनाव लड़ने का फैसला लिया। वीरभद्र के देहांत के बाद अब उपचुनाव में वह पिछले मार्जन का तर्क देकर टिकट के प्रबल दावेदार बने हुए हैं।
सुक्खू ही नहीं बल्कि वीरभद्र परिवार के विरोधी रहे अन्य वरिष्ठ नेता भी टिकट के लिए अवस्थी की पुरजोर पैरवी करने में लगे हैं। बेशक सुक्खू के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा हो लेकिन इस बात पर वे उनके साथ हो लिए हैं। उनका मकसद वीरभद्र परिवार के करीबी नेता राजेंद्र ठाकुर को विधायक बनने से रोकना है। राजेंद्र ठाकुर के पिता हरिदास ठाकुर दशकों पहले कांग्रेस सरकार में मंत्री थे।
राजेंद्र ठाकुर वीरभद्र सिंह के अस्वस्थ होने पर पिछले चार साल में अर्की हलके में उनके बतौर विधायक कामकाज संभालते रहे हैं। अब वह वीरभद्र परिवार के विश्वासपात्र नेताओं में शुमार हैं। वीरभद्र की पत्नी पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह, उनके बेटे विधायक विक्रमादित्य सिंह, कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री आदि नेताओं के वह पसंदीदा हैं। हालांकि, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर इस संबंध में तटस्थ हैं। उन्होंने फैसला हाईकमान पर छोड़ा है।
अर्की सीट पर भाजपा में भी पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशी रहे रतन पाल सिंह और पूर्व भाजपा विधायक गोविंद राम शर्मा में टिकट झटकने को रस्साकशी चल रही है। रतन पाल सिंह के भाजपा के संगठन महामंत्री पवन राणा और पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल के साथ अच्छे संबंध हैं। डॉ. राजीव बिंदल को चुनाव प्रभारी बनाया गया है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा डॉ. राजीव बिंदल को संकेत दे चुकी है कि अर्की में अगर कांग्रेस को शिकस्त देने में वह सफल होते हैं तो उन्हें सरकार या संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। डॉ. बिंदल का स्वास्थ्य विभाग में कोरोनाकाल में हुई खरीद के एक मामले से नाम जोड़ा गया तो उन्होंने इससे कोई भी ताल्लुक न बताते हुए नैतिकता के आधार पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पद छोड़ दिया था। उससे पहले वह विधानसभा अध्यक्ष थे। धूमल सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।